आंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर १५२ लाख करोड़ का ॠण : आंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की चेतावनी

वॉशिंग्टन, दि. ६ (वृत्तसंस्था) – आंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर कर्ज़े का बोझ क़रीब २२५ प्रतिशत तक जा चुका है| इसका गंभीर असर अर्थव्यवस्था की वृद्धि पर हो रहा है, ऐसी चेतावनी आंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने दी है| पिछले दशक में आयी आर्थिक मंदी के बाद मध्यवर्ती बैंको ने किये फैसले इसके लिए ज़िम्मेदार साबित हुए हैं| पूरे कर्ज़े में निजी क्षेत्र का हिस्सा चौंकानेवाला और नियंत्रण के बाहर हो चुका होने की फटकार भी मुद्रा कोष ने लगायी है| मुद्रा कोष की यह चेतावनी, आंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर आनेवाले नये संकट के संकेत दे रही है|

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आंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने ‘फिस्कल मॉनिटर’ नामक रिपोर्ट में, आंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में कर्ज़े की बढती मात्रा और उस वजह से अर्थव्यवस्था पूर्व स्थिति में आने में आ रहीं रुकावटें इनके बारे में जानकारी दी गयी है| आंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर कर्ज़े का बोझ करीब १५२ लाख करोड़ डॉलर्स तक जा पहुँचा है| यह आँकड़ा आंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के २२५ प्रतिशत इतना बड़ा और डरानेवाला है| कर्ज़े में हुई यह वृद्धि ऐतिहासिक है और इसमें निजी क्षेत्र का हिस्सा क़रीब ६० प्रतिशत से अधिक है, ऐसी चेतावनी मुद्रा कोष ने दी है|

पिछले दशक में आयी आर्थिक मंदी के बाद, दुनिया के अधिकांश मध्यवर्ती बैंको ने अपने ब्याजदर काफ़ी कम रखने की नीति अपनायी थी| आर्थिक मंदी के नकारात्मक परिणामों को टालने के लिए यह फ़ैसला किया गया था| इसका लाभ निजी क्षेत्र ने उठाया और बड़ी मात्रा में कर्ज़ें लिये| आज भी यह मात्रा बढ़ती ही जा रही है, ऐसी आलोचना मुद्रा कोष के रिपोर्ट में की गयी है| उपलब्ध सांख्यिकी के अनुसार, आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निजी क्षेत्र का कर्जे का बोज करीब १०० लाख करोड डॉलर्स के आसपास है, ऐसी जानकारी मुद्रा कोष द्वारा दी गयी है|

निजी क्षेत्र में बढते कर्ज़े की मात्रा सिर्फ अमरीका और युरोप की प्रगत अर्थव्यवस्थाओं में ही नहीं, बल्कि उभरतीं अर्थव्यवस्थाओं के रूप में जानी जानेवालीं ब्राझील और चीन जैसीं अर्थव्यवस्थाओं में भी है| यह बात काफ़ी चिंताजनक होने की चेतावनी रिपोर्ट में दी गयी है| अगर कर्ज़े का यह बोझ कम करना है, तो आर्थिक नीतियों में बदलाव ज़रूरी है, ऐसी सलाह मुद्रा कोष द्वारा दी गयी है| निजी क्षेत्र में कर्ज़े की पुनर्रचना और बैंकों के डूबनेवाले कर्ज़ों का ‘क्लीनअप’ इन जैसे उपायों की ज़रूरत है, ऐसा रिपोर्ट में स्पष्ट कर दिया गया है|

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प्रगत और उभरतीं अर्थव्यवस्थाओं के निजी क्षेत्र में कर्ज़े का बढ़ता बोझ आर्थिक आपदा को निमंत्रित करनेवाला साबित होगा, ऐसी चेतावनी मुद्रा कोष ने दी| पिछले कई महीनों से चीन तथा कुछ युरोपीय देशों के बैंकिंग क्षेत्र में, नये संकट के संकेत मिल रहे हैं| बैंकिंग क्षेत्र पर मँड़राता हुआ यह संकट मुख्य रूप से कर्ज़े की मात्रा और डूबनेवाले कर्ज़े से जुड़ा हुआ है| इस पृष्ठभूमि पर, मुद्रा कोष की चेतावनी आंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में नये संकट के संकेत देनेवाली दिख रही है|

सन २००७-०८ में आयी आर्थिक मंदी के लिए अमरीका के गृहकर्ज़क्षेत्र में आया संकट ज़िम्मेदार था| उसके बाद युरोप में आये आर्थिक संकट के लिए भी, कर्ज़े का बढ़ता बोझ यह मुख्य वजह साबित होने की जानकारी सामने आयी थी| इसलिए मुद्रा कोष के नये रिपोर्ट में दी चेतावनी महत्त्वपूर्ण मानी जा रही है|

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