रशिया और चीन द्वारा महत्त्वाकांक्षी ‘मून बेस’ की घोषणा

सेंट पीटर्सबर्ग – रशिया और चीन ने चांद पर स्वतंत्र अड्डा बनाने की घोषणा की है। उसके लिए, आनेवाले अक्तूबर महीने में चांद पर मुहिम भेजी जानेवाली होकर, अगले दशक में ‘मून बेस’ कार्यरत होने के संकेत दोनों देशों द्वारा दिए गए हैं। रशिया में हाल ही में हुई एक अन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष परिषद के दौरान दोनों देशों ने अंतरिक्ष में सहयोग अधिक बढ़ाने का भी ऐलान किया। रशिया और चीन का यह बढ़ता अंतरिक्ष सहयोग, अमरीका समेत पश्चिमी देशों के प्रभाव को ठेंठ चुनौती देनेवाला माना जाता है।

russia-china-moon-base-2कुछ ही दिन पहले अमरीका की अंतरिक्ष संस्था ‘नासा’ की पहल से तैयार किए गए ‘आर्टेमिस ऍकॉर्डस्’ पर ब्राज़ील ने हस्ताक्षर किए थे। ब्राज़ील यह इस समझौते पर हस्ताक्षर करनेवाला १२वाँ देश बना है। इस समझौते के माध्यम से अमरीका अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए स्वतंत्र मोरचा विकसित करने की बात बताई जाती है। इस समझौते में, चांद पर अंतरिक्ष मुहिम के साथ ही, चांद पर होनेवाली खनिज संपत्ति तथा अन्य व्यवसायिक बातों का भी समावेश है। अमरीका ने हालांकि दुनिया के सभी देशों को इस समझौते के लिए आमंत्रित किया है, फिर भी रशिया और चीन उसमें सहभागी नहीं होंगे, यह इससे पहले स्पष्ट हुआ है।

१९५०-६० के दशक में अंतरिक्ष में पहला उपग्रह और पहला अंतरिक्ष यात्री भेजकर, तत्कालीन ‘सोव्हिएत रशिया’ ने अंतरिक्ष क्षेत्र में जबरदस्त बढ़त हासिल की थी। लेकिन पिछले दो दशकों में रशिया इस मोर्चे पर पिछड़ता हुआ दिख रहा है, जिसके पीछे निधि की कमी यह प्रमुख कारण माना जाता है। यहाँ रशिया इस क्षेत्र में पिछड़ रहा है; वहीं, चीन तेज़ी से अंतरिक्ष क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाता हुआ दिखाई दे रहा है। चीन के अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रवेश से लेकर कई अंतरिक्ष मुहिमों में रशिया का सहयोग यह अहम घटक रहा है।

इसी पृष्ठभूमि पर, पिछले दो सालों में दोनों देशों ने अंतरिक्ष क्षेत्र में संयुक्त मुहिमें चलाने के लिए पहल करने की शुरुआत की है। दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने इस बारे में आग्रही भूमिका अपनाई होकर, व्यापक अंतरिक्ष सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए हैं। रशिया के पास अंतरिक्ष क्षेत्र की मुहिम के लिए आवश्यक तंत्रज्ञान तथा कुशलता होकर, चीन के पास बड़े पैमाने पर निधि और मनुष्यबल उपलब्ध है। इन बातों को एकत्रित लाकर अंतरिक्ष में स्वतंत्र मोरचा बनाने के लिए दोनों देश तेज़ी से कदम उठा रहे हैं।

russia-china-moon-base-1चांद पर बनाया जानेवाला ‘इंटरनॅशनल ल्युनार रिसर्च स्टेशन’ यह अड्डा उसी का भाग माना जाता है। चांद के दक्षिण ध्रुव पर यह अड्डा बनाया जायेगा, ऐसी जानकारी रशिया और चीन की अंतरिक्ष संस्थाओं ने दी है। इस अड्डे के साथ ही, चांद की भ्रमण कक्षा में एक ‘स्पेस स्टेशन’ भी विकसित किया जाने वाला है।

इस महत्त्वाकांक्षी ‘मून बेस’ के लिए पहली मुहिम अक्तूबर महीने में भेजी जाएगी, ऐसी घोषणा दोनों देशों द्वारा की गई। रशिया और चीन द्वारा किए गए दावों के अनुसार, यह अड्डा अगले दशक के अंत तक कार्यरत हो सकता है। चीन ने हाल ही में स्वतंत्र अंतरिक्ष स्थानक का निर्माण करने के लिए सफल मुहिम चलाने की बात सामने आई होकर, चांद पर बनाया जानेवाला अड्डा चीन का अंतरिक्ष में वर्चस्व अधिक बढ़ानेवाला साबित हो सकता है।

रशिया और चीन द्वारा अंतरिक्ष में जारी गतिविधियों की, अमरीका समेत पश्चिमी देशों ने इससे पहले ही आलोचना की है। इन दोनों देशों की गतिविधियाँ संदेहास्पद होकर, वे अंतरिक्ष का लष्करीकरण कर रहे हैं, ऐसा आरोप अमरिकी अधिकारियों द्वारा किया गया है। वही, रशिया और चीन की अंतरिक्ष में बढ़ती आक्रामकता को ब्रिटेन प्रत्युत्तर देगा, ऐसी खुली चेतावनी ब्रिटेन के रक्षा मंत्री ने पिछले साल दी थी। 

Leave a Reply

Your email address will not be published.