चीन लष्कर ने ‘डोकलाम’ नहीं छोड़ा है – चीन के विदेश मंत्रालय का दावा

बीजिंग: चीन ने डोकलाम में तैनात अपने सैनिक की वापसी करने का दावा भारत के लष्कर प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने किया था, पर डोकलाम यह चीन का सार्वभौम भूभाग होकर इस जगह अभी भी चीनी सैनिक तैनात होने का दावा चीन के विदेश मंत्रालय ने किया है। पर भारत के लष्कर प्रमुखने इस बारे में किए दावे पर प्रतिक्रिया देने के लिए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बात टाली है तथा चीन पाकिस्तान में लष्करी तल विकसित कर रहा है, इस वृत्त को चीन के प्रवक्ता ने झुठलाया है।

सोमवार को नई दिल्ली में संपन्न एक कार्यक्रम में बोलते हुए भारत के लष्कर प्रमुख ने डोकलाम के बारे में महत्वपूर्ण विधान किए थे। इस जगह से चीनी सैनिकों ने वापसी करने की बात कहकर फिलहाल वहां पहले इतने चीनी सैनिक तैनात नहीं है, ऐसी जानकारी रावत ने दी थी। इसपर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग में प्रश्न पूछा गया था। भारतीय लष्कर प्रमुख ने दिए विधान पर सीधी प्रतिक्रिया देने के लिए कैंग ने उस समय टाला था, पर डोकलाम यह चीन का सार्वभौम भूभाग है, ऐसा कहकर इस बारे में किसी भी स्वरूप का विवाद संभव नहीं, ऐसा दावा किया है। तथा इस क्षेत्र में चीन अपने सार्वभौम अधिकार जता रहा है और वहां चीनी सैनिक तैनात होने का दावा किया है।

इसके साथ अरुणाचल प्रदेश में मतलब दक्षिण टीबेट होकर यह चीन का भूभाग होने की बात लू कैंग ने चीनी माध्यमों के सामने ज़ोर देकर कही है। यह विवाद समझदारी से सुलझे इसके लिए चीन चर्चा कर रहा है, ऐसा कैंग ने स्पष्ट किया है। दौरान अरुणाचल प्रदेश में चीनी जवानों ने घुसपैठ का प्रयत्न करने की वृत्ति कुछ दिनों पहले प्रसिद्ध हुए थे। चीनी जवान निर्माण के लिए साहित्य ले जाते समय वहा आए थे। पर उनके साहित्य जप्त करके भारतीय सैनिकों ने उन्हें वापस जानेपर विवश किया था। उसके बाद सीमा भाग में तैनात दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारी की चर्चा संपन्न हुई थी। इस चर्चा के बाद भारतीय लष्कर ने जप्त किए साहित्य चीन के हवाले किया था।

इस घटना के बाद, दोनों देशों की सीमा पर तनाव बढ़ने की बात उजागर हो रही है। पर भारतीय लष्कर प्रमुख ने इस बारे में बोलते समय चीन के साथ सीमा विवाद के बारे में चर्चा शुरू होने की जानकारी दी है। उस समय भारतीय लष्कर के सीमा भाग में चीन का दबाव सहन नहीं किया जाएगा, ऐसा स्पष्ट संदेश लष्कर प्रमुख ने दूसरे शब्दों में दिया है। तथा डोकलाम से चीनी सैनिकों को वापसी करनी पड़ी ऐसे सौम्य शब्दों में जनरल रावत ने माध्यमों से संवाद करते हुए कहा था।

इस पृष्ठभूमि पर चीन से अपेक्षित प्रतिसाद आया है। भारतीय लष्कर चीन से जुड़े सीमा पर सतर्क होकर, चीनी लष्करी के गतिविधियां पर भारत की कड़ी नजर रखी है, ऐसा इससे पहले भी स्पष्ट किया था। पर यह सीमा विवाद फिर से ना बिगड़े, इसके लिए भारत चीन विरोध में आक्रामक भाषा का उपयोग नहीं कर रहा है। पर दूसरी तरफ से चीन सीधे रूप से भारत को धमकियां नहीं दे रहा है, फिर भी लगातार घुसपैठ करके भारत पर दबाव बनाने का प्रयत्न कर रहा है। तथा चीन के माध्यम भारत युद्ध की तैयारी कर रहा है, ऐसा दावा करने लगे हैं।

दौरान भारत ईरान की छाबर बंदरगाह विकसित कर रहा है। इस बंदरगाह के पास होनेवाले पाकिस्तान के बलूचिस्तान में जीवनी बंदरगाह चीन अपने लष्करी तल निर्माण करने की खबरें प्रसिद्ध हुई थी। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कैंग ने इसे झूठलाया है और चीन पाकिस्तान में लष्करी तल नहीं निर्माण करने का खुलासा किया है।

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