रेजिनाल्ड फ़िसेन्डन

रेजिनाल्ड फ़िसेन्डन

अमरीका के मॅसॅच्युसेट्स राज्य के किनारे से कुछ ही दूरी पर कुछ नौकाएँ अपने अपने मार्ग पर स्थिर खडी थीं। नौकाओं में रेडिओ ऑपरेटर्स अपने-अपने काम में मग्न थे। वह १९०६ की ख्रिसमस ईव्ह थी। सब में उत्साह की लहर दौड रही थी कि तभी सेंट ल्युक के द्वारा लिखी गई बायबल की काव्यपंक्ति उन्हें […]

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फ़ेलिक्स हॉफ़मन

फ़ेलिक्स हॉफ़मन

विज्ञान ने करोड़ों लोगों के लिए गुणकारी साबित हो सकने वाली ऐसी औषधि की निर्मिति की। लगभग १०८ वर्षों पूर्व तैयार होनेवाली ‘अ‍ॅस्पिरिन’ का गुणधर्म एवं उपयोग आगे चलकर बढ़ता ही गया। दुनियाभर के गरीब राष्ट्रों के नागरिकों के भी क्षमता के अनुसार उपयोग में लाया जा सके, ऐसी औषधियों का प्रतीक मानी जाती है […]

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सिग्मंड फ्रॉयड

सिग्मंड फ्रॉयड

‘‘मानवी मन यह एक ऐसी पहेली है, जिसकी थाह जान पाना नामुमकिन है। इस मन की थाह, इसकी पहुँच का़फ़ी दूर तक होती है। आधुनिक मनोवैद्यकशास्त्र के जनक के रूप में पूरी दुनिया में जाने-पहचाने जानेवाले शास्त्रज्ञ का नाम है ऑस्ट्रियन मानसशास्त्रज्ञ सिग्मंड फ्रॉयड।’’ ‘‘मानवी मन यह एक हिमनग (आईसबर्ग) के समान होता है, जिसके […]

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पीटर रॅव्हन

पीटर रॅव्हन

‘तुम्हारे दिये हुए एक डॉलर से यदि एक वनस्पति भी जी जाती है, तो उसका लाभ तुम्हारी आगे की पीढ़ी को होगा’ पीटर रॅव्हन के इस आवाहन को अमेरिकी जनता का प्रतिसाद मिलने लगा। ‘वनस्पति संरक्षण यह मानवीय कल्याण ही है’, ‘जंगलतोड़ के बढ़ते हुए प्रमाण के कारण संभाव्य उपयुक्त औषधि वनस्पतियाँ नष्ट हो जाती […]

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एडवर्ड लॉरेंझ

एडवर्ड लॉरेंझ

बाष्प (भाप) के बल से थिरकनेवाली थाली देखकर जेम्स वॉट के मन में प्रश्‍न उठा और उनके द्वारा किए गए अनेक प्रयोगो के बाद स्टीम इंजन का अर्थात बाष्प से चलनेवाले इंजन का आविष्कार हुआ। सेब को गिरते हुए अनेक लोगों ने देखा होगा, किन्तु उससे गुरुत्वाकर्षण शक्ति की खोज करनेवाले एकमात्र न्यूटन ही थे। […]

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चार्ल्स् रिश्टर (१९००-१९८५)

चार्ल्स् रिश्टर (१९००-१९८५)

पृथ्वी के भूगर्भ में किसी कारणवश क्षोभ होकर भूमि के अंतर्गत होनेवाले पत्थरों को अचानक धक्का लग जाते ही धक्के के स्थान पर निर्माण होनेवाले कंपन सर्वत्र फ़ैल जाते हैं, इसे ही भूकंप कहते हैं। शांत रहनेवाले जलाशय में जैसे किसी कंकड़ के गिरते ही पानी के पृष्ठभाग पर लहरें निर्माण होकर आगे की ओर […]

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आल्फ्रेड वेजीनेर

आल्फ्रेड वेजीनेर

बीस करोड़ वर्षपूर्व अस्तित्व में होनेवाले एक ही बहुत ही बड़े महाद्वीप के अलग हो चुके छोटे हिस्से ये ही आज पृथ्वी पर होनेवाले सात खंड हैं। १९१२ में जर्मन शास्त्रज्ञ एवं मौसम विभाग के विशेषज्ञ के दिमाग से यह कल्पना उठी। संपूर्ण पृथ्वी प्राचीन काल में अखंड थी, ऐसा अनुमान करने वाले आल्फ्रेड लोथार […]

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एडवर्ड विल्सन

एडवर्ड विल्सन

पृथ्वी पर जीवसृष्टि कैसे उत्पन्न हुई, इस बात का उत्तर अब तक विज्ञान भी नहीं दे पाया है। परन्तु जीवसृष्टि का उद्गम एवं विकास काफी अधिक नैसर्गिक परिस्थितियों पर ही निर्भर करता है। यही विचार कुछ भिन्न धरातलों पर शास्त्रीय रूप में प्रस्तुत किया गया है। इनमें प्रयोग, निरीक्षण, सिद्धांत एवं ज्ञान को मिलाकर सोवीओ […]

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आल्बर्ट शेरबिअस

आल्बर्ट शेरबिअस

प्राचीन काल से ही मनुष्य के साथ-साथ धीरे-धीरे भाषा का भी विकास होने लगा। बोली भाषा, लिपि, शिलालेख, चिह्न या हावभाव के द्वारा अभिव्यक्त होनेवाली गूँगे-बहरों के लिए रहनेवाली भाषा, दृष्टिहीन लोगों के लिए स्पर्श की (ब्रेल) भाषा ऐसी अनेक प्रकार की भाषाएँ हमें पता हैं। किंतु युद्धभूमि के लिए और युद्ध लड़ने के लिए […]

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बेनॉय मॅन्डेलब्रॉट (१९२४-२०१०)

बेनॉय मॅन्डेलब्रॉट  (१९२४-२०१०)

भूमिति… लंबाई, चौड़ाई, आकारमान, क्षेत्रफल इन सब का समावेश होनेवाला एक जटिल विषय। किंतु भूमिति की इन सभी रूढ़ संकल्पनाओं को तोड़कर उनमें नई क्रांतिकारी संकल्पनाएँ बनाकर आमूलाग्र परिवर्तन लाने वाले वैज्ञानिक थे ‘बेनॉय मॅन्डेलब्रॉट’। जटिल संकल्पनाओं से बाहर निकलते हुए निसर्ग से संबंधित उससे करीबी नव भूमिति की खोज से विश्‍व के सर्वसामान्य बातों […]

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