म्यानमार के राष्ट्राध्यक्ष भारतयात्रा पर

नयी दिल्ली, दि. १९ (वृत्तसंस्था)- म्यानमार की सबसे प्रभावशाली नेता और विदेशमंत्री ‘आँग सॅन स्यू की’ इन दिनों चीन यात्रा पर हैं| इसी दौरान, म्यानमार के राष्ट्राध्यक्ष ‘तिन क्याव’ भारत की यात्रा पर आनेवाले हैं| उनकी इस यात्रा से पहले, भारत की विदेशमंत्री सुषमा स्वराज म्यानमार यात्रा पर जानेवाली हैं| म्यानमार मे लोकतंत्र आने के बाद इस देश पर रहनेवाला चीन का प्रभाव कम हुआ था| लेकिन म्यानमार की सरकार चीन के साथ उत्तम संबंध बनाये रखने के साथ ही, भारत के साथ के सहयोग को नयी उँचाई पर लेने की कोशिश कर रही है| राष्ट्राध्यक्ष तिन क्याव की भारत यात्रा से यही संकेत मिल रहा है|

म्यानमारइस साल के जनवरी महीने में म्यानमार की सेना का राज ख़त्म हुआ और इस देश में लोकतंत्र की स्थापना हुई| पिछले कई दशकों से, म्यानमार में राजनीतिक बदलाव और लोकतंत्र के लिए संघर्ष करनेवाली ‘स्यू की’ को मिली यह बेहतरीन विजय मानी जाती है| इस देश में संपन्न हुएँ चुनावों में स्यू की की पार्टी सत्ता पर आने के बाद भी, स्यू की ने राष्ट्राध्यक्ष पद के लिए इन्कार किया| इसके बदले विदेशमंत्री के पद पर स्यू की कार्यरत हैं| अपनी पहली विदेश यात्रा के लिये स्यू की ने चीन को चुना| चीन ने भी विदेशमंत्री स्यू की का राष्ट्राध्यक्ष की तरह ही स्वागत किया| इससे पहले का म्यानमार की सेना का शासन पूरी तरह चीन के प्रभाव में था| इस पृष्ठभूमि पर, क्या म्यानमार की लोकतांत्रिक सरकार भी चीन के प्रभाव को स्वीकार करेगी, यह सवाल जानकारों के मन में स्यू की चीन यात्रा से उठ रहा है|

sushma-swarajलेकिन म्यानमार के राष्ट्रपति ‘तिन क्याव’ ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिये भारत को चुना होने के संकेत दिये हैं| इससे म्यानमार अपनी विदेश नीति में समतोल रख रहा है, यह स्पष्ट हो रहा है| साथ ही, चीन के साथ महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में समझौता करके स्यू की ने चीन को नाराज़ नहीं होने दिया| साथ ही, राष्ट्राध्यक्ष ‘तिन क्याव’ की पहली विदेश यात्रा के लिए भारत चुना जाने से यह स्पष्ट होता है कि लोकतंत्रवादी भारत के साथ के संबंधो को म्यानमार सबसे ज़्यादा महत्त्व दे रहा है| म्यानमार में लोकतंत्र की प्रकिया शुरू है और उसी समय, अपना देश चीन के साथ भी अच्छे संबंध रखेगा, ऐसे स्यू की ने कहा है|

इसी दौरान, भारत की विदेशमंत्री सुषमा स्वराज २२ अगस्त को म्यानमार की यात्रा पर जानेवाली हैं। उनकी यह यात्रा भी दोनों देशों के लिए महत्त्वपूर्ण मानी जा रही है| भारतीय उपखंड में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन भारत के प्रभाव को चुनौती दे रहा है| इसके लिए म्यानमार के साथ के संबंध चीन को महत्त्वपूर्ण लग रहे हैं।

दक्षिण एशिया के देशों में अपना प्रभुत्व बढ़ाने के लिए चीन और भारत में प्रतियोगिता रंग गई है, ऐसा दावा कर पश्‍चिमी देश रहे हैं| श्रीलंका, बांगलादेश और म्यानमार इन देशों पर का अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन कोशिश कर रहा है, ऐसे सामने आया है| लेकिन इन देशों में पुरानीं सत्ताओं का तख़्ता पलट जाने के बाद चीन की इन कोशिशों पर मर्यादा पड़ गयी है|

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