‘भारत की ‘एनएसजी सदस्यता’ का मतलब ‘बिदाई का तोहफा’ नहीं’ : ओबामा प्रशासन को चीन की फटकार

बीजिंग, दि. १६ : ‘परमाणुप्रसारबंदी समझौते’ पर दस्तखत न करनेवाले देशों को ‘एनएसजी’ सदस्यता देने का मतलब, दोनों देशों ने आपस में बिदाई का तोहफा देने जैसा नहीं है, ऐसी फटकार चीन ने लगायी है| कुछ दिन पहले अमरीका के ओबामा प्रशासन ने, भारत की सदस्यता के मुद्दे पर चीन जानबूझकर रोड़े डालने की भूमिका अपना रहा है, ऐसा दावा किया था| इन इल्जामों को चीन द्वारा यह जवाब दिया गया है| चीन ने पिछले साल लगातार भारत की ‘एनएसजी’ सदस्यता की प्रक्रिया में दिक्कतें निर्माण की थीं|

‘बिदाई का तोहफा’ ‘भारत ने ‘एनएसजी’ की सदस्यता के लिए की हुई अर्ज़ी और ‘परमाणुप्रसारबंदी समझौते’ पर दस्तखत न करनेवाले देशों को ‘न्यूक्लिअर सप्लायर्स ग्रुप’ की सदस्यता देने के मुद्दे पर चीन ने अपनी स्पष्ट भूमिका इससे पहले रखी है| इस वजह से उसका बार बार ज़िक्र करने की ज़रूरत नहीं है| लेकिन एक मुद्दा विशेष रूप से रखना है| ‘एनएसजी’ की सदस्यता यह कोई, एक देश ने दूसरे देश को दिया हुआ बिदाई का तोहफ़ा नहीं हो सकता’ ऐसे कड़े शब्दों में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने अमरीका को फटकार लगायी है|

ओबामा प्रशासन का कार्यकाल ख़त्म होने से पहले भारत को ‘एनएसजी’ की सदस्यता मिलनी चाहिए, इसके लिए जोरदार प्रयास किये जा रहे थे| लेकिन चीन ने भारत के रास्ते में रोड़े डालने की भूमिका अपनाने की वज़ह से यह मुमक़िन नहीं हुआ है, ऐसा खेद ओबामा प्रशासन ने जताया है| कुछ दिन पहले अमरीका की दक्षिण एशियाविषयक उपमंत्री निशा बिस्वाल ने, भारत की ‘एनएसजी’ सदस्यता के मुद्दे पर अमरीका की भूमिका स्पष्ट की थी| भारत की सदस्यता के रास्ते में एक देश रोड़े डाल रहा है और वह देश चीन है, ऐसी नाराज़गी बिस्वाल ने जताई थी|

पिछले साल के अंत में, ‘परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह’ (एनएसजी) में भारत के शामिल होने का मार्ग प्रशस्त हुआ है, ऐसा दावा अमरीका के एक मान्यवर अभ्यासगुट ने किया था| ‘एनएसजी’ के सदस्यदेशों के सामने आये एक ड्राफ़्ट की वजह से यह आसान हुआ है, ऐसा ‘आर्म्स कंट्रोल असोसिएशन’ (एसीए) ने कहा था|

Leave a Reply

Your email address will not be published.