सुरक्षा परिषद की कार्रवाई से चीन ने ‘जैश’ के आतंकी को बचाया

नई दिल्ली – ‘जैश-ए-मोहम्मद’ के उप-प्रमुख अब्दुल रौफ अज़हर पर संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्रवाई का प्रस्ताव चीन ने रोक दिया। भारत और अमरीका द्वारा पेश किए हुए इस प्रस्ताव पर सोचने के लिए हमें अधिक समय चाहिए, यह कारण बताकर चीन ने इस प्रस्ताव में बाधा ड़ाली। इस पर भारत का बयान प्राप्त हुआ है। आतंकी पर कार्रवाई करने के लिए चीन का ऐसे देर करना दुर्भाग्यशाली और अनावश्यक है, ऐसी फटकार भारत के विदेश मंत्रालय ने लगायी।

कार्रवाई भारत में आतंकी हमले कर रहे ‘जैश’ के प्रमुख मौलाना मसूद अज़हर के भाई और इस आतंकी संगठन के उप-प्रमुख अब्दुल रौफ अझहर पर कार्रवाई करने का प्रस्ताव भारत और अमरीका ने दिया था। संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद के सामने रखे इस प्रस्ताव को रोककर चीन ने फिर से आतंकी को बचाया है। इस प्रस्ताव पर सोचने के लिए अधिक समय की ज़रुरत का कारण देकर चीन ने इस प्रस्ताव को रोका। अपने इस निर्णय से कोई अलग अनुमान ना लगाए, ऐसा चीन ने कहा है।

दो दिन पहले ‘लश्कर-ए-तोयबा’ का आतंकी अब्दुल रेहमान मक्की का चीन ने इसी तरह बचाव किया था। इस पर संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की राजदूत रुचिरा कंबोज ने आतंकियों का बचाव कर रहे चीन का सीधे ज़िक्र किए बिना आलोचना की थी। इसका दाखिला देकर चीन ने अब्दुल रौफ अझहर पर अपने निर्णय का समर्थन किया है। लेकिन, भारत के विदेश मंत्रालय ने चीन के इस निर्णय का संज्ञान लिया है। आतंकी पर हो रही कार्रवाई को रोककर चीन कर रहा देरी अनावश्यक है, ऐसा भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है।

कार्रवाई आतंकियों के विरोधी अपनी जंग में अंतरराष्ट्रीय समुदाय एकमुख से आवाज़ नहीं उठाता, यह बडी दुर्भाग्यशाली बात है, ऐसा बागची ने आगे कहा। भारत ने पहले भी आतंकियों का बचाव करने के लिए पहल करनेवाले चीन की आलोचना की थी। लेकिन, चीन पर इसका असर नहीं हुआ। बाद के समय में भी तकनीकी कारण बताकर चीन भारत में आतंक फैला रहे आतंकियों पर संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में कार्रवाई रोकता रहेगा, यही संदेश यह देश दे रहा है।

अब्दुल रौफ अज़हर साल १९९९ में इंडियन एअर लाईन्स के ‘आईसी ८१४’ के अपहरण में शामिल था। साल २००१ में भारत की संसद पर हुए हमले में एवं २०१६ में भारतीय वायुसेना के पठानकोट हवाई अड्डे पर आतंकी हमले की साज़िश में भी अज़हर का योगदान था। ऐसे आतंकी पर कारवाई को रोककर चीन ने फिर से भारत को उकसाया है। सिर्फ भारत हीं नहीं बल्कि, अमरीका ने भी यह प्रस्ताव रखा था। सुरक्षा परिषद के अन्य १४ सदस्य देशों ने भारत और अमरीका ने संयुक्त कोशिश से रखे गए इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। ऐसी स्थिfति में चीन ने आतंकी का बचाव करना ध्यान आकर्षित कर रहा है।

चीन ने पहले भी भारत के सुरक्षा संबंधित हित की परवाह किए बिना आतंकि पर सुरक्षा परिषद की कार्रवाईयां रोकने के लिए पहल की थी। लेकिन, पिछले कुछ महीनों से चीन के ऐसे निर्णयों पर भारत से तीव्र बयान दर्ज़ हो रहे हैं। आनेवाले समय में भी चीने के इस निर्णय की गूंज सुनाई देगी, ऐसी कड़ी संभावना सामने आ रही है। भारत के विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया से इसके संकेत मिल रहे हैं।

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