अमरीका खाड़ी क्षेत्र से विमान, क्षेपणास्त्र यंत्रणाएँ हटा रही है – अमरिकी अखबार का दावा

वॉशिंग्टन – अमरीका खाड़ी क्षेत्र में तैनात किए गए लड़ाकू विमान और प्रगत क्षेपणास्त्रभेदी यंत्रणाएँ हटानेवाली है। बदलती लष्करी नीतियों की पृष्ठभूमि पर यह कदम उठाया जा रहा है, ऐसा दावा अमरीका के अखबार ने किया। चीन की बढ़ती हुई चुनौतियों का सामना करने के लिए खाड़ी क्षेत्र से विमान और क्षेपणास्त्रभेदी यंत्रणा हटाकर, उन्हें चीन के विरोध में तैनात किया जानेवाला है, ऐसा इस अखबार ने कहा है।

us-gulf-1सऊदी अरब, जॉर्डन, कुवैत और इराक इन चार खाड़ी क्षेत्र के देशों में तैनात विमान और क्षेपणास्त्रभेदी यंत्रणाएँ अन्यत्र तैनात की जायेंगी। इनमें आठ पॅट्रियॉट क्षेपणास्त्रभेदी और एक ‘टर्मिनल हाय अल्टिट्यूड एरिया डिफेन्स-थाड’ इस यंत्रणा का समावेश है। इस क्षेपणास्त्रभेदी यंत्रणाओं के साथ तैनात किए गये अमरिकी जवानों को भी वापस बुलाया जाएगा। इसके अलावा इन चारों देशों में तैनात लड़ाकू विमानों की संख्या भी कम की जाएगी, ऐसी जानकारी ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ इस अमरिकी अखबार ने दी। बायडेन प्रशासन के अधिकारियों के हवाले से इस अखबार ने यह दावा किया।

अमरीका के रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन और सऊदी अरब के क्राऊन प्रिन्स और रक्षा मंत्री मोहम्मद बिन सलमान के बीच इस महीने की शुरुआत में चर्चा संपन्न हुई थी। उस समय इस विषय पर बातचीत हुई थी, ऐसा इस अखबार का कहना है। यह वापसी मर्यादित स्वरूप की होकर, पिछले दो सालों में खाड़ी क्षेत्र में तैनात कीं गईं यंत्रणाएँ हटाईं जा रहीं है, ऐसी जानकारी बायडेन प्रशासन के अधिकारी ने इस अखबार को दी।

us-gulf-2सन २०१९ में सऊदी अरब की दो बड़ी इंधन परियोजनाओं पर ईरानी बनावट के ड्रोन के हमले हुए थे। उसके बाद खाड़ी क्षेत्र में तनाव बढ़ा था और सऊदी अरब की दो बड़ी इंधन परियोजनाओं की सुरक्षा का मसला चर्चा में आया था। तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने सऊदी की इंधन परियोजनाओं की सुरक्षा के लिए फौरन अतिरिक्त क्षेपणास्त्रभेदी यंत्रणाएँ तैनात कीं थीं। वहीं, पिछले साल ईरान का कमांडर कासेम सुलेमानी की हत्या के बाद, इराक स्थित अमरीका के लष्करी अड्डों पर ड्रोन और क्षेपणास्त्र हमले बढ़े थे। उसके बाद अमरीका ने इराक, कुवैत में भी क्षेपणास्त्रभेदी यंत्रणाएँ तैनात कीं थीं। उन्हीं यंत्रणाओं को हटाया जा रहा है, ऐसा बायडेन प्रशासन के अधिकारियों का कहना है।

लेकिन खाड़ी क्षेत्र के देशों में तैनात होनेवाले लड़ाकू विमान, क्षेपणास्त्रभेदी यंत्रणाएँ और हजारों जवान वैसे ही तैनात रखे जायेंगे, इसमें बदलाव नहीं होगा, ऐसा इस अमरिकी अखबार ने कहा है। ईरान के साथ परमाणु समझौते पर चल रही चर्चा को अगर सफलता मिली, तो ईरान से होनेवाला खतरा कम होगा और उसके बाद खाड़ी क्षेत्र में इतनी बड़ी सेना तैनाती की आवश्यकता महसूस नहीं होगी, ऐसा बायडेन प्रशासन को लग रहा है, ऐसा इस अखबार ने कहा है।

उसी के साथ, खाड़ी क्षेत्र में यह सेना कटौती करके चीन के विरोध में इसकी तैनाती की जाएगी, यह बायडेन प्रशासन के अधिकारियों ने स्पष्ट किया। चीन से बढ़ रहे खतरे की पृष्ठभूमि पर यह नई तैनाती शुरू है, यह जानकारी इन अधिकारियों ने दी। अमरिकी अखबार की इस खबर पर पेंटागन ने प्रतिक्रिया नहीं दी है।

लेकिन महीने भर पहले अमरीका की ‘सेंट्रल कमांड-सेंटकॉम’ के प्रमुख जनरल केनिथ मॅकेन्झी ने दी चेतावनी को बायडेन प्रशासन नजरअंदाज कर रहा होने का दावा अन्य अमरिकी माध्यम कर रहे हैं। अफगानिस्तान से वापसी करने के बाद अगर अमरीका ने खाड़ी क्षेत्र से भी सेना कटौती की अथवा वापसी की, तो चीन और रशिया उसका फायदा उठायेंगे। चीन खाड़ी क्षेत्र के देश में अपना प्रभाव बढ़ाकर अमरीका को चुनौती देने के लिए प्रतीक्षा कर रहा है, ऐसा जनरल मॅकेन्झी ने जताया था।

बायडेन प्रशासन इस चेतावनी को अनदेखा करके खाड़ी क्षेत्र के बारे में यह अहम निर्णय कर रहा है। खाड़ी क्षेत्र के देशों में तैनात होनेवालीं अपनी क्षेपणास्त्रभेदी यंत्रणाएँ और लड़ाकू विमान अगर अमरीका ने हटाए, तो ईरान को उसका बहुत बड़ा फायदा होगा। दरअसल सऊदी अरब जैसे देश को सबक सिखाने के लिए बायडेन प्रशासन यह फैसला कर रहा होने के संकेत मिल रहे हैं। ईरान के साथ हो रहे अमरीका के परमाणु समझौते का कड़ा विरोध करनेवाले इस्रायल को भी इसके जरिए संदेश देने का बायडेन प्रशासन का हेतु हो सकता है।

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