चीन की तरफ से अर्थसहायता का हथियार के तौर पर  इस्तेमाल करने की नीति अमरिका के लिए खतरनाक- अमरिकी वरिष्ठ अधिकारी का इशारा      

वॉशिंग्टन/बीजिंग: ‘चीन के बारे में नीतियों का विचार करते समय एक बात ध्यान में रखनी पडती है, वह है उनका चेकबुक। चीन उनके लष्कर का विस्तार और तकनीकी प्रगति के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया में प्रभाव बढाने के लिए डॉलर्स और सेंट्स का ढीले हाथों से इस्तेमाल कर रहा है। चीन अपनी पूँजी का इस्तेमाल हथियार जैसा करा रहा है’, ऐसा स्पष्ट इशारा देकर चीन की यह नीति अमरिका के लिए बहुत खतरनाक साबित होगी, ऐसी चिंता अमरिका के ‘नेवी सेक्रेटरी’ रॉबर्ट व्ही. स्पेंसनर ने व्यक्त की है। अमरिका के वरिष्ठ लष्करी अधिकारी जनरल रॉबर्ट नेलर और जनरल थॉमस वॅल्डहाऊजर ने भी इसकी पुष्टि की है।

अमरिकी संसद के सामने हाल ही में हुई सुनवाई के दौरान चीन का खतरा सामने आया है। ‘नेवी सेक्रेटरी’ स्पेंसनर ने चीन के मामले में खतरे को स्पष्ट करते समय श्रीलंका में स्थित ‘हंबंटोटा’ बंदरगाह का उदाहरण दिया है। इस बंदरगाह के अधिकारों के लिए चीन ने लगभग १.१२ अरब डॉलर्स खर्च करने की बात सामने आई है। ‘चीन के खुले चेकबुक ने मेरी रात की नींद उडादी है’, इन शब्दों में स्पेंसर ने चीन के बढ़ते खतरे को अधोरेखित किया है। अमरिका के ‘मरिन कॉर्प्स’ के प्रमुख जनरल नेलर ने भी स्पेंसर के मुद्दे की पुष्टि की है।

‘चीन को मानवाधिकार के साथ लेनादेना नहीं है, उनके पास प्रचंड कॅश फंड उपलब्ध है। अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन ने रनवेज, बंदरगाह खरीदने का सिलसिला शुरू किया है। उनको संघर्ष किए बिना ही जीतना है’, ऐसा इशारा नेलर ने दिया है। चीन दीर्घकाल के लिए इस खेल को खेलने के इरादे से उतरा है, ऐसा भी नेलर ने कहा है।

नेलर के साथ ही अमरिका के अफ्रीका महाद्वीप के लष्कर प्रमुख जनरल थॉमस वॅल्डहाऊजर ने भी चीन के बारे में चिंता जताई है। अफ्रीका का सामरिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण ‘जिबौती’ के मुद्दे को उपस्थित करके उन्होंने कार्रवाइयों की तरफ ध्यान आकर्षित किया है। चीन ने जिबौती को दिया हुआ कर्जा और अन्य अर्थ सहायता का उल्लेख करके जिबौती पर चीन प्रतिबन्ध लगा सकता है’, ऐसा इशारा जनरल वॅल्डहाऊजर ने दिया है। साथ ही ऐसा हुआ तो अमरिका के हितसंबंधों पर बड़ा परिणाम हो सकता है, ऐसा भी उन्होंने इशारा दिया है।

चीन अफ्रीका में ज्यादा से ज्यादा अड्डे बनाने के लिए कोशिश कर रहा है और ‘जिबौती’ उसकी शुरुआत है, यह बात भी वॅल्डहाऊजर ने सामने लाई है। अमरिकी संसद सदस्य ब्रॅडले बायर्न ने भी रक्षामंत्री जेम्स मॅटिस को लिखे खत में ‘जिबौती’ के मुद्दे को उपस्थित किया है। रक्षा और लष्करी अधिकारी साथ ही संसद सदस्यों ने उपस्थित की चीन की चिंता के बारे में अमरिकी गुप्तचर प्रमुख की तरफ से भी ध्यान आकर्षित किया गया था।

अमरिका के ‘नॅशनल इंटेलिजेंस’ के प्रमुख डॅन कोट्स ने चीन ने दुनियाभर के ६८ देशों में विस्तार के लिए करीब ८ अरब डॉलर्स खर्च करने का दावा किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.