त्रिचूर भाग- १

त्रिचूर भाग- १

नीले रंग की मखमली चादर पर जैसे हरे पन्ने की अँगूठी रख दी हो, ऐसी प्रतीत होती है दक्षिणी भारत की केरल की भूमि। नीले रंग के जल के साथ दूर दूर तक फ़ैले हुए हरे भरे पेड़पौधों की भूमि । त्रिचूर ! इस केरल का ही एक शहर ! आज इस शहर को हम […]

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नैनीताल भाग -२

नैनीताल भाग -२

देवी सति के नैनों का कारण जिसका नाम नैनीताल हो गया, वह नैनी नाम का विशाल सरोवर नैनीताल में पहुँचते ही दिखायी देता है। नैनीताल इस हिल स्टेशन की आबादी इस ताल के आसपास ही बढ़ने लगी। अंग्रे़जों के जमाने में निर्माण की गयी वास्तुओं को आज भी हम यहाँ देख सकते हैं। इस सरोवर […]

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नैनीताल भाग -१

नैनीताल भाग -१

‘नयन’ या ‘नैन’ इस शब्द को हम मराठी या हिन्दी भाषा में कईं बार सुनते हैं। ‘नयन’ या ‘नैन’ यानि कि आँखें। हमें दुनिया दिखानेवाली आँखें। इस दुनिया के हर एक शहर या गाँव का संबंध किसी ना किसी बात के साथ रहता ही है। लेकिन यहाँ पर आप सोच रहे होंगे कि नयन या […]

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कन्याकुमारी भाग -३

कन्याकुमारी भाग -३

कन्याकुमारी के समुद्री तट से दिखायी देनेवाली दूसरी बात है, एक भव्य पुतला, जिसका निर्माण समुद्र में विद्यमान दूसरी बड़ी शिला पर किया गया है। यह पुतला है, ‘तिरुवल्लुवर’ नामक तमिल संतकवि का। इस पुतले ऊँचाई कुल १३३ फ़ीट है। इस पुतले की ऊँचाई को जानकर ही आपको इसकी विशालता का अंदाज़ा तो आ ही […]

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कन्याकुमारी भाग -२

कन्याकुमारी भाग -२

भारत के दक्षिणी छोर पर बसी हुई कन्याकुमारी यह नगरी तमिलनाडु के ‘नागरकोईल’ इस शहर से लगभग २२ कि.मी. की दूरी पर है, वहीं केरल की राजधानी ‘तिरुवनंतपुरम्’ से लगभग ८५ कि.मी. की दूरी पर है। यह बताने का उद्देश्य यही है कि नागरकोईल और तिरुवनंतपुरम् के समीप होने के कारण कन्याकुमारी के सागरी तट […]

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कन्याकुमारी भाग-१

कन्याकुमारी भाग-१

इस पृथ्वी पर भूमि का प्रमाण ३०% है और जल का प्रमाण ७०% है, यह हम स्कूल में पढते ही हैं। पृथ्वी पर जल अधिक प्रमाण में है इस बात का अनुभव हम कर सकते हैं, भारत के दक्षिणी छोर पर। पृथ्वी पर सागर, उपसागर, महासागर आदि विभिन्न रूपों में जल रहता है। क्या कभी […]

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हरिद्वार

हरिद्वार

सर्दियों के मौसम की एक शाम। सूर्य का अस्त हुए का़फ़ी समय बीत चुका है। नदी की ते़ज धारा और नदी के दोनों किनारों पर भीड़ इकट्ठा हो चुकी है। अन्धेरा भी का़फ़ी हो चुका है, मग़र फिर भी उस अन्धेरे में भी नदी की धारा ते़जी से बह रही है और इतने में….मानो जैसे […]

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चितोड भाग – ३

चितोड भाग – ३

चितोड का गढ़ यानि कि चितोडगढ़ यह अतीत के एक लंबे अरसे का गवाह है। इसीलिए इस गढ़ पर स्थित हर एक वास्तु के साथ, स्मारक के साथ अतीत की यादें जुड़ी हुई हैं। क्योंकि चन्द कुछ वर्षों के लिए नहीं, बल्कि कुल ८३४ वर्षों तक यह मेवाड की राजधानी थी। इस गढ़ के प्रवेशद्वारों […]

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चितोड भाग – २

चितोड  भाग – २

  गढ़ तो चितौड गढ़, और सब गढ़ैय्या। इन शब्दों में राजस्थान के एक कवि ने चितोडगढ़ की महिमा वर्णित की है। काफी समय तक मेवाड़ की राजधानी होने के कारण राजस्थान का इतिहास चितोडगढ़ के साथ जुड़ा रहा है। चितोड पर क़ब़्जा करने के लिए महाराणा प्रताप ने उनकी आख़िरी साँस तक संघर्ष किया, […]

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चितोड भाग – १

चितोड भाग – १

चाहे गाँव हो या शहर, उसके बसने या उसे बसाने के पीछे कोई न कोई अवश्य रहता है। एक मनुष्य या मनुष्यों का एक समूह किसी जगह जा बसता है और फिर वह स्थान धीरे धीरे एक गाँव या शहर बन जाता है।उस गाँव या शहर में एक ऐसा स्थल अवश्य रहता है, जो उस […]

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