चीन के ‘मेरिटाईम सिल्क रोड’ पर भारत की भूमिका में बदलाव

बीजिंग/नई दिल्ली, दि. ४ (पीटीआय) – चीन ने तीन साल पहले प्रस्तावित की हुई ‘मेरिटाईम सिल्क रोड’ योजना को तत्कालीन भारत सरकार ने समर्थन दिया था| लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान यह नज़रिया बदल गया है, भारत समय गँवाने की नीति अपना रहा है, ऐसा आरोप चीन ने किया| ‘ग्लोबल टाईम्स’ इस चीन के सरकारी वृत्तपत्र में प्रकाशित हुए लेख में, भारत पर नये से टिप्पणी की गई है| ‘एनएसजी’ की असफलता के लिए भारत चीन को बदनाम न करें| इसके बजाय भारत आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भरोसा प्राप्त करने के प्रयास करें| भारत आज भी सन १९६२ के युद्ध के मानसिकता में ही अटका हुआ है, ऐसी टिपणी इस लेख द्वारा की गई है|

modi-Xi Jinping

पिछले सप्ताह में ‘ग्लोबल टाईम्स’ने अपने एक लेख में, ‘एनएसजी’ में प्रवेश पाने में भारत को मिली असफलता की वजह से भारतीय जनता अपनी राष्ट्रवाद का अतिरेकी प्रदर्शन कर रही है, ऐसा कहा था| अब इसी वृत्तपत्र के लेख में, भारत की ‘एनएसजी’ भूमिका के साथ ही, चीन के महत्त्वाकांक्षी ‘बेल्ट ऍन्ड रोड’ योजना को भारत से हो रहा विरोध, सागरी क्षेत्र सहयोग इन मुद्दों को उपस्थित किया गया है| ‘चीन ने सन २०१३ में ‘मेरिटाईम सिल्क रोड’ की संकल्पना सादर की थी| उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंग, राष्ट्रीय रक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने समर्थन दिया था| लेकिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाथ में सत्ता ली जाने के बाद, भारत का दृष्टिकोण पूरी तरह से बदल गया है’, ऐसी आलोचना ‘शांघाय इन्स्टिट्यूटस फॉर इंटरनॅशनल स्टड़ीज्’ के ‘लिऊ झॉंगई’ ने अपने लेख में की|

भारत ने शुरू से ही चीन की योजना का हिंद महासागर के सामारिक धोरण पर क्या परिणाम होगा, उस संदर्भ में शंका उपस्थित की थी| चीन के राष्ट्रपति ने सन २०१५ के मार्च महीने में उसकी ‘ब्ल्यूप्रिंट’ प्रसिद्ध की थी| उसके बाद भारत की विदेशमंत्री सुषमा स्वराज और उपराष्ट्रपति हमीद अन्सारी की चीन यात्रा के दौरान भारत का बदला हुआ नज़रिया सामने आया, यह दावा ‘ग्लोबल टाईम्स’ के लेख में किया गया| विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने पिछले साल की चीन यात्रा में, भारत चीन की ‘मेरिटाईम सिल्क रोड’ योजना को पूरी तरह मंज़ुरी नहीं दे सकता है, ऐसा स्पष्ट किया| साथ ही, उपराष्ट्रपति हमीद अन्सारी ने पिछले महिने में अपनी चीन यात्रा में, भारत को इस योजना के संदर्भ में ज़्यादा स्पष्टीकरण और जानकारी चाहिए, ऐसी भूमिका स्पष्ट की थी|

इन सारे मुद्दों का उल्लेख करके ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने भारत सरकार और राजनैतिक अधिकारियों की आलोचना की है| ‘‘भारत सरकार और कुछ अधिकारी, ‘बेल्ट ऍन्ड रोड’ योजना के पीछे चीन का ‘जिओ स्ट्रॅटेजिक’ उद्देश होने की सोच रखते हैं| इसी कारण भारत ने अब, इस योजना का विभिन्न स्तरों पर विरोध करने की और समय गँवाने की नीति तथा मात देने की नीति अपनानी शुरू की है’’, यह आरोप ग्लोबल टाईम्स के लेख में किया गया है| ‘मेरिटाईम सिल्क रोड’ यानी, इससे पहले चीन ने प्रस्तावित की हुई ‘स्ट्रिंग्ज ऑफ पर्ल्स’ नीति को ही शब्दों का खेल कर अलग शब्दों में प्रस्तुत किया है, ऐसी सोच भारतीय अधिकारीयों की है, यह दावा इस लेख में किया गया है|

भारत अब भी सन १९६२ में चीन से हुए युद्ध की मानसिकता से बाहर नहीं आया है, ऐसी आलोचना इस लेख के माध्यम से की गई है| साथ ही ‘एनएसजी’प्रवेश के मुद्दे पर असफल हो चुके भारत को, भरोसा प्राप्त करने के लिए प्रयास करने चाहिए और ना कि चीन को बदनाम करना चाहिए, ऐसी आलोचना इस लेख में की गई है|

One Response to "चीन के ‘मेरिटाईम सिल्क रोड’ पर भारत की भूमिका में बदलाव"

  1. onkar wadekar   July 8, 2016 at 5:59 pm

    चीन की मेरीटाइम सिल्क रोड योजना तहत भारत के खिलाफ “व्यापरहेतु” का नकाब पहने लश्करी गतिविधियाँ साफ़ नजर आती हैI सद्य प्रधानमंत्री और सलंग्न मंत्रियों का इस योजना का विरोध बिलकुल सही हैI जमीन और सागरी मार्ग से पुरे भारत को घेरा जाने की बेहतरीन व्यूह रचना का दयोतक बने इस मेरीटाइम सिल्क रोड योजनामे चीनके भारतविरोधी गुप्त गतिविधियाँ एक बच्चा भी पहचान ले, परन्तु पूर्व प्रधानमंत्री और उनके अधिकारी वर्ग ने इसे किस दबाव मे इसे मंजूरी दी थी यह सिर्फ भगवान ही जानेI

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