झिंजियांग के छल शिविरों में कैद उइगरवंशियों की चीन रिहाई करें – संयुक्त राष्ट्र संगठन के ५० सदस्य देशों की माँग

न्यूयॉर्क – चीन की शासक कम्युनिस्ट हुकूमत झिंजियांग के उत्पीड़न शिविरों में कैद रखे उइगरवंशी और अन्य अल्पसंख्यांकों को रिहा करें, ऐसी माँग संयुक्त राष्ट्र संगठन के ५० सदस्य देशों ने की है। यह माँग करनेवाले देशों में अमरीका, कनाड़ा, इस्रायल और यूरोपिय देशों के साथ तुर्की और सोमालिया का समावेश है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय का हिस्सा होनेवाले देशों ने इतनी बड़ी मात्रा में साथ मिलकर उइगरवंशीयों के मुद्दे पर आवाज़ उठाने का यह पहला अवसर बना हैं।

झिंजियांगसंयुक्त राष्ट्र संगठन की ‘थर्ड कमिटी ऑन ह्युमन राईटस्‌‍’ की बैठक सोमवार को हुई। इस दौरान अमरिका के साथ पश्चिमी देशों की पहल से झिंजियांग के उइगरवंशियों के मुद्दे पर चर्चा हुई। इस चर्चा के बाद बैठक में मौजूद देशों में से ५० देशों ने संयुक्त निवेदन जारी किया। इसमें चीन झिंजियांग में कर रहीं हरकतें यानी मानवता विरोधी अपराध होने का आरोप लगाया हैं। उइगरवंशीयों के साथ अन्य अल्पसंख्यक गुटों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने पेश किए रपट की याद चीन को कराई गई। इस रपट की सिफारीशों का चीन पालन करें और उत्पीड़न शिविरों में कैद लाखों उइगरवंशियों को रिहा करें, ऐसी माँग इन ५० देशों ने बड़ी तीव्रता से रखी।

कुछ साल पहले संयुक्त राष्ट्र ने चीन के इन शिविरों से संबंधित एक रपट जारी करके लगभग ११ लाख उइगरवंशियों को जबरन रिहासत में रखा होने की बात सार्वजनिक की थी। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उइगरवंशियों का मुद्दा लगातार उठाया जा रहा है। अमरीका, कनाड़ा के साथ कुछ देशों ने चीन द्वारा उइगरों पर हो रहें अत्याचार नरसंहार की तरह होने का आरोप लगाया है। अन्य देशों ने भी इस मुद्दे को बार बार उठाना शुरू करके चीन की लगातार घेराबंदी करना शुरू किया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही इस घेराबंदी की वजह से चीन की हुकूमत बेचैन हैं और उइगरों के साथ अन्य मुद्दों पर आवाज़ उठा रहें देशों को धमकाने की और उनपर दबाव बनाने की कोशिश हो रही हैं।

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