पाकिस्तान चीन को झटका देने की तैयारी में – पाकिस्तानी विश्‍लेषकों का आरोप

इस्लामाबाद – चीन के ‘टिकटॉक’ ऐप पर पाकिस्तान ने पाबंदी लगाई है। पाकिस्तान ने इससे पहले गलत ‘कन्टेंट’ जारी करने का आरोप लगाकर तीन बार इस ऐप के खिलाफ कार्रवाई की थी। लेकिन, अपने नौं इंजिनिअर्स की हत्या होने से चीन अब पाकिस्तान पर काफी गुस्सा हुआ है और इसी बीच टिकटॉक पर पाबंदी लगाने का पाकिस्तान का निर्णय कुछ अलग ही संकेत दे रहा है। चीन के साथ मित्रता होने के पाकिस्तान ने कितने भी बड़े दावे किए हों, लेकिन असल में पाकिस्तान अब चीन का विश्‍वासघात करने की तैयारी में होने का दावा इसी देश के माध्यम कर रहे हैं। इस वजह से चीन पाकिस्तान पर काफी गुस्सा हुआ है और इसके जल्द ही असर दिखाई देंगे, ऐसी चिंता पाकिस्तान के माध्यम जता रहे हैं।

चीन को झटकापाकिस्तान के कोहिस्तान में चीन के नौं इंजिनिअर्स की हत्या करनेवाला बम विस्फोट हुआ था। लेकिन, यह हमला ना होने का दावा करके पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस विषय की संदिग्धता बढ़ाई। बाद में यह घटना आतंकी हमला ही थी, यह बात पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने मंजूर भी की। लेकिन, इसके बाद गुस्से से आगबबूला हुए चीन ने अब पाकिस्तान पर अपना भरोसा ना रहने के स्पष्ट संकेत दिए हैं। इस बम विस्फोट की जाँच के लिए चीन ने पाकिस्तान में अपना दल भेजा है। साथ ही जिस दासू बांध प्रकल्प पर वे इंजिनिअर्स काम कर रहे थे, उस प्रकल्प का काम ही अब चीन ने बंद कर दिया है। इसके अलावा, पाकिस्तान यदि चीनी नागरिकों की सुरक्षा नहीं सकता है तो चीन अपने सैनिक और मिसाइल पाकिस्तान में तैनात करने के लिए तैयार है, यह इशारा भी चीन ने दिया था।

इसके बाद चीन को मनाने के लिए पाकिस्तान की बौखलाहट हुई है। लेकिन, पाकिस्तान के कुछ लोग कोहिस्तान के इस बम विस्फोट की ओर संदिग्धता से देख रहे हैं। चायना-पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडॉर-सीपीईसी’ प्रकल्प के माध्यम से चीन द्वारा पाकिस्तान में हो रहा निवेश पाकिस्तान का भविष्य होगा। अगले दौर में पाकिस्तान चीन पर ही निर्भर रहेगा। इसके बावजूद पाकिस्तान चीन के संबंधों को अहमियत नहीं देता, इसका कारण काफी अलग होने का आरोप पाकिस्तान के विश्‍लेषक ने लगाया है।

पाकिस्तान की सत्ता का नियंत्रण हाथों में रखनेवाले कुछ चुनिंदा लोगों के हित अमरीका और पश्‍चिमी देशों से जुड़े हैं। अमरीका और अन्य पश्‍चिमी देशों को ‘सीपीईसी’ प्रकल्प मंजूर नहीं है। इसी वजह से यह लोग इस प्रकल्प का विरोध कर रहे हैं और पाकिस्तान के यह चुनिंदा लोग चीन के विरोध में साज़िश कर रहे हैं, ऐसी रचना एक पाकिस्तानी विश्‍लेषक ने पेश की। फिलहाल पाकिस्तान ने चीन का हाथ छोड़कर फिर से अमरीका का हाथ पकड़ने की तैयारी जुटाई है। यह चीन का विश्‍वासघात होता है, यह अहसास होने की वजह से ही चीन अब पाकिस्तान पर गुस्सा हुआ है। चीन के गुस्से का पाकिस्तान को अभी तक पूरा अहसास नहीं हुआ है, यह दावा भी इस विश्‍लेषक ने किया।

इस पृष्ठभूमि पर टिकटॉक जैसे चीनी ऐप पर पाकिस्तान की पाबंदी के पीछे कुछ अलग ही राजनीति होने की बात स्पष्ट दिखाई देने लगी है। एक ओर पाकिस्तानी नेता चीन के साथ अपने देश की मित्रता हिमालय से भी अधिक उंची होने के दावे कर रहे हैं, तो दूसरी ओर पाकिस्तान के पूर्व सेना अधिकारी पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह में चीन के साथ अमरीका भी निवेश कर सकेगी, ऐसे संदेश दे रहे हैं। अमरीका और पश्‍चिमी देशों के निवेश का पाकिस्तान को स्वागत ही करना पड़ेगा, ऐसा बयान इस पूर्व सेना अधिकारी ने किया है। चीन के साथ अमरीका के भी निवेश का स्वीकार करके पाकिस्तान अब तटस्थ भूमिका अपनाए। अमरीका या चीन में से एक का चयन करने की भूल पाकिस्तान ने की तो फिर इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसके बजाय इन दोनों देशों को निवेश का अवसर प्रदान करके पाकिस्तान में इन दोनों देशों के हितों का टकराव कराने की सलाह इस पूर्व सेना अधिकारी ने प्रदान की है।

चीन कितना भी अहम देश हो, फिर भी वर्ल्ड बैंक, ‘आयएमएफ’ समेत अहम अंतरराष्ट्रीय संगठनों पर प्रभाव रखनेवाले अमरीका का स्थान चीन जल्द प्राप्त नहीं कर सकता। पाकिस्तान के लिए अमरीका की बात स्वीकारने के अलावा अन्य विकल्प नहीं है, इस बात का अहसास पाकिस्तान की सेना को हुआ है, ऐसा पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार नजम सेठी ने कुछ दिन पहले ही कहा था। लेकिन, चीन के साथ हो रहे विकास प्रकल्प और निवेश इतनी आगे बढ़ने के बाद पाकिस्तान इससे पीछे हटता है तो वह भयंकर विश्‍वासघात होगा। इसकी काफी बड़ी कीमत चीन पाकिस्तान से वसूलेगा, यह चिंता दूसरे गुट के पत्रकार और विश्‍लेषक जता रहे हैं।

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