सायप्रस इस्रायल से आयर्न डोम खरीदेगा

अथेन्स – सैंकडों रॉकेट्स की बौछार के खिलाफ कामयाब साबित हुई इस्रायल की आयर्न डोम नामक हवाई सुरक्षा प्रणाली की खरीदारी सायप्रस करेगा। सायप्रस के सुरक्षा मंत्रालय ने इसके बारे में इस्रायल से चर्चा करने की जानकारी प्राप्त हुई है। तुर्की से खतरे की पृष्ठभूमि पर सायप्रस आयर्न डोम की तैनाती कर सकता है, ऐसा एक समाचार पत्रिका ने कहा है।

पिछले कई दशकों से भूमध्य समुद्र में सायप्रस और तुर्की के बीच विवाद जारी है। सायप्रस के उत्तरी भूभाग पर तुर्की ने कब्ज़ा किया हुआ है और तुर्की बचे हुए सायप्रस पर भी हमले की तैयारी में होने का डर व्यक्त किया जाता है। तुर्की के लडाकू विमानों ने और गश्त नौकाओं ने सायप्रस की सीमा में यात्रा करने की घटनाएं घटी हैं। इस पृष्ठभोमि पर सायप्रस अपनी संरक्षण सतर्कता बढाने की कोशिश कर रहा है और इसी के एक भाग के तौर पर सायप्रस ने इस्रायल से ’आयर्न डोम’ नामक हवाई सुरक्षा प्रणाली खरीदने के लिए गतिविधियां बढाने का दावा ग्रीक की अखबार ने किया। 

इस्रायल और सायप्रस में आयर्न डोम के करार के बारे में चर्चा पूरी हो चुकी है और जल्द ही इसकी घोषणा की उम्मीद है, ऐसा इस अखबार में कहा गया है। पिछले सप्ताह सायप्रस के संरक्षणमंत्री ने इस्रायल का दौरा करके संरक्षणमंत्री बेनी गांत्ज़ से मुलाकात की थी। तो पिछले सालभर से इस्रायल ने सायप्रस, ग्रीस के भूमध्य सागर से जुडे हुए देशों के साथ लश्करी सहयोग बढाने पर ज़ोर दिया था।

तो, पिछले सप्ताह में ही इस्रायल और तुर्की में राजनैतिक सहयोग फिर से प्रस्थापित हुआ। अतीत में निर्माण हुए तीव्र मतभेद भुलाकर तुर्की एवं इस्रायल फिर से सहयोग प्रस्थापित करने के लिए उत्सुक होने की घोषणा दोनों देशों के नेताओं ने की थी। पर भले ही यह सहयोग प्रस्थापित हुआ हो फिर भी तुर्की की महत्वाकांक्षा से जिन देशों को खतरा है उनके साथ सहयोग करने से इस्रायल पीछे ना हटने का संदेश दे रहा है। सायप्रस को आयर्न डोम की आपूर्ति का इस्रायल का यह निर्णय इसी बात का संकेत दे रहा है।

इस्रायल का यह निर्णय तुर्की की चिंता बढानेवाला साबित होगा। फिर भी इससे इस्रायल एवं तुर्की के सहयोग पर सीधा प्रभाव पडने की संभावना नहीं है क्योंकि, वर्तमान दौर में दिक्कत में फंसे हुए तुर्की के नेतृत्व के लिए इस्रायल के साथ सहयोग की बहुत बडी जरुरत बनी हुई है। सौदी अरेबिया एवं संयुक्त अरब अमिरात जैसे देशों से इस्लामी देशों का नेतृत्व खींचकर अपनी ओर लेने के लिए तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने कोशिश की थी। इसलिए कभी पश्चिमी देशों के साथ उत्तम संबंध वाले सुधारक देश की यह पहचान खो गई और इसका झुकाव कट्टरपंथ की दिशा में होने के आरोप लगाए जाने लगे थे। पर पिछले वर्ष के व्यवहारों के कारण तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष को अपनी नीति में बदलाव करने ही पडे।

तुर्की की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए एर्दोगन ने पश्चिमी देशों के साथ संबंध सुधारने अलावा सौदी अरेबिया एवं युएई के साथ दुबारा सहयोग करने हेतु कदम बढाए थे। इस्रायल के साथ फिर से राजनैतिक संबंध प्रस्थापित करने का तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष का निर्णय भी इसी बदली हुई नीति का भाग है। इसको प्रतिसाद देने के बावजूद इस्रायल सायप्रस एवं ग्रीस जैसे तुर्की की नीतियों से संभावित खतरे वाले देशों के साथ सहयोग से पीछे नहीं हटेगा। इस्रायल ने तुर्की को इस का अहसास दिलाया हुआ दिख रहा है।

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