आर्क्टिक में चीन की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए अमरीकाद्वारा ग्रीनलँड में दूतावास खोलने की योजना

वॉशिंग्टन- आर्क्टिक में बढ़ रहीं चीन तथा रशिया की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए अमरीका ने ग्रीनलँड में दूतावास शुरू करने की योजना बनायी है। दूतावास खोलने के साथ ही, ग्रीनलँड के विभिन्न प्रकल्पों के लिए १.२ करोड़ डॉलर्स वित्तसहायता दी जानेवाली है, यह जानकारी अमरीका के विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने दी। गत कुछ वर्षों में रशिया ने आर्क्टिक में नये लष्करी अड्डें बनाये होकर, चीन ने दोन साल पहले ही आर्क्टिक के बारे में विशेष नीति घोषित की है।

‘चीन ने आर्क्टिक के बारे में घोषित की नीति चिंताजनक है। आर्क्टिक के अलावा दुनिया के अन्य भागों में होनेवाला चीन का आचरण यह इसका मुख्य कारण है। साऊथ चायना सी जैसे क्षेत्रों में चीन की गतिविधियाँ आंतर्राष्ट्रीय नियमों को ठुकरानेवालीं हैं, इसपर ग़ौर करना चाहिए’ ऐसे शब्दों में अमरिकी अधिकारी ने चीन के संदर्भ की भूमिका स्पष्ट की।

अमरीका डेन्मार्क जैसे देश के सहयोग से, तथा अन्य आर्क्टिक देशों के साथ साझेदारी करके इस क्षेत्र को संघर्ष से रखेगी, ऐसा दावा भी अमरिकी अधिकारी ने किया। उसी समय, चीन सहित अन्य कुछ देशों ने, आर्क्टिक क्षेत्र शांत ना रहें इसके लिए योजना बनायी होने का आरोप भी अधिकारी द्वारा किया गया।

चीन ने इससे पहले ग्रीनलँड के साथ आर्क्टिक के अन्य भागों में संवेदनशील बुनियादी ढ़ाँचागत सुविधाओं पर कब्ज़ा करने की कोशिश की थी, इसका एहसास भी वरिष्ठ अधिकारी ने करा दिया। चीन ने ग्रीनलँड में संवेदनशील क्षेत्रों पर कब्ज़ा करना यह मामला युरोप के बंदरगाह अथवा ५जी नेटवर्क पर नियंत्रण हासिल करने जितना ही गंभीर है, इसकी ओर अमरिकी अधिकारी न ग़ौर फ़रमाया। ‘अमरीका अपनी आर्क्टिकविषयक नीति में बदलाव ला रही है और इस बदलाव के पीछे रशिया और चीन द्वारा अमरीका और पश्चिमी देशों को चुनौती देने के लिए जारी की गयीं गतिविधियाँ कारणीभूत हैं’, ऐसा अमरीका के विदेश अध्कारी ने स्पष्ट किया।

पिछले साल अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने ग्रीनलँड की खरीद करने का खलबलीजनक प्रस्ताव सामने रखा था। फिलहाल ग्रीनलँड में अमरीका का हवाई अड्डा कार्यरत है। लेकिन उससे भी आगे जाकर अमरीका की आर्क्टिक में होनेवाली सक्रियता अधिक ही बढ़ाने का उद्देश्य ट्रम्प के प्रस्ताव के पीछे था, ऐसा कहा जाता है।

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