चीन के व्यापार में लगातार चौथे महीने हुई गिरावट – अमरीका और यूरोपिय देशों को हो रही निर्यात हुई कम

बीजिंग – चीन को विश्व का अहम देश बनाने वाला आर्थिक मॉडेल अब खत्म हुआ है और यह देश आगे कभी भी पहले क्रमांक की अर्थव्यवस्था नहीं होगा, ऐसा अनुमान अंतरराष्ट्रीय माध्यम एवं विश्लेषक व्यक्त कर रहे हैं। इसी पृष्ठभूमि पर चीन के आर्थिक मॉडेल की रिड़ कही जा रहे व्यापार संबंधित नए आंकड़े सामने आए हैं। इसके साथ ही चीन की आयात और निर्यात में लगातार चौथे महीने में भारी गिरावट हुई है। इस गिरावट के पीछे अमरीका और यूरोपिय महाद्वीप की मांग में हुई भारी फिसलन बड़ी वजह होने की बात स्पष्ट हुई है।

चीनी यंत्रणा ने जारी किए ‘कस्टम डेटा’ के अनुसार अगस्त महीने में चीन की निर्यात ८.८ प्रतिशत फिसल कर ३०० अरब डॉलर के स्तर से भी नीचे गई है। इस दौरान चीन की निर्यात २८४.८७ अरब डॉलर रही। इसके साथ ही चीन की आयात ७.३ प्रतिशत कम होकर २१६.५१ अरब डॉलर तक सीमित रही। आयात निर्यात में हुई इस गिरावट के कारण चीन का व्यापारी मुनाफा भी काफी कम हुआ है। जुलाई महीने में चीन को व्यापार में ८०.६ अरब डॉलर लाभ प्राप्त हुआ था। लेकिन, इसमें अब लगभग १५ प्रतिशत गिरावट हुई हैं और अगस्त महीने का मुनाफा ६८ अरब डॉलर तक जा पहुंचा है।

व्यापार में हुए इस नुकसान के पीछे अमरीका और यूरोप के दो बाजारों में कम हुई मांग प्रमुख वजह बनी है। चीन से अमरीका को हो रही निर्यात १७ प्रतिशत कम हुई है और आयात भी ५ प्रतिशत कम दर्ज हुई है। ऐसे में यूरोपिय महासंघ को हो रही चीन निर्यात में १०.५ प्रतिशत और आयात में ढ़ाई प्रतिशत गिरावट हुई है। अमरीका के ‘सेन्सस ब्युरो’ ने भी चीन से हो रही आयात निचले स्तर पर जा पहुंचने की जानकारी साझा की है। अमरीका में हो रही चीनी उत्पादन की आयात १४.६ प्रतिशत तक कम हुई है। यह वर्ष २००६ के बाद दर्ज़ हुआ सबसे निचला स्तर है, ऐसा अमरिकी यंत्रणा ने स्पष्ट किया।

पिछले साल के अन्त में चीन ने कोरोना दौर में लगाए प्रतिबंध हटाने का निर्णय किया था। इसके बाद चीन की अर्थव्यवस्था ने गति प्राप्त करना शुरू किया। प्रतिबंध हटाने के बाद चीन की अर्थव्यवस्था उछाल लेगी और वैश्विक अर्थव्यवस्था सामान्य होने की प्रक्रिया शुरू होगी, ऐसा विचार कई वित्त संस्था और आर्थिक विशेषज्ञों ने रखा था। लेकिन, इस वर्ष की पहली तिमाही के बाद चीन की अर्थव्यवस्था फिर से गोते खाती दिख रही है।

वर्ष २०२३ की पहली तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था ने २.२ प्रतिशत विकास दर दर्ज़ किया था। दूसरी तिमाही में इसकी भारी गिरावट हुई और यही विकास दर फिसलकर ०.८ प्रतिशत तक जा पहुंचा था। इस गिरावट के पीछे खुदरा विक्री में हुई गिरावट, रिअल इस्टेट क्षेत्र में हुआ निवेश, लगातार दो महीनों में पहुंचा नुकसान प्रमुख कारण बना था। दूसरी तिमाही के बाद भी इस क्षेत्र की गिरावट जारी रहने की बात पिछले दो महीनों से सामने आए आंकड़ों से दिख रहा है।

पश्चिमी देशों के साथ देश में कम हुई मांग, रिअल इस्टेट क्राइसिस और स्थानिय प्रशासकीय यंत्रणाओं पर कर्ज का बढ़ता भार चीन की अर्थव्यवस्था के संकट का दायरा अधिक से अधिक बढ़ाता दिख रहा है। साथ ही देश के युवा वर्ग में फैली बेरोजगार ती मात्रा चिंताजनक स्तर पर जा पहुंची है और यह मुद्दा शासक कम्युनिस्ट हुकूमत के लिए खतरे की घंटी होने की चेतावनी दी जा रही है। अमरीका और यूरोप को मंदी से पहले ही नुकसान पहुंचा हैं और ऐसे में चीन की अर्थव्यवस्था की नई गिरावट विश्व के लिए नए मुश्किलों का मुद्दा बनेगा, ऐसी चेतावनी विश्व भर के प्रमुख विश्लेषक दे रहे हैं।

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