रशिया और सौदी ने किए ऐलान के बाद कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल ९० डॉलर हुई

मास्को/रियाध/लंदन – ईंधन क्षेत्र के शीर्ष देश रशिया और सौदी अरब ने ईंधन उत्पादन में कटौती करने से संबंधित किए ऐलान के बाद कच्चे तेल की कीमत में उछाल दिखाई दिया। मंगलवार के दिन कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल ९० डॉलर के स्तर से अधिक हुई। यह नवंबर २०२२ के बाद का उच्चांक बना है। इस बढ़ोतरी की पृष्ठभूमि पर वर्ष के अन्त तक कच्चे तेल की कीमते प्रति बैरल १०० डॉलर का स्तर पार करेंगे, ऐसा अनुमान विश्लेषकों ने व्यक्त किया है।

कच्चे तेल का उत्पादन कर रहे प्रमुख देशों के ‘ओपेक प्लस’ गुट ने मई महीने में कच्चे तेल के उत्पादन में कुल ११.५० लाख बैरल्स कटौती करने का निर्णय किया था। इसके बाद जून महीने में यह कटौती दिसंबर २०२४ तक जारी रखने का आक्रामक निर्णय किया गया था। ‘ओपेक प्लस’ के इस निर्णय के अलावा रशिया और सौदी ने अपनी इच्छा से ईंधन उत्पादन में अधिक कटौती करने का ऐलान किया था।

रशिया ने पांच लाख बैरल्स की अतिरिक्त कटौती घोषित की थी। वहीं, जून महीने में सौदी अरब ने अपनी इच्छा से कच्चे तेल के उत्पनादन में हुई कटौती कुछ समय के लिए बढ़ाने का निर्णय किया था। इसके अनुसार सौदी अरब ने जुलाई महीने में कच्चे तेल के उत्पादन में प्रतिदिन १० लाख बैरल्स कटौती की थी। रशिया ने अपनी कटौती में तीन लाख बैरल्स का इजाफा किया हैं यह कटौती २०२३ के अन्त तक जारी रहेगी, यह घोषणा उप-प्रधानमंत्री अलेक्झांडर नोवाक ने किया।

इसके बाद रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन और सौदी अरब के राजपूत ‘क्राउन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान’ की चर्चा होने की जानकारी दोनों देशों ने साझा की। वैश्विक ईंधन बाज़ार में स्थिरता बनाए रखने के लिए तेल के उत्पादन और निर्यात की कटौती जारी रखने पर दोनों नेता सहमत होने की जानकारी क्रेमलिन ने प्रदान की है। सौदी के प्रवक्ता ने भी इसकी पुष्टि की है।

रशिया और सौदी ने किए इस ऐलान का असर अंतरराष्ट्रीय बाज़ार पर दिखाई दिया। मंगलवार को तेल की कीमते उछलकर प्रति बैरल ९० डॉलर से भी ज्यादा हुई। अमरीका के ‘डब्ल्यूटीआई क्रूड’ की कीमत भी प्रति बैरल ८७ डॉलर तक जा पहुंचे हैं। ओपेक प्लस के निर्णय के बाद रशिया और सौदी अरब ने किए ऐलान के कारण तेल का उत्पादन और सप्लाई में काफी बड़ी गिरावट हुई हैं। साथ ही दूसरी ओर विश्व में ईंधन की मांग फिर से बढ़ रहे हैं।

गोल्डमन सैक्स जैसी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्था ने जारी की हुई जानकारी के अनुसार जुलाई महीने में कच्चे तेल की मांग औसतन १०.२८ करोड़ बैरल्स थी। यह वर्ष २०१९ के बाद का विक्रमी स्तर समझा जाता है।

चीन और जापान जैसे देश अपने यहां कच्चे तेल के आरक्षित भंड़ार काफी बड़ी मात्रा में बढ़ा रहे हैं। अन्य आशियाई देशों में भी ईंधन की मांग बढ़ रही हैं और वर्ष के अन्त तक यह बढ़ोतरी कायम रहने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इस वजह कच्चे तेल की कीमत इस दौरान प्रति बैरल १०० डॉलर तक उछलेगी, ऐसा दावा विश्लेषक कर रहे हैं।

इसी बीच, रशियन ईंधन की कीमत पर लगाई ‘प्राईस कैप’ नाकाम होने की जानकारी सामने आयी है। ‘जी ७’, यूरोपिय देश और अन्य मित्र देशों ने रशिया के कच्चे तेल की अधिकतम कीमत प्रति बैरल ६० डॉलर निर्धारित की थी। लेकिन, जुलाई महीने में ६४.३७ और अगस्त महीने में ७४ डॉलर प्रति बैरल दर से रशियन तेल का कारोबार होने की जानकारी रशिया के वित्तीय विभाग ने प्रदान की है।

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