इराक के ईरान समर्थक नेता अल-सद्र सऊदी अरेबिया के दौरे पर

जेद्दा: खाड़ी क्षेत्रों में सऊदी अरेबिया तथा ईरान की सामरिक स्पर्धा के दौरान इराक के ईरान समर्थक नेता ‘मुक्तदा अल-सद्र’ ने सऊदी का दौरा किया। इराक के शक्तिशाली हथियारबंद समूह ‘माहदी आर्मी’ के नेता सद्रने साल २००६ के पश्चात पहली बार सऊदी का दौरा किया उनके इस दौरे का अमरिका के विदेश मंत्रालय ने स्वागत किया हैं। खाड़ी में ईरान का बढ़ता प्रभाव नियंत्रित करने के लिए सद्र का यह दौरा अनुकूल साबित हो सकता है, यह दावा अमरिका के भूतपूर्व राजदूतोंने किया हैं।

अल-सद्र‘मुक्तदा अल-सद्र’ के इराक में स्तिथ कार्यालयने इस दौरे से सम्बंधित जानकारी प्रसारित की। सद्र ने सऊदी का दौरा स्वयं चलते नहीं किया है बल्की सऊदी अरेबिया के राजघराने के निमंत्रण पश्चात रविवार को वे सऊदी में पहूँचे, ऐसा उनके कार्यालय ने स्पष्ट किया है। सऊदी अरेबिया के इराक में स्थित भूतपूर्व राजदूत ‘थामेर अल-सभान’ ने सद्र इनका जेद्दा हवाईअड्डे पर स्वागत किया। सद्र तथा सऊदी के भावी उत्तराधिकार प्रिंस मोहम्मद के बीच कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार विमर्श होने की जानकारी ‘एसपिए’ नामक सऊदी के सरकारी वृत्तसंस्था ने प्रसारित की। इस में इराक और सऊदी अरेबिया के बीच सहयोग का विषय भी था ऐसा सऊदी के वृत्तसंस्था ने स्पष्ट किया है। साथ ही ‘इराक और सऊदी के समान हितों पर दोनों नेताओ में सकारात्मक चर्चा  होने की वजह से अरब-इस्लामी क्षेत्रो में पंथीय संघर्ष समाप्त हो जाएगा, ऐसा हमें विश्वास हैं’, यह सद्र के कार्यालय का कहना हैं।

पीछले महीने ही इराक तथा सऊदी के वरिष्ठ नेता सामरिक सहयोग को बढ़ावा देनेपर सहमत हुए थे। साथ ही फेब्रुवारी महीने में सऊदी के विदेशमंत्री ‘अदेल अल-जुबैर ने इराक का दौरा किया था। साल १९९० के बाद सऊदी के बड़े नेता की इराक दौरे पर जाने की यह पहली घटना थीं। ९० के दशक में इराक और कुवैत के बीच कड़े संघर्ष के बाद अरब देशोंने इराक को बहिष्कृत किया था। लगभग २५ वर्षों के अन्तराल के पश्चात सन २०१५ में सऊदी ने इराक की राजधानी बगदाद में दूतावास का आरंभ किया। इराक व सऊदी के नेताओं के बीच बढती मुलाकातों के परीणाम स्वरुप खाड़ी देशों के दो बड़े इंधन उत्पादक देशों के बीच तनाव कम होगा, ऐसा दावा किया जा रहा हैं। ‘मुक्तदा अल-सद्र और उनके हथियारबंद समूह ‘माहदी आर्मी’ इनको ईरान का समर्थन हैं। ईरान का समर्थन प्राप्त होने से सद्र के पक्ष का ईरान की राजनीती पर बड़ा प्रभाव था। कट्टर अमरीका विरोधी ऐसी सद्र की पहचान थीं। परंतु पिछले कुछ वर्षों में सद्र का इराक की राजनीती पर बना प्रभाव घटने पर सद्र के समूह ने इराक के आबादी सरकार के ख़िलाफ़ आंदोलन किए थे। उसी के साथ इराक के आतंकवाद विरोधी संघर्ष में सहभागी हुए कुछ समुहोंपर पाबंदी डाली जाए ऐसी माँग सद्र ने की थीं। इनकी यह माँग इराकी सरकार ने अमान्य कर दीं थीं। इसी पृष्ठभूमि पर अल-सद्र सऊदी के दौरे पर आए हैं।

दौरान, मुक्तदा अल-सद्र के सऊदी दौरे का अमरीका के विदेश मंत्रालय ने स्वागत किया हैं। सऊदी एवं इराक दोनों ही अमरीका के सहयोगी देश होते हुए दोनों देशों के बीच सहयोग को अमरीका का समर्थन रहेगा, ऐसा अमरीका के विदेश मंत्रालय ने कहा हैं। तो इराक और तुर्की के लिए नियुक्त किये गए अमरीका के भूतपूर्व राजदूत ‘जेम्स जेफ्री’ इन्होने सद्र के इस दौरे को खाड़ी क्षेत्र की मुख्य घटना होने का दावा किया हैं।

‘ईरान का खाड़ी क्षेत्र में प्रभाव नियंत्रित नहीं किया गया तो नये आतंकवादी संघटन निर्माण होते रहेंगे। इनसे अमरीका, सऊदी, तुर्की, इस्रायल तथा अन्य देशों को ख़तरा निर्माण हो सकता हैं। ऐसी परिस्थिति में सद्र का सऊदी दौरा ईरान के प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए अनुकूल साबित होगा’, ऐसा जेफ्री का कहना हैं। इराक, सिरिया, यमन व लेबनॉन इन देशों में ईरान समर्थकों का प्रभाव बड़ी मात्रा में बढ़ने से अस्वस्थ हुए सऊदी अरेबिया ने ईरान को मात देने के लिए इन देशों में अपने समर्थक समूहों को हर प्रकार से सहयोग देने की शुरुवात कि थीं। इन देशों में जारी रक्तरंजित संघर्ष के पीछे ईरान और सऊदी के बीच सत्तास्पर्धा का बड़ा हाथ हैं ऐसा दावा किया जाता हैं।

इस पृष्ठभूमि पर ईरान समर्थक अल-सद्र का सऊदी दौरा निराले संकेत दे रहा है।

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