शी जिनपिंग आजीवन चीन के राष्ट्राध्यक्ष पद पर रहेंगे- चीन के संसद से घटना बदलाव को मंजूरी

बीजिंग: चीन के विद्यमान राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग इनको जीवन के आखिर तक देश के राष्ट्राध्यक्ष पद पर रखने का मार्ग खुला है। चीन के सत्ताधारी कम्युनिस्ट पक्ष का वर्चस्व होने वाले संसद में राष्ट्राध्यक्ष के २ टर्म का बंधन डालने वाले प्रावधान देश के घटना से निकालने की मंजूरी मिली है। इससे पहले चीन की कम्युनिस्ट पक्ष के संस्थापक एवं पहले राष्ट्राध्यक्ष माओ त्से-तुंग ने उनकी मृत्यु तक पक्ष तथा देश के प्रमुख के तौर पर सूत्र हाथ मे रखे थे।

रविवार को चीन के संसद में हुई बैठक में २९६४ सदस्यों में से ५ सदस्य को छोड़कर अन्य सदस्यों ने जिनपिंग इनकी ‘प्रेसिडेंट फॉर लाइफ’ के तौर पर नियुक्ति को मान्यता दी है। ३ सदस्य अनुपस्थित थे तथा २ सदस्यों ने उनके विरोध में मतदान करने की बात कही जाती है। नए बदलाव की वजह से विद्यमान राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग २०२३ वर्ष में उनका कार्यकाल खत्म होने के बाद भी चीन के राष्ट्राध्यक्ष के तौर पर कार्यरत रहेंगे। चीन में इस निर्णय का अंतिम राजनीति पर बड़ा परिणाम दिखाई दे रहा है, ऐसा कहा जा रहा है।

सन २०१२ वर्ष में शी जिनपिंग ने चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पक्ष के प्रमुख और राष्ट्राध्यक्ष पद की जिम्मेदारी का स्वीकार किया था। उसके बाद लगातार पक्ष एवं देश पर अपनी पकड़ अधिक से अधिक मजबूत करने के लिए उनकी गतिविधियां शुरू थी। पक्ष एवं देश के विभिन्न विभागों में से भ्रष्टाचार बढ़ने का कारण आगे करके जिनपिंग ने भ्रष्टाचार विरोध में आक्रामक मुहिम हाथ ली थी। वास्तव में उन्होंने इस मुहिम के माध्यम से पक्ष के अंतर्गत विरोध को तथा भविष्य में चुनौती साबित होने वाले नेताओं को आसानी से दूर किया था यह बात उजागर हुई थी।

खुद को लीडर के तौर पर घोषित करने के निर्णय से जिनपिंग ने पहली बार उस देश के सबकुछ होने की गतिविधियां शुरू होने के संकेत दिए थे। उसके बाद कम्युनिस्ट पक्ष के संस्थापक माओ त्से तुंग इनके बराबरी का स्थान प्राप्त करना एवं खुद के विचार पक्ष की घटना में शामिल करना, इस माध्यम से जिनपिंग ने पक्ष एवं देश में अपनी प्रतिमा अधिक सक्षम बनाई थी। राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग का नेतृत्व उत्तम दिखाने के लिए माओ का अनुकरण करते हुए भगवान येशु की प्रतिमा के बदले चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग की प्रतिमा लगाने की मुहिम भी चीन मे हुई थी।

पिछले वर्ष सितंबर महीने में हुए एक बैठक में जिनपिंग इनके अमर्याद नेतृत्व के बारे में पहली बार चर्चा हुई। इस बैठक में अध्यक्ष स्थान राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग इन्हीं के पास था। उसके बाद अक्टूबर महीने में कम्युनिस्ट पक्ष के बैठक में शी जिनपिंग ने संभाव्य वारिस नियुक्त करने की परंपरा तोड़ी थी। इसकी वजह से जिनपिंग एकाधिकारशाही की दिशा से मार्गक्रमण कर रहे हैं, ऐसे संकेत मिल रहे थे।

उसके बाद पिछले महीने में पहली बार चीन के सरकारी माध्यमों से जिनपिंग ने अमर्याद समय के लिए राष्ट्र के प्रमुख पद पर रखने का प्रस्ताव तैयार करने की मांग की जानकारी उजागर हुई है। इस प्रस्ताव पर चीन में कई अभ्यासक एवं विश्लेषकों से टीका हो रही थी।

चीन के कांग्रेस पक्ष के संस्थापक माओ त्से-तुंग यह उनके मृत्यु के आखिर तक पक्ष तथा देश के प्रमुख पद पर रहे थे। उनके बाद चीन के सूत्र संभालने के वाले डेंग शिओपिंग ने माओ के कार्यकाल की गलतियां टालने के लिए राष्ट्राध्यक्ष पद पर १० वर्ष का बंधन डालने का प्रावधान घटना में समाविष्ट किया था। पर अब उसे दूर करते हुए पक्ष एवं देश पर अपना वर्चस्व अमर्याद समय के लिए कायम रखने की जिनपिंग इन की महत्वकांक्षा आखिर में पूर्ण होती दिखाई दे रही है।

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