जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री द्वारा कश्मिरी पण्डितों की वापसी का समर्थन

जम्मू, दि. १६ : ‘कश्मिरी पण्डित जम्मू-कश्मीर में वापस आ गये, तो उनकी वजह से इस राज्य की जनसांख्यिकी में बदलाव होंगे, यह डर बेबुनियाद है| अत: कश्मिरी समाज का ही भाग रहनेवाले अपने बांधवों की वापसी का सभी स्वागत करना चाहिए’ ऐसी उम्मीद इस राज्य की मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती ने ज़ाहिर की है| जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करनेवाले ‘कलम ३७०’ को हम सभी ने समझ लेना चाहिए, ऐसा कहकर मुख्यमंत्री मुफ्ती ने, कश्मिरी पण्डितो की वापसी को विरोध दर्शानेवालों को फटकारा है|

कश्मिरी पण्डितों की वापसीजम्मू-कश्मीर विधानसभा में बात करते समय मेहबूबा मुफ्ती ने, कश्मिरी पंडितों की वापसी का स्वागत करके, इस बारे में अपनी सुस्पष्ट राय दी| जम्मू में कोई भी स्थायिक हो सकता है और कश्मीर घाटी में भी किसी को भी रहने की इजाजत मिलनी चाहिए| कश्मिरी पण्डित यह अपने समाज का एक अंग थे| कश्मिरी पण्डितों से ही यहाँ के समाज ने शिक्षा ली| उनके घरों में मिलजुलकर रहने का तालमेल कश्मिरी समाज में था| ऐसा होते हुए भी, ‘कश्मिरी पण्डितों के वापिस आने से इस राज्य की जनसांख्यिकी में बदलाव होंगे’ ऐसा डर महसूस करने का प्रयोजन क्या है? ऐसा सवाल मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती ने किया|

पिछले कुछ महिनों से जम्मू-कश्मीर में कश्मिरी पण्डितों के पुनर्वसन के लिये कोशिश शुरू हुई है| इसके लिये स्वतंत्र निवेशों का निर्माण करने की योजना केंद्र सरकार ने रखी थी| इसपर काम शुरू करते समय, जम्मू-कश्मीर के अलगाववादियों ने इसपर कड़ा विरोध जताया था| ‘इस राज्य में जनसांख्यिकी बदल करने की साज़िश इस प्रस्ताव के पीछे है’ ऐसा दावा अलगाववादी नेताओं द्वारा किया जा रहा है| साथ ही, जम्मू-कश्मीर में कुछ राजकीय पार्टियों के नेताओं ने भी इसपर कड़ा विरोध जताया है| लेकिन इस मामले की राज्य सरकार की भूमिका स्पष्ट करके, मेहबूबा मुफ्ती ने इस बारे में हो रहे आक्षेपों को मुँहतोड़ जवाब दिया है|

‘जिस ‘कलम ३७०’ द्वारा भारतीय संविधान ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया है, उस कलम को हम सबने समझ लेना चाहिए। यह विशेष अधिकार अपने राज्य की संस्कृति और बंधुता बरकरार रखने के लिये मिला है’ इसकी याद मेहबूबा मुफ्ती ने कराके दी|

१९८० के दशक में आतंकवाद और चरमपंथीयों की वजह से असुरक्षित बने कश्मीर पण्डितों को, मजबूरन् जम्मू-कश्मीर से बड़े पैमाने पर विस्थापित होना पड़ा था| इसके पीछे पाकिस्तान का सुनियोजित कारस्तान था और पाकिस्तान ने यहाँ आतंकवाद फैलाकर यह सब करवाया था| लेकिन कश्मिरी पण्डितों कों फिर से एक बार जम्मू-कश्मीर में लाने की माँग यहाँ लगातार हो रही है| लेकिन इसके लिए पर्याप्त कोशिश नहीं की जा रही है, ऐसी कड़ी आलोचना कश्मिरी पण्डितों के संगठनों द्वारा हो रही है| उनकी इस माँग का इस राज्य की राजनीतिक पार्टियाँ विरोध नहीं कर रही हैं| लेकिन कश्मिरी पण्डितों के लिए अलग वसाहत बनाने को इनका विरोध रहेगा, ऐसा दावा कुछ पार्टियों द्वारा किया जा रहा है| लेकिन जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्रि ने इस योजना का समर्थन करके इस योजना के विरोधकों को फ़टकारा है|

इतना ही नहीं, बल्कि बुर्‍हान वणि को मार गिराने के बाद हुए हिंसक निदर्शनों के दौरान दृष्टि गँवाने वालों को राज्य सरकार मुआवज़ा देगी, ऐसा महत्त्वपूर्ण ऐलान मेहबूबा मुफ्ती ने किया|

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