पेलोसी की दौरे की पृष्ठभूमि पर चीन ताइवान पर नो-फ्लाईजोन घोषित करेगा

वॉशिंग्टन/ताइपे – अमरिकी प्रतिनिधिगृह की सभापति नैन्सी पेलोसी जल्द ही ताइवान का दौरा करेगी, ऐसी खबरें प्राप्त हुईं थी। इससे बेचैन हुए चीन ने अमरीका को गंभीर परिणामों का इशारा दिया था। चीन ताइवान पर नो-फ्लाई ज़ोन घोषित करेगा और ताइवान की सीमा में प्रवेश कर रहे विदेशी विमानों को लक्ष्य करेगा, यह दावा अमरिकी चैनल ने किया। इसी बीच चीन के हवाई हमलों के खिलाफ तैयारी के तौर पर सोमवार को अमरीका ‘मिसाइल अलर्ट’ जारी करके तुरंत ही युद्धाभ्यास का आयोजन किया।

ताइवान मसले पर चीन अधिक आक्रामक हो रहा है। कुछ दिन पहले बायडेन ने ताइवान के लिए सैन्य सहायता का ऐलान किया था। इससे पहले राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने अमरीका ताइवान को चीन विरोधि युद्ध में सहायता प्रदान करेगी, ऐसा कहा था। लेकिन, चीन के विरोध की वजह से बायडेन प्रशासन को ताइवान संबंधित अपने निर्णय बदलने पड़े, यह भी सामने आया था। ऐसी स्थिति में पिछले हफ्ते अमरिकी प्रतिनिधि सदन की सभापति नैन्सी पेलोसी ताइवान का दौरा करेंगी, ऐसी खबरें प्राप्त हुई थीं।

साल १९९७ में सभापति के तौर पर न्युट गिंगरिच ने ताइवान की यात्रा की थी। इस वजह से २५ वर्ष बाद पहली बार अमरिकी सभापति पेलोसी ताइवान की यात्रा करेंगे, ऐसी खबरें प्रसिद्ध हुई थीं। पेलोसी के दफ्तर ने इसकी पुष्टि नहीं की है। लेकिन, इससे आगबबूला हुए चीन ने सीधे अमरीका को गंभीर परिणामों का इशारा दिया था। पेलोसी ने ताइवान का दौरा किया तो सैनिकी जवाब का सामना करना पडेगा, ऐसा चीन ने धमकाया था। चीन के विदेश मंत्रालय ने इस जवाब पर अधिक बयान करना टाल दिया।

लेकिन, पेलोसी के दौरे की पृष्ठभूमि पर चीन ताइवान पर नो-फ्लाइ ज़ोन घोषित कर सकता है, ऐसा दावा अमरीका के शीर्ष समाचार चैनल ने किया। इसके साथ ही चीन ताइवान की हवाई सीमा में प्रवेश करनेवाले विमानों को लक्ष्य करेगा तथा ज़रूरत पड़ने पर चीन ताइवान में अपने लड़ाकू विमान भेजेगा, ऐसी जानकारी इस समाचार चैनल ने बायडेन प्रशासन के अधिकारी के दाखिल से साझा की। ऐसा हुआ तो बायडेन प्रशासन का पुख्ता क्या जवाब होगा, इस पर बयान करने से यह अधिकारी दूर रहा।

लेकिन, चीन ने पहले भी ताइवान की सीमा में अपने लड़ाकू और बॉम्बर विमानों को भेजा है। पिछले सात महीनों में चीन के सौ से अधिक विमानों ने ताइवान की हवाई सीमा के करीब खतरनाक उड़ान भरने की घटनाएँ भी सामने आयी थीं। चीन की यह सैन्य आक्रामकता ताइवान के साथ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए खतरनाक साबित हो रही है, ऐसी चिंता अमरिकी रक्षाबलप्रमुख जनरल मार्क मिले ने व्यक्त की। इसी बीच ताइवान पर हमला करने के लिए चीन अवसर की प्रतिक्षा में होने की चेतावनी अमरिकी गुप्तचर यंत्रणा ‘सीआईए’ के प्रमुख विल्यम बर्न्स ने दी थी।

इसी बीच चीन ने ताइवान पर हमला किया तो इससे अपनी सुरक्षा के लिए भी खतरा निर्माण होगा, ऐसा कहकर जापान ने चीन को आगाह किया था। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया ने भी ताइवान की सुरक्षा के लिए चीन के खिलाफ होने के संकेत दिए थे।

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