चीन द्वारा अरब देशों को २३ अरब डॉलर्स का लालच

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बीजिंग – खाड़ी और अफ्रीका के लगभग २० देशों को २३ अरब डॉलर्स की आर्थिक सहायता करने की घोषणा चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने की है। चीन अपनी आर्थिक क्षमता का इस्तेमाल करके दुनिया भर के देशों को अपने कर्ज के जाल में फंसा रहा है, यह चर्चा विश्वभर में शुरू हुई है। उस पृष्ठभूमि पर, चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने की इस घोषणा के पीछे नए दांवपेच होने की कड़ी संभावना सामने आ रही है। अरब देशों पर वर्तमान में अमरिका और इस्राइल का प्रभाव बढ़ रहा है और इन देशों के भारत के साथ भी गहरे रिश्ते हैं। इसीलिए चीन इन देशों की कर रहा अर्थ सहायता मतलब अमरिका, इस्राइल और भारत के खिलाफ षडयंत्र है, ऐसा जानकारों का कहना है।

चीन में ‘चाइना-अरब स्टेट्स फोरम’ की बैठक शुरू है और इस बैठक को २० से भी अधिक अरब देशों के प्रमुख नेता और अधिकारी उपस्थित हैं। चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग की अध्यक्षता में चल रही इस बैठक में ‘वन बेल्ट, वन रोड’ (ओबीओआर) योजना पर जोर दिया गया है। ‘अरब देशों का स्थान चीन के प्राचीन सिल्क रोड के केंद्र में है। इस वजह से वन बेल्ट, वन रोड जैसी महत्वाकांक्षी योजना में वह चीन के प्राकृतिक साझेदार साबित होते हैं। चीनी और अरब जनता एक दूसरे से दूर हैं, फिर भी वह एक परिवार की तरह नजदीक हैं’, इन शब्दों में जिनपिंग ने चीन और अरब देशों के संबंधों की प्रशंसा की है।

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हिन्द महासागर, भूमध्य समुद्र, मध्य आशिया और पूर्व अफ्रीका को जोड़ने वाले जाल के अंतर्गत विविध परियोजनाओं में शामिल होने के लिए चीन उत्सुक है, ऐसा जिनपिंग ने कहा है। अरब देशों के साथ परिषद खत्म होने तक चीन और अरब देशों के बीच ‘ओबीओआर’ योजना के सन्दर्भ के सहकार्य पर अनुबंध पूरा हो जाएगा, ऐसी अपेक्षा भी उन्होंने व्यक्त की है।

‘वन बेल्ट, वन रोड’ यह जिनपिंग की महत्वपूर्ण योजना है और उसके लिए उन्होंने लगभग एक लाख करोड़ डॉलर्स का निधि का प्रावधान किया है। इस प्रचंड आर्थिक क्षमता के आधार पर आशिया-पसिफ़िक क्षेत्र से लेकर लैटिन अमरिकी देशों तक चीन का दबदबा निर्माण करने की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट राजवट की महत्वाकांक्षा है। उसके लिए आशिया, यूरोप, अफ्रीका, लैटिन अमरिका क्षेत्र की विभिन्न परियोजनाओं में अरबों डॉलर्स का निवेश और आर्थिक सहायता का लालच चीन से दिखाया जा रहा है।

इसके के अंतर्गत अरब देशों को भी लगभग २३ अरब डॉलर्स से अधिक आर्थिक सहायता घोषित की गई है। इसमें कर्ज और मानवतावादी सहायता इन दोनों का समावेश है और अरब देशों के आर्थिक विकास के लिए यह निधि दिया जा रहा है, ऐसा जिनपिंग ने स्पष्ट किया है। अरब देशों को की जाने वाली अर्थ सहायता की पूरी जानकारी घोषित नहीं की गई है, लेकिन इसमें से पॅलेस्टाईन को डेढ़ करोड़ डॉलर्स, सीरिया, लेबेनॉन, येमेन और जॉर्डन को लगभग १० करोड़ डॉलर्स की अर्थ सहायता करने के संकेत दिए गए हैं। इस क्षेत्र की सुरक्षा और निगरानी के लिए चीन ने १५ करोड़ डॉलर्स से अधिक निधि का भी प्रावधान किया है।

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