चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत द्वारा यूरोप में ‘सेन्सरशिप’ थोपने की कोशिश

बर्लिन/रोम – चीन की शासक कम्युनिस्ट हुकूमत द्वारा आर्थिक और राजनीतिक दबाव के बलबूते पर अन्य देशों में हस्तक्षेप करने की कोशिश जारी होने का आरोप अमरीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने लगाया था। अब यूरोप में भी इसी प्रकार के नमूने दिखाई देने लगे हैं। जर्मनी के एक पुस्तक प्रकाशन समारोह का ‘ऑनलाईन इवंट’ आखरी समय पर रद किया गया। तो, इटली में एक कला प्रदर्शनी रद करने की कोशिश नाकाम करने की बात सामने आयी है।

कम्युनिस्ट हुकूमतजर्मन पत्रकार एड्रियन गायगस और स्टिफन ऑस्ट ने चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग पर एक किताब लिखी है। ‘शी जिनपिंग-द मोस्ट पॉवरफुल मैन इन द वर्ल्ड’ नामक इस किताब का प्रकाशन समारोह २७ अक्तुबर के दिन आयोजित किया गया था। इस समारोह के अवसर पर जर्मनी के दो युनिवर्सिटी के ‘कन्फ्युशिअस इन्स्टिट्यूटस्‌’ ने ‘ऑनलाईन इवंट’ का आयोजन किया था।

ड्युसेलडॉर्फ में चीन के कॉन्सल जनरल फेंग हैयांग ने हस्तक्षेप करके इस कार्यक्रम को रद करवाया। इस मामले में ‘कन्फ्युशिअस इन्स्टिट्यूट’ के एक कर्मचारी ने जिनपिंग के बारे में आम व्यक्ति की तरह बोल नहीं सकते, ऐसा कहा गया। जर्मन माध्यम एवं शिक्षा क्षेत्र में इस पर प्रतिक्रियाएं प्राप्त हो रही हैं और सरकार एवं शिक्षा संस्थाओं ने चीन को लेकर पुख्ता भूमिका अपनाने की ज़रूरत होने का बयान किया है।

जर्मनी का समारोह रद किया जा रहा था तब इटली के प्रशासन ने पुख्ता भूमिका अपनाने की बात सामने आ रही है। इटली के ब्रेसिआ शहर में चीन के मानव अधिकार कार्यकर्ता बदिउकाओ की कलाकृति की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। चीन में कोरोना का विस्फोट, हाँगकाँग एवं झिंजिआंग प्रदर्शनी की कलाकृति का विषय है। रोम में स्थित चीनी दूतावास ने ब्रेसिआ के प्रशासन को इस प्रदर्शनी को रद करने के निर्देश दिए। लेकिन, स्थानीय प्रशासन ने यह बिनती ठुकराकर प्रदर्शनी रद नहीं होगी, ऐसी स्पष्ट भूमिका अपनाई।

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