भारतीय वायुसेना में देशी बनावट का लड़ाकू विमान ‘तेजस’ दाखिल

बेंगळुरू, दि. १ (पीटीआय) – शुक्रवार को अधिकारिक रूप में देश में बना हुआ ‘तेजस’ लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया। वायुसेना में ‘तेजस’ का समावेश होने से अपना सिर और भी ऊँचा हुआ है, ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है। इस घटना से, रक्षासामग्रीनिर्माण क्षेत्र में भारत की गुणवत्ता और क्षमता भी सिद्ध हो गई है, ऐसी पुष्टि भी प्रधानमंत्री मोदी ने की है। इन दो ‘तेजस’ विमानों के साथ पहला स्क्वाड्रन भारतीय वायुसेना के बंगळुरु   बेस में तैनात किया जानेवाला है। इसके बाद इसे तमिलनाडु के सलूर वायुसेना अड्डे में स्थानांतरित किया जाएगा।

Tejas

शुक्रवार को दो ‘तेजस’ लडाकू विमानों को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया। बंगळुरु में वायुसेना के ‘एअरक्राफ्ट सिस्टम टेस्टिंग एस्टॅब्लिशमेंट’ में ‘तेजस’ को वायुसेना में शामिल करने का औपचारिक कार्यक्रम संपन्न हुआ। उस वक्त वायुसेना के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

सन १९८३ में देश में पहली बार स्वदेशी विमान बनाने का फैसला किया गया था और इसके लिए ‘एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजंसी’(एडीए) का निर्माण करने को मंजुरी दी गई थी। कई कारणों से यह प्रकल्प पूरा होने में देर लगी। लेकिन भारतीय संशोधनकर्मियों की कड़ी मेहनत के बाद इस लड़ाकू विमान के लिए लगनेवाला तंत्रज्ञान विकसित करने में कामयाबी मिली।

वास्तविक रूप में प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में इस प्रकल्प को गति मिली थी। इस प्रकल्प के अंतर्गत भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किए गये विमानों का नामकरण, ‘तेजस’ रखने का निर्णय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने  लिया। ‘तेजस’ एक संस्कृत शब्द है और इसका हिंदी में मतलब ‘चमक’ होता है। ४ जनवरी २००१ को पहला ‘लाइट कॉम्बॅट एयरक्राप्ट’ ‘तेजस’ बनाया गया और इसका पहला उड़ान भी सफलतापूर्वक किया गया। उस वक्त विमान के कई परीक्षण किए गए। उस समय इसमें कई कमजोरियाँ भी दिखायी दी थीं। उन्हें दूर करने के लिए और वायुसेना की माँग के अनुसार इसमें बदलाव हो जाने के कारन वायुसेना में शामिल होने में देरी लग रही थी।

पिछले दो साल से भारत सरकार इस लड़ाकू विमान को वायुसेना में जल्द से जल्द शामिल करने के लिए प्रयास कर रही थी। यह प्रकल्प हाथ में लेने के बाद ३३ वर्ष की प्रतीक्षा खत्म हुई है और भारतीय वायुसेना को ‘तेजस’ मिल चुका है।

‘तेजस’ का ४२  प्रतिशत स्ट्रक्चर कार्बन फाइबर से बना हुआ है और ४३ प्रतिशत हिस्सा अ‍ॅल्युमिनियम मिश्र धातु और शेष टाइटेनियम मिश्र धातु से बनाया गया है। यह फाइटर एयरक्राप्ट सिंगल सीटर है। ‘तेजस’ का वजन १२ मेट्रिक टन है तथा इसकी लंबाई १३.५ मीटर है। यह एयरक्राप्ट अधिकतम १३५० किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ने की क्षमता रखनेवाला है। इसपर ‘बियाँड व्हिज्युएल रेंज मिसाईल’ (बीव्हीआर) तैनात कर सकते है।

अब तक भारतीय वायुसेना में रूसी, ब्रिटीश और फ्रेंच तकनीक से बने हुए लड़ाकू विमान शामिल थे। लेकिन पहली बार देश में बनाया हुआ लड़ाकू विमान शामिल किया गया हैं। भारतीय वायुसेना में शामिल किये गए ‘तेजस’ के पहले स्क्वाड्रन का नाम ‘फ्लाईंग डॅगर्स ४५ ’ ऐसा रखा गया हैं। इस स्क्वाड्रन में और छः विमान सन २०१७ तक शामिल किये जायेंगे।

चीन और पाकिस्तान की चुनौतियों को देखते हुए सुरक्षा हेतु भारत को लड़ाकू विमानों के ४५ स्क्वाड्रन की जरूरत हैं। वायुसेना में पिछले कई सालो में ‘मिग’ विमान को हुए अपघातों के कारण उन्हें हटा दिया गया है और इसके कारण अब भारतीय वायुसेना के ताफे में केवल ३३ लड़ाकू विमानों का स्क्वाड्रन सक्रिय हैं। ‘तेजस’ के आने से यह अभाव जल्द से जल्द दूर होगा। इसके साथ ही, कम खर्चे में बनाए गए इस लड़ाकू विमान से भारत का, लड़ाकू विमान के आयात पर होनेवाला व्यय भी कम हो गया हैं।

‘तेजस’ ने अबतक हुए सभी परीक्षण में अपनी क्षमता सिद्ध की है और इस कारण कई देश ‘तेजस’ खरीदने के लिए दिलचस्पी दिखा रहे हैं। इसके कारण भारतीय रक्षासामुग्री निर्यात को भी बढ़ावा मिलनेवाला हैं। ‘तेजस’ चीन और पाकिस्तान ने मिलकर बनाए हुए ‘जेएफ१७’ के लिए चुनौती बन सकता है। चीन और पाकिस्तान ‘जेएफ१७’ आशिया के कई राष्ट्रों को बेचने के लिए प्रयास कर रहे हैं। लेकिन इनमें से कई देशों ने ‘तेजस’ के प्रति अपना रूझान दर्शाया है।

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