परमहंस- ८

परमहंस- ८

गदाधर अब छः साल का हो चुका था और अपनी बाललीलाओं द्वारा पूरे गाँव को आनन्द प्रदान कर रहा था। हालाँकि उसकी बाललीलाओं ने सबके मन को भा लिया था, मग़र फिर भी यह बालक सबको अभी भी अन्य आम बालकों की तरह ही प्रतीत हो रहा था, उसमें रहनेवाले दिव्यत्व का किसी को भी […]

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समय की करवट भाग १८- क्या वाक़ई ऐसा हो सकता है?

समय की करवट भाग १८- क्या वाक़ई ऐसा हो सकता है?

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। समय की करवट अनिष्ट दिशा में बदलने में महत्त्वपूर्ण सहभाग रहनेवाली यह झुँड़ की मनोवृत्ति अपने बचपन से की कैसे तैयार होती है, यह भी हमने पीछली बार, एक स्कूल के छात्रों के उदाहरण के ज़रिये देखा। […]

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नेताजी-६६

नेताजी-६६

‘नेहरू रिपोर्ट’ की स्वीकृति करने तथा भारत को उपनिवेशीय स्वराज्य देने के बारे में अभिवचन देने के लिए अँग्रे़ज सरकार को ३१ दिसम्बर १९२९ तक की एक साल की मोहलत दी जाती है, यह प्रस्ताव संमत कर कलकत्ता (कोलकाता) अधिवेशन की समाप्ति हुई। गांधीजी ने भी ‘यंग इंडिया’ में से यह घोषित किया कि ‘३१ […]

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परमहंस-७

परमहंस-७

देखते देखते गदाधर पाँच साल का हो गया। उसकी बाललीलाओं में ये पाँच साल कैसे बीत गये, पता भी नहीं चला था। स्वाभाविक रूप से ही शरारती स्वभाव का रहने के कारण, दूसरों के साथ शरारत करना उसे पसन्द आता था; लेकिन ये शरारतें इतनी मासूम रहती थीं कि उसके कारण सामनेवाला कभी भी ग़ुस्सा […]

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क्रान्तिगाथा- १८

क्रान्तिगाथा- १८

१८५७ के अप्रैल महीने में बहने लगीं क्रान्ति की हवाएँ यानी क्रान्तियज्ञ की ज्वालाएँ अब भारत के अन्य इलाक़ों में फ़ैलने लगीं। अब मातृभूमि को दास्यता से मुक्त करने के लिए शुरू हो चुका यह यज्ञ भारत के मध्य और पश्‍चिमी इला़के में भी चल रहा था। हालाँकि कानपुर पर पुन: कब्ज़ा कर लेने में […]

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नेताजी-६५

नेताजी-६५

कोलकाता काँग्रेस अधिवेशन से पहले हुई विषयनियामक समिति की बैठक में ‘नेहरू रिपोर्ट’ पर भारी-भरकम ‘भवति न भवति’ होकर नाट्यपूर्ण ढंग से ‘नेहरू रिपोर्ट’ को पास किया गया। उसे स्वीकारने के लिए सरकार को एक वर्ष की मोहलत दी जाये, ऐसा प्रस्ताव पारित हो गया। गांधीजीसमर्थकों के मन का तनाव थोड़ासा शिथिल हो गया। यहाँ […]

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परमहंस- ६

परमहंस- ६

जिसका जन्म हो जाते ही जिसके बारे में ईश्वरीय लीलाएँ देखने को मिली थीं, वह ‘वह’ बालक – गदाधर – प्रतिदिन अपने मातापिता का आनंद दुगुना कर रहा था। केवल मातापिता को ही नहीं, बल्कि उसके दीदार करनेवाले हर एक को ही, आनंद का ही अनुभव हो जाता था, जैसे नन्हें कन्हैया को देखनेवाले गोपगोपिकाओं […]

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समय की करवट (भाग १७)- पुन: वही पुराना राग…

समय की करवट (भाग १७)- पुन: वही पुराना राग…

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। जब किसी देश का समाज एक स्वयं-अनुशासनबद्ध समूह के रूप में आचरण न करते हुए, प्राणियों के किसी झुँड़ की तरह बर्ताव करने लगता है, तब उस देश के लिए ‘समय की करवट’ अनिष्ट दिशा में बदलने […]

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नेताजी-६४

नेताजी-६४

सभी को लंबे अरसे तक याद रहे, इस तरह अध्यक्ष महोदय के शानदार ‘फ़ौजी’ स्वागत के बाद कार्यकर्ता काम में जुट गये। अब थोड़े ही समय में विषयनियामक समिति की मीटिंग शुरू होनेवाली थी। दूसरे दिन के खुले अधिवेशन में ‘नेहरू रिपोर्ट’ प्रस्तुत करने से पहले उसपर चर्चा की जानेवाली थी। ‘उपनिवेशीय स्वराज्य या संपूर्ण […]

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परमहंस- ५

परमहंस- ५

बुधवार १७ फ़रवरी १८३६ के ब्राह्ममुहुर्त पर, फाल्गुन शुक्ल द्वितीया को खुदिरामजी तथा चंद्रमणीदेवी चट्टोपाध्याय के घर ‘उस’ तेजस्वी बालक का जन्म हुआ था। उन दोनों जितना ही दाई धनी लुहारन को भी आनंद हुआ था। लेकिन ज़्यादा न सोचते हुए उसने उस बालक को ठीक से साफ़सुथरा कर उसकी माँ की बगल में रखा […]

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