अरुणाचल प्रदेश में हुआ सामरिक दृष्टि से अहम दो पुलों का निर्माण

नई दिल्ली, (वृत्तसंस्था) – अरुणाचल प्रदेश के तवांग और पश्‍चिमी कामेंग जिले में ‘बॉर्डर रोड़ ऑर्गनायझेशन’ (बीआरओ) ने सामरिक दृष्टि से अहम साबित होनेवाले दो पुलों को निर्माण किया है। पिछले कुछ दिनों में भारत-चीन सीमा पर चीन की उकसानेवाली हरकतों में बढ़ोतरी हुई है। ऐसी स्थिति में, चीन की सीमा पर अपनी सेना की तैनाती और लष्करी गतिविधियाँ तेज़ करने के लिए ये पूल अहम साबित होंगे।

‘बीआरओ’ ने तवांग जिले में तवांग चू नदी पर पूल का निर्माण किया हैं। इस पूल की लंबाई ५० मीटर हैं। इसके अलावा पश्चिमी कामेंग जिले में ४५ मीटर लंबाई के सुखाना नाला पूल का निर्माण किया गया है। मुख्यमंत्री पेमा खांडू के हाथों इस पूल का उद्घाटन किया गया। इन पुलों की वज़ह से मैकमोहन लाईन के नज़दिकी क्षेत्र में सेना को ज़ल्द से ज़ल्द तैनात करने के लिए सहायता प्राप्त होगी, यह बयान खांडू ने इस समय किया। देश की सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए ये पूल काफ़ी अहम साबित होंगे। लेकिन, इन पुलों के निर्माण से इस क्षेत्र में रोज़गार भी प्राप्त होगा, यह कहकर मुख्यमंत्री खांडू ने ‘बीआरओ’ के अभियंता और कर्मचारियों का शुक्रिया अदा किया।

चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा जता रहा है और इस क्षेत्र में घुसपैठ करने की चीन की लगातार कोशिश होती है। अरुणाचल प्रदेश से जुड़े अपने क्षेत्र में चीन ने बड़ी मात्रा में बुनियादी सुविधाओं का विकास किया है। इस वज़ह से, संघर्ष के दौर में चीन को भारतीय सीमा पर अपने सैनिकों तक युद्धसामग्री को काफ़ी तेज़ गति से पहुँचाना संभव होगा। इस पृष्ठभूमि पर, भारत ने भी पिछले कुछ वर्षों से सीमा पर बुनियादी सुविधाओं का विकास करने के काम को गति प्रदान की है। सीमा सुरक्षा अधिक मज़बूत करने के लिए भारत ने ये कदम उठाना शुरू किया है। इस दृष्टि से ‘बीआरओ’ ने निर्माण किए हुए ये पूल, सीमा क्षेत्र में जारी अहम विकास योजनाओं में से एक हैं।

एक महीना पहले ही ‘बीआरओ’ ने अरुणाचल प्रदेश के सुबानसिरी जिले के सुबानसिरी नदी पर ४६ फ़ीट की लंबाई का ‘बैली ब्रीज’ का निर्माण कार्य मात्र २७ दिनों में पूरा किया था। ‘बीआरओ’ के सैनिकों ने चौबीस घंटे काम करके काफ़ी कम समय में निर्माण किए इस पूल की वज़ह से, सेना की भारी वज़न की गाड़ियाँ कम समय में चीन की सीमा तक पहुँचाना संभव हो रहा है। इसके बाद अब अन्य दो पुलों का काम पूरा करके भारत ने, चीन की सीमा से सटे क्षेत्र में विकास कामों की गति तेज़ करने के संकेत दिए हैं।

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