चीन यूरोप को छिनने की कोशिश में – यूरोपीय विश्लेषकों की चेतावनी

जीनिव्हा: आशिया के रास्ते यूरोप से जोड़ने की कोशिश कर रहे चीन की महत्वाकांक्षी ‘वन बेल्ट, वन रोड’ योजना (ओबीओआर) मतलब कर्जा का पिंजरा है। इसके पीछे यूरोप के बाजार को छिनने का षडयंत्र है, ऐसा गंभीर आरोप यूरोप के कुछ विश्लेषकों ने किया है। उसीके साथ ही यूरोपीय देश और महासंघ चीन के जाल में न फंसे, ऐसा आवाहन भी विश्लेषकों ने किया है।

संयुक्त राष्ट्रसंघ के मानवाधिकार संगठन का विशेष सत्र हाल ही में ब्रुसेल्स में पूरा हुआ है। इस दौरान आशियाई देशों की गतिविधियाँ और यूरोपीय महासंघ के साथ इन देशों के संबंध इसका अध्ययन करने वाले ‘साउथ आशिया डेमोक्रेटिक फोरम’ (एसएडीएफ) के अभ्यास समूहों से संबंधित विश्लेषकों ने चीन पर यह आरोप किए हैं। जमीन और समुद्री रास्ते से यूरोप को जोड़ने वाली चीन की ‘ओबीओआर’ योजना यूरोपीय देशों के लिए संकट साबित होगी, ऐसी चेतावनी विश्लेषकों ने इस दौरान दी है।

चीन, यूरोप, छिनने, कोशिश, यूरोपीय विश्लेषकों, चेतावनी, जीनिव्हा, संयुक्त राष्ट्रसंघ‘चीन को पूरी दुनिया पर कब्ज़ा करना है, विश्व का नेतृत्व करना। चीन की यह महत्वाकांक्षा यूरोप के लिए संकट साबित होगी। क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार से यूरोप को सीमापार करके चीन को यूरोप पर नियंत्रण पाना है’, ऐसा आरोप ‘एसएडीएफ’ के निदेशक सेगफ्रेड वूल्फ ने किया है। इसके लिए वूल्फ ने मध्य आशियाई देशों में चल रही चीन की गतिविधियों का प्रमाण दिया है। मध्य एशिया के कुछ देशों को चीन ने नई बुनियादी सुविधाओं के लिए प्रचंड पैसा दिया है। यह पैसा देते समय चीन ने इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर भी प्रभाव प्रस्थापित किया है, ऐसा वूल्फ ने कहा है।

पाकिस्तान पर चीन का प्रभाव, यह इसका सर्वोत्तम उदाहरण है, ऐसा वूल्फ ने कहा है। चीन की इन गतिविधियों की वजह से आशिया और अंतर्राष्ट्रीय बाजार से यूरोपीय महासंघ का प्रभाव नष्ट हो सकता है, ऐसा वूल्फ ने दावा किया है। ‘ओबीओआर’ के माध्यम से चीन संबंधित देशों पर अपना वर्चस्व बढाने की कोशिश कर रहा है, ऐसा आरोप इस अभ्यास समूह के संस्थापक और ‘यूरोपीय पार्लामेंट’ के भूतपूर्व सदस्य ‘पाओलो कैसाका ने किया है।

चीन, यूरोप, छिनने, कोशिश, यूरोपीय विश्लेषकों, चेतावनी, जीनिव्हा, संयुक्त राष्ट्रसंघ‘चीन के इस कर्ज के जाल को यूरोपीय देशों ने समय पर पहचानना आवश्यक है। चीन के इस जाल में श्रीलंका फंसी है। चीन ने दिए कर्जे को चूका न पाया इसलिए श्रीलंका का बंदरगाह चीन ने कब्जे में लिया’, ऐसा कहकर कैसाका ने यूरोपीय देशों को चीन से सावधान किया है। ‘साउथ चाइना सी के मामले में चीन ने अंतर्राष्ट्रीय नियमों की परवाह नहीं की, इसे ध्यान में रखें। यूरोपीय देशों ने समय पर ही अपने अधिकारों का इस्तेमाल नहीं किया तो यूरोप के साथ भी चीन ऐसा ही करेगा’, ऐसी चेतावनी ही कैसाका ने दी है।

हंगेरी के भूतपूर्व विदेश मंत्री ‘इस्तवान ईवायी’ ने भी चीन के खतरे को रेखांकित किया है। ‘चीन शांतिप्रिय देश है, ऐसा हम अबतक समझते थे। उसीके साथ ही एक अच्छा सहकारी है और चीन से कोई भी खतरा नहीं है, ऐसा लगता था। लेकिन चीन की ओबीओआर योजना देखने के बाद मेरा भ्रम भंग जो गया। क्योंकि ओबीओआर यह विकास परियोजना नहीं बल्कि चीन की विस्तारवादी योजना का बड़ा षडयंत्र है। इस योजना के साथ चीन सिर्फ आशिया ही नहीं बल्कि अफ्रीका और यूरोप तक अपने पैर फ़ैलाने की कोशिश में है’, ऐसा ईवायी ने आरोप किया है।

‘चीन से वैश्विक व्यवस्था को बाद खतरा है। ‘साउथ चाइना सी’, जिबौती, श्रीलंका और पाकिस्तान में चीन की गतिविधियाँ इसके संकेत देते हैं और पूरी दुनिया इस बात की तरफ ध्यान दे’, ऐसा ईवायी ने आवाहन किया है।

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