विल्यम मेयो और उनका परिवार भाग – २

विल्यम मेयो और उनका परिवार भाग – २

मानवों के उद्धार हेतु अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर देनेवाले पुण्यात्मा पृथ्वीपर चिरंतन कार्य करते हुए काल के गर्त में समा जाते हैं। ‘मेयो क्लिनिक’ की जन्मकथा भी कुछ ऐसी ही आनेवाली पिढ़ी के लिए एक प्रेरणा स्तोत्र है। डॉ. विल्यम मेयो और उनकी पत्नी इन दोनों के प्रतीकात्मक स्वरूप में प्रसिद्धि प्राप्त करनेवाले डॉ. […]

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विल्यम मेयो और उनका परिवार भाग – १

विल्यम मेयो और उनका परिवार भाग – १

जीवनभर अपनी मेहनत, अपने परिवार की कमाई दूसरों के क्षेमकल्याण हेतु उपयोग में लाकर इस धरती पर स्वर्ग का निर्माण करनेवाले थे, डॉ. विल्यम मेयो। उनके द्वारा लगाए गए एक छोटे से पौधे ने आज विशाल वृक्ष का रूप धारण कर लिया है। इंग्लैंड में ‘इक्कल्स’ नामक गाँव में ३१ मई १८१९ के दिन डॉ.विल्यम […]

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इरा रेमसेन (१८४६-१९२७)

इरा रेमसेन (१८४६-१९२७)

तर-त्यौहार के समय कभी कोई अनजान व्यक्ति इसी त्यौहार के निमित्त से घर पर आते रहते हैं। ऐसे ही एक घर में नवरात्रि के उत्सव में एक व्यक्ति दरवाजें पर आकर खड़ा हो गया और उसने पीने के लिए पानी माँगा और उसने पानी की कुछ बूँदे अपने हाथ में रखकर घर के मालिक से […]

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हेन्रीक हर्टझ् – (१८५७-१८८४)

हेन्रीक हर्टझ् – (१८५७-१८८४)

द्वितीय महायुद्ध में रडार का शोध हुआ और इसी कारण शत्रु के विमानों से अपनी सुरक्षा करने का मार्ग उपलब्ध हुआ। शत्रु के आक्रमक विमान रडार की सहायता से तुरंत ही खदेड़ दिए जा सकते थे, इससे बादलों की जानकारी भी पूर्व ही प्राप्त की जा सकती हैं। रडार का उपयोग जहाजों एवं विमानों के […]

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जेम्स मॅक्स्वेल (१८३१-१८७९)

जेम्स मॅक्स्वेल (१८३१-१८७९)

बुद्धिमान संशोधक न्यूटन का एक हृदयस्पर्शी वाक्य है- ‘मैं आनेवाले विश्‍व को जैसे भी देख सका, वह वैज्ञानिक महात्माओं के कांधे पर खड़ा होकर ही।’ यही वाक्य अक्षरश: सत्य साबित हुआ वह ‘जेम्स मॅक्स्वेल’ नामक इस संशोधक के संबंध में। जेम्स मॅक्स्वेल का जन्म स्कॉटलैंड के एडिंबरा नामक स्थान पर हुआ। मॅक्स्वेल घराना प्रतिक्षित एवं […]

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वॉल्टर रिड (१८५१-१९०२)

वॉल्टर रिड (१८५१-१९०२)

सन १९०० की बात है, अमरीका में कुछ स्थानों पर ‘पीला राक्षस’ खुले आम घुम रहा था। रोगियों के कपड़े जला देना, घर स्वच्छ करना, ऐसे कुछ प्रयोग करके इस पिले राक्षस से घबराकर गाँव छोड़कर दूर चले जाना चाहिए, यही एक रास्ता अब रह गया था। क्युबा में तो इस ‘पिले बुखार’ ने तहलका […]

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एमिल रु (१८५३-१९३३)

एमिल रु (१८५३-१९३३)

‘‘जीवाणुओं के कारण घटसर्प (डिप्थेरिया) होना संभव है, परन्तु निश्‍चित रूप में कुछ कहा नहीं जा सकता है, ये जीवाणु शरीर में जब प्रवेश कर जाते हैं, तब उनसे किसी विषसदृश पदार्थ तैयार होने के कारण वह बच्चों के लिए वह हानिकारक हो सकता है। इस विषय में संशोधन होना चाहिए।’…. ये हैं, घटसर्प इस […]

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लाझारो स्पॅलाँझॅनी (१७२९-१७९९)

लाझारो स्पॅलाँझॅनी (१७२९-१७९९)

गाँव के बाहरवाले वृक्ष के नीचे भीड़ इकट्ठा हुई थी। पंद्रह-सोलह वर्ष के लाझारो स्पॅलाँझॅनी उस भीड़ के बीच खड़े थे। इतने में मेयर आये और उन्होंने कहा कि जिन लोगों को डर लग रहा है, वे लोग यहाँ से वापस लौट जाये। महीने पूर्व एक हृष्ट-पुष्ट ऐसे मरे हुए बैल को गड्ढे में खड़ा […]

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डॉ. निकोलस हेरॉल्ड रिडले

डॉ. निकोलस हेरॉल्ड रिडले

‘सम्राज्ञी की ओर से प्राप्त सम्मान स्वाभाविक है कि काफी महत्त्वपूर्ण होता है। परन्तु उससे भी अधिक मोल की चीज़ जो मुझे प्राप्त हुई है, वह है लाखों लोगों के आँखों को प्रकाश की किरण पहुँचाकर उन्हें अपने जीवन में प्राप्त होनेवाली संतुष्टि।’ ९ फरवरी, २००० के दिन इंग्लैंड की रानी की ओर से नामांकित […]

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आधुनिक संगणक के संशोधक हॉवर्ड आईकन और ग्रेस हॉपर हॉवर्ड आईकन भाग – २

आधुनिक संगणक के संशोधक हॉवर्ड आईकन और ग्रेस हॉपर हॉवर्ड आईकन भाग – २

संगणकीकरण से जागतिक स्तर पर व्यवहार आज भले ही तेज़ी से हो रहे हैं, परन्तु आरंभिक काल में सर्वप्रथम संगणक का उपयोग केवल काफी बड़े पैमाने पर गिनती और हिसाब-किताब के लिए किया जाता था। परन्तु इस संगणक का उपयोग मनुष्य की दैनंदिन ज़रूरतों की पूर्ति हेतु करने के लिए इस यंत्र को मानवी भाषा […]

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