चीन-तैवान के बढ़ते तनाव की पृष्ठभूमि पर जापान की रक्षा नीति मे आक्रामक बदलाव

– जापान के समुद्री क्षेत्र में १२ देशों का नौसैनिकी युद्धाभ्यास
– जापान करेगा हायपरसोनिक मिसाइल का निर्माण

रक्षा नीतिटोकियो – जापान के योकोसूका बंदरगाह में रविवार से १२ देशों का बड़ा युद्धाभ्यास शुरू हुआ। इसके बाद तुरंत ही ‘क्वाड’ देशों के ‘मलबार’ युद्धाभ्यास का भी आयोजन हो रहा हैं। साथ ही जापान ने अगले पांच वर्ष में स्वयं को रक्षा क्षेत्र में पूरी तरह से तैयार करने की तैयारी शुरू की है। इसके लिए जापान हाइपरसोनिक मिसाइल एवं हमलावर ड्रोन का निर्माण करने की दिशा में काम करेगा। चीन से होने वाला खतरा बढ़ने की स्थिति मे जापान की सुरक्षा की गारंटी दे रहें अमरीका पर भी जापान का अविश्‍वास उतनी ही मात्रा में बढ़ रहा हैं। इसकी छबि जापान की नई रक्षा नीति में दिखाई दे रही है।

रक्षा नीतिशी जिनपिंग लगातार तीसरी बार चीन के राष्ट्राध्यक्ष बने हैं और कम्युनिस्ट पार्टी पर उनकी पकड़ अधिक मज़बूत हुई हैं। चीन की कमान संभालने के बाद राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने पिपल्स लिबरेशन आर्मी को युद्ध के लिए रहने के आदेश दिए हैं। इसी बीच उत्तर कोरिया ने पिछले हफ्ते बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण करके इस क्षेत्र में तनाव बढ़ाया है। इनमें से एक अंतरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल जापान के समुद्री क्षेत्र के करीब गिरी थी। ऐसें दौर में जापान के योकोसूका बंदरगाह के समुद्री क्षेत्र में जापान और मित्रदेशों का बड़ा युद्धाभ्यास शुरू हुआ हैं।

जापान के साथ भारत, अमरीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, सिंगापूर औरथायलैण्ड जैसें प्रमुख देशों के ३८ युद्धपोत, ३३ लड़ाकू विमान और पनडुब्बी तलाश ने की क्षमता रखनेवाले गश्‍ती विमान एवं हेलीकॉप्टर्स भी इस युद्धाभ्यास मे शामिल है। इनमें अमरिकी विमान वाहक युद्धपोत ‘यूएसएस रोनाल्ड रिगन’ काभी समावेश होने का दावा किया जा रहा है। भारत के २ विध्वंसक ‘आईएनएस शिवालिक’ और ‘आईएनएस कमोर्टा’ इस युद्धाभ्यास का हिस्सा हैं।

रक्षा नीतिजापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ने इस युद्धाभ्यास का निरीक्षण किया। साथ ही ‘अंतरराष्ट्रीय समुद्री नियम तोड़ कर अपने सामर्थ्य कागलत इस्तेमाल कर के अन्य देशों की शांति और सुरक्षा को कुचल रहे देशों के विरोध में कार्रवाई करने के लिए हमें तैयार रहना होगा’, ऐसा आवाहन प्रधानमंत्री किशिदा ने किया। दो दिन का यह युद्धाभ्यास खत्म होने के बाद अमरीका, भारत और ऑस्ट्रेलिया इन ‘क्वाड’ सदस्य देशों की नौसेना का ‘मलबार’ युद्धाभ्यास भी जापान में मंगलवार से शुरू होगा। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा के लिए इस युद्धाभ्यास का आयोजन होने की बात जापान ने कही है।

इस युद्धाभ्यास के साथ ही जापान ने अगले पांच वर्ष के लिए अपनी रक्षा नीति स्पष्ट की है। अमरीका, रशिया, चीन और भारत की तरह जापान भी हायपरसोनिक मिसाइल के निर्माण की कोशिश करेगा। जापान के रक्षाबल में ज़मीन से ज़मीन पर हमला करने वाली मिसाइल को हायपरसोनिक इंटरसेप्टर मे तब्दिल करने का विचार जापान की सरकार और रक्षाबल कर रहे हैं। साल २०२९ तक जापान इस मिसाइल का निर्माण पूरा करेगा, यह दावा हो रहा है। साथ ही जापान आत्मघाती ड्रोन्स के निर्माण की भी कोशिश कर रहा है। चीन की बढ़ती आक्रामकता की पृष्ठभूमि पर जापान ने यह गतविधियाँ शुरू की, ऐसा जापानी माध्यमों का कहना हैं। साथ ही अबतक जापान की सुरक्षा करने की गारंटी दे रहें अमरीका का भरोसा कमज़ोर होने की वजह से जापान को यह कदम उठाने पड़े, ऐसा दावा विश्‍लेषक कर रहे हैं।

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