इंफाल भाग – २

इंफाल भाग – २

मणिपुर की सारी शासनव्यवस्था इंफाल के इस ‘कांगला क़िले’ में से ही चलायी जाती थी। अंग्रे़जों के पूर्व के शासक तथा अंग्रे़जों ने भी शासन करने के लिए कांगला क़िले का अच्छाख़ासा उपयोग किया। यह कांगला क़िला राजकीय दृष्टि से महत्त्वपूर्ण तो था ही, साथ ही वहाँ के विभिन्न देवताओं के स्थान के कारण मणिपुर […]

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इंफाल भाग-१

इंफाल भाग-१

चारों ओर फैली हुई पर्वतों की शृंखला के बीच में स्थित ईशान्य भारत का एक राज्य। मानो यह पर्वतशृंखला जैसे गले का एक हार हो और उस हार में जड़ा हुआ पदक हो मणिपुर। ईशान्य भारत के राज्यों का आपस में बहनोंजैसा नाता है अर्थात् उनमें बहनोंजैसी समानता पायी जाती है। इन बहनों में से […]

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सातारा भाग-२

सातारा भाग-२

समर्थ रामदासजी अर्थात् रामदासस्वामीजी ये महाराष्ट्र के एक अग्रसर संतपुरुष थे। वे छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु थे। विदेशी आक्रमकों की ग़ुलामी में रहनेवाली और इस ग़ुलामी के कारण ही दुर्बल बन चुकी उस समय की जनता को जगाने का कार्य समर्थजी ने किया। समर्थजी का अध्यात्म यह निवृत्तिवादी न होते हुए कर्मयोग का था। […]

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सातारा भाग-१

सातारा भाग-१

कुछ सदियों पूर्व पूरे भारतवर्ष में कईं छोटे-बड़े साम्राज्य फैले हुए थे। अधिक से अधिक प्रदेश पर कब़्जा करने के उद्देश्य से इन साम्राज्यों में कईं बार टकराव हो जाता था। बाद में विदेशी लोग इन साम्राज्यों पर आक्रमण करने लगे और उनके इस आक्रमण में इनमें से कईं राज्यों का नामोंनिशान तक नहीं रहा। […]

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जैसलमेर

जैसलमेर

कई मीलों तक फैला   हुआ रेगिस्तान। नजर डालें, वहाँ रेत ही रेत । सूरज की किरनों में चमचमाती हुई रेत। हमारे भारत का थर का रेगिस्तान ठीक  इसी तरह का है। यह रेगिस्तान यानि जैसे रेत का महासागर। ऐसे इस रेत के महासागर में बसा हुआ है एक शहर, जिसका नाम है ‘जैसलमेर’। जैसलमेर की […]

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प्रयाग भाग- ३

प्रयाग भाग- ३

आज के इंटरनेट के आधुनिक युग में खत भेजनेवालों की संख्या का घट जाना यह स्वाभाविक बात है। बदलते जमाने के साथ साथ बदलनेवाले विज्ञान ने आज इंटरनेट, एस्.एम्.एस्. जैसे इन्स्टंट मार्ग उपलब्ध कराए हैं, इसीलिए खत लिखना यह बात दुर्लभ होती जा रही है। फिर  भी हमारे मन में एक सवाल उपस्थित होता है […]

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प्रयाग (भाग-२)

प्रयाग (भाग-२)

प्रयाग पर मुघलों की हु़कूमत स्थापित हो जाने के बाद उसका नाम ‘इलाहाबाद’ रखा गया। अकबर ने इस शहर में संगम के पास नदी के किनारे पर एक क़िले का निर्माण भी किया। मुघलों के बाद कुछ समय के लिए इस शहर पर मराठों ने शासन किया। साधारणतः १८ वी सदी में अवध का नवाब […]

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प्रयाग (भाग-१)

प्रयाग (भाग-१)

कुछ दशक पूर्व अर्थात् लगभग हमारे दादाजी-नानाजी के समय में तीर्थयात्रा करना यह बड़े पुण्य का काम माना जाता था; लेकिन उस जमाने में तीर्थयात्रा करने में काफी  कठिनाइयाँ भी पेश आती थीं। दरअसल आज के युग में भी तीर्थयात्रा और पुण्यप्राप्ति इनका अटूट सम्बन्ध पुराने जमाने की तरह दृढ़ है ही। लेकिन जैसा मैंने […]

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लेह-लद्दाख़ (भाग-५ )

लेह-लद्दाख़ (भाग-५ )

लेह-लद्दाख़ के शीत रेगिस्तान में दिखायी देनेवाले कुछ जानवरों के बारे में हमने गत लेख में जानकारी प्राप्त की। याक यह हिमालय का एक विशेषतायुक्त प्राणि है। हिमालय की जलवायु में यह प्राणि सबसे अधिक उपयोगी साबित होता है। यह लद्दाख़ प्रान्त में पाया जानेवाला सबसे विशाल जानवर है। साथ ही गत लेख में हमने […]

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लेह-लद्दाख़ (भाग-४ )

लेह-लद्दाख़ (भाग-४ )

मीलों तक फैला  हुआ प्रदेश, जहाँ हरियाली का नामोंनिशान तक नहीं है, लेकिन बर्फ है, ऐसे कईं छोटे-मोटे पर्वत और उनके आस-पास का रेगिस्तान। ऐसा है यह लेह-लद्दाख़ का प्रदेश। ऐसे इस प्रदेश में जहाँ हरियाली बहुत ही कम दिखाई देती है, वहाँ आकर मनुष्य भला कैसे बस गया, यह एक सवाल मन में उठता […]

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