पाकिस्तान से जुड़े हक्कानी नेटवर्क का कमांडर ‘तेहरिक’ में शामिल

इस्लामाबाद – तालिबान से सबसे ज्यादा प्रभावी गुट समझे जा रहे ‘हक्कानी नेटवर्क’ का कमांडर ‘टीपू गुल मारवात’ ‘तेहरिक ए तालिबा’ में शामिल हुआ। हक्कानी नेटवर्क पाकिस्तान के प्रभाव में होनेवाला तालिबान का गुट माना जाता है। तेहरिक ने हाल ही में पाकिस्तान में भयंकर रक्तपात करने की धमकी दी थी। साथ ही अफ़गानिस्तान के तालिबान और पाकिस्तान के संबंधों में तनाव निर्माण होने की खबरें भी प्राप्त हो रहीं थी। इस पृष्ठभूमि पर मारवात का तेहरिक में शामिल होना पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए घातक साबित हो सकता है।

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के लक्की मारवात जिले में टीपू गुल मारवात का नियंत्रण है। यह क्षेत्र अब तक हक्कानी नेटवर्क के नियंत्रण में था। लेकिन, मारवात अपने कब्ज़े के तीन गुट और समर्थकों के साथ ‘तेहरिक’ में शामिल होने की वजह से यह क्षेत्र तेहरिक के कब्ज़े में जाने का दावा किया जा रहा है। जनवरी से पाकिस्तान के वझिरिस्तान और करीबी प्रांत के छोटे-बड़े गुट तेहरिक में विलीन होने की खबरें प्राप्त हो रहीं थी। लेकिन, हक्कानी नेटवर्क का स्थानीय वरिष्ठ कमांडर तेहरिक से मिलने से सनसनी निर्माण हुई है।

हक्कानी नेटवर्क पाकिस्तान की कुख्यात गुप्तचर यंत्रणा ‘आयएसआय’ के प्रभाव में है। हक्कानी गुट की सहायता से पाकिस्तानी सेना ने सिरदर्द बने आतंकी संगठनों को ठिकाने लगाया था। ऐसे में हक्कानी और आयएसआय का सहयोग आतंकवाद और अफ़गानिस्तान की अस्थिरता के लिए सहायक साबित हुआ, ऐसा आरोप लगाया गया था। पिछले साल अफ़गानिस्तान की सत्ता हथियानेवाले तालिबान की हुकूमत पर भी हक्कानी नेटवर्क के आतंकियों का बड़ा प्रभाव है। इसी हक्कानी नेटवर्क की सहायता से पाकिस्तान ने अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा पाने की योजना बनायी थी।

अफ़गानिस्तान तालिबान के हाथ लगने के बाद पाकिस्तान में खुशियां मनाई गई थीं। लेकिन, पिछले कुछ महीनों से चित्र पूरी तरह से बदल गया है। तालिबान के अन्य गुट पाकिस्तान के विरोध में आक्रामक हुए हैं। पाकिस्तान की सेना ने पश्तू नागरिकों के अधिकार ठुकराए और उनकी जमीन पर कब्ज़ा किया, ऐसे आरोप तालिबान के गुट तीव्रता से कर रहे हैं। इसका लाभ पाकिस्तान की सुरक्षा यंत्रणा के विरोध में संघर्ष कर रहे ‘तेहरिक’ को हो रहा है। इससे तालिबान के कुछ गुट तेहरिक में शामिल हो रहे हैं, ऐसा दावा भी किया जा रहा है।

पाकिस्तान ने हमारी माँगें स्वीकार नहीं कीं तो भीषण रक्तपात करने की धमकी तेहरिक ने कुछ दिन पहले ही दी थी। ऐसे में अफ़गानिस्तान की तालिबान ने भी तेहरिक के माँगों पर पाकिस्तान सोचे, ऐसा कहकर इस विवाद में पाकिस्तान के पक्ष में खड़े होने से इन्कार किया था। जिस तालिबान को अफ़गानिस्तान में सत्ता स्थापित करने के लिए पाकिस्तान ने हर तरह से सहायता प्रदान की, ज़रूरत के समय अमरीका और अन्य पश्चिमी देशों का दबाव बर्दाश्त किया। उसी तालिबान ने अब तेहरिक का पक्ष लेकर पाकिस्तान का विश्वासघात किया है, ऐसी आलोचना हो रही है। आनेवाले समय में तेहरिक की हरकतों को अफ़गानिस्तान की तालिबान का पूरा समर्थन होगा, यह ड़र कुछ विश्लेषक व्यक्त कर रहे हैं।

फिलहाल पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है और सरकार बनाम विपक्षी दलों का तीव्र संघर्ष जारी है। ऐसी स्थिति में तेहरिक ए तालिबान पाकिस्तान की राजनीति में प्रवेश करने की तैयारी में होने की खबरें भी प्राप्त हो रही हैं।

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