चिनी शेअरबाज़ार में भारी गिरावट

Chinese small investors

शेअरबाज़ार में भारी गिरावट आने के कारण दो हफ़्तों में दो बार चीन को शेअरबाज़ार के व्यवहार बंद करने पड़े। चिनी शेअर बाज़ार में हुई गिरावट का असर दुनियाभर के बाज़ारों पर भी हुआ। गत कुछ वर्षों से चीन का मंद हुआ विकासदर, इंधन की क़ीमतों में आयी गिरावट और आखाती प्रदेश में बढ़ता हुआ तनाव इनके कारण यह गिरावट हुई, ऐसा कहा जा रहा है । लेकिन दरअसल चीन की अर्थव्यवस्था पर मँड़राता हुआ मंदी का संकट यही इस गिरावट का प्रमुख कारण होने की बात सामने आ रही है ।

चीन का ‘शांघाय कम्पोझिट इंडेक्स’ (एससीआय) गुरुवार सुबह ९.३० को खुल गया । तक़रीबन ३०० स्टॉक्स का समावेश रहनेवाले चीन के शेअर बाज़ार में पहले १३ मिनट के ट्रेडिंग में ही पाँच प्रतिशत की गिरावट हुई । उसके बाद चन्द दो मिनटों मे ही बाज़ार ‘ऑटोमॅटिक सर्किट ब्रेकर’ पद्धति से बन्द किया गया । लेकिन तब तक ‘एससीआय’ में ७.३२ प्रतिशत (२४५.९५ अंश) की गिरावट हो चुकी थी । गत वर्ष के अगस्त महीने के बाद पहली ही बार शेअरबाज़ार में इतनी भारी गिरावट हुई दिखायी दी है । वहीं, ‘एससीआय’ से जुड़े हुए ‘शेंझेन कम्पोझिट इंडोक्स’ में भी ८.३५ प्रतिशत (१७८.०८)  गिरावट हुई ।

चीन द्वारा अपने राष्ट्रीय चलन ‘युआन’ का किया गया भारी अवमूल्यन इस गिरावट का कारण बना, ऐसी आलोचना आर्थिक विश्लेषकों द्वारा की गयी है । चीन की ‘पीपल्स बँक ऑफ चायना’ इस मध्यवर्ति बँक ने अमरिकी डॉलर की तुलना में ‘युआन’ के मूल्य में ०.५१ प्रतिशत की घटोतरी की। गत चार दिनों में चीन ने दो बार ‘युआन’ का अवमूल्यन किया । लेकिन गुरुवार को चीन द्वारा किया गया अवमूल्यन गत चार वर्षों मे किया गया सबसे बड़ा अवमूल्यन है ।

इस हफ़्ते की शुरुआत में भी चीन ने युआन का अवमूल्यन किया था । इसलिए सोमवार को भी, मार्केट शुरू होते ही पाँच प्रतिशत की गिरावट हुई थी । उसके बाद भी ट्रेडिंग बंद कर दी गयी थी । लेकिन गुुरुवार की गिरावट सबसे ज़्यादा खतरनाक थी, ऐसा पश्चिमी विश्लेषकों का मानना है।

CHINA-MARKETS-YUAN

‘युआन’ का अवमूल्यन करने पर चीन के द्वारा निर्यात किये गए उत्पादनों को कम कीमतों में आंतर्राष्ट्रीय मार्केट मिल सकता है । चीन के प्रतिस्पर्धी देशों के लिए यह बड़ी चुनौती साबित हो सकती है । इस बात को मद्देनज़र रखते हुए, व्यापारी लाभ हथियाने के लिए चीन अपने चलन का अवमूल्यन करता है, ऐसा ऐतराज़ जताया जाता है । लेकिन भारी मात्रा में आयात करनेवाले चीन को इस अवमूल्यन के कारण, बाहर से आनेवाले माल के लिए अधिक क़ीमत अदा करनी पड़ती है, इस बात पर चीन ग़ौर नहीं करता, ऐसी आलोचना पश्चिमी माध्यमों के द्वारा की जाती है । लेकिन इस वास्तव पर ग़ौर न करते हुए चीन अपने ऊपर आये मंदी के आर्थिक संकट से बाहर निकलने के लिए जो चलन का अवमूल्यन कर रहा है, उससे वह दरअसल नये संकट को निमंत्रण दे रहा है, ऐसी टिप्पणी भी की जा रही है ।

इसी दौरान, चीन के शेअर बाज़ार में गिरावट आ जाने के कारण, एशियाई शेअर बाज़ारों पर भी इसका विपरित परिणाम हुआ दिखायी दे रहा है और जल्द ही इसके राजनीतिक परिणाम भी सामने आयेंगे, ऐसे आसार दिखने लगे हैं । साथ ही, कम्युनिस्ट पार्टी की एकाधिकारशाही रहनेवाले चीन की अंतर्गत राजनीति पर भी इस गिरावट का असर हो सकता है, ऐसे संकेत दिखायी देने लगे है।

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