बायडेन प्रशासन ने जर्मन जनता को ठंड़ में बेसहारा छोड़ दिया – शीर्ष पत्रकार सेमूर हर्श का आरोप

वॉशिंग्टन – ठंड़ की तीव्रता बढ़ने के बाद ईंधन की किल्लत महसूस कर रहा जर्मनी रशिया से ईंधन पाने के लिए प्रतिबंध हटाएगा, ऐसा ड़र अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन और उनके प्रशासन को सता रही थी। इस खतरे को उठाने से बचने के लिए बायडेन प्रशासन ने ‘नॉर्ड स्ट्रीम’ ईंधन पाइपलाइन को नुकसान पहुंचाया और जर्मन जनता को ठंड़ में बेसहारा खुला छोड़ दिया है, ऐसा सनसनीखेज आरोप अमरीका के शीर्ष पत्रकार सेमूर हर्श ने लगाया। जर्मन अखबार ‘बर्लिनर झायटुंग’ को दिए साक्षात्कार में हर्श ने ‘नॉर्ड स्ट्रीम’ ईंधन पाइपलाइन में हुए विस्फोट को लेकर कुछ दावे भी किए हैं।

ठंड़ में बेसहारापुलित्झर पुरस्कार विजेता पत्रकार हर्श ने पिछले हफ्ते अपनी वेबसाइट पर एक लेख प्रसिद्ध किया। ‘हाऊ अमरीका टूक आऊट द नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन’ नामक इस लेख में उन्होंने अमरिकी यंत्रणाओं ने नॉर्वे समेत अन्य नाटो देशों की सहायता से ‘नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन’ को नुकसान पहुंचाया, यह आरोप लगाया। बायडेन प्रशासन ने हर्श ने लगाए यह आरोप ठुकराए हैं और हर्श का लेख यानी ‘फिक्शन’ यानी सीर्फ कल्पना का हिस्सा होने का बयान किया है।

लेकिन, हर्श अपने लेख में लगाए आरोपों पर कायम हैं और अन्य देशों के माध्यमों की सहायता से उन्होंने अमरीका की गुप्त साज़िश की पोल खोल करना शुरू किया है। नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन को नुकसान पहुंचाने के पीछे यह भी एक प्रमुख वजह है कि, अमरीका का जर्मन शासकों पर भरोसा नहीं रहा, ऐसा हर्श ने कहा है। इस वजह से यूरोपिय देशों पर आगे होने वाले परिणामों की परवाह दिए बिना बायडेन ने नॉर्ड स्ट्रीम की साज़िश को अंजाम देने के लिए मंजूरी प्रदान की, ऐसा दावा अमरिकी पत्रकारों ने किया है।

सितंबर २०२२ के आखरी हफ्ते में रशिया और यूरोपिय देशों में विकसित की गई ‘नॉर्ड स्ट्रीम’ ईंधन पाइपलाइन से अज्ञात वजहों से ईंधन का रिसाव होता देखा गया था। इस मामले में नाटो और यूरोपिय महासंघ ने रशिया पर आरोप लगाए थे। तभी, रशिया ने इसके पीछे अमरीका का हाथ होने का आरोप लगाया था। यूरोप ने इस मामले की गहराई से जांच करना तय किया तो इसमें अमरीका को भी संदिग्धों के दायरे में लाए, यह मांग भी रशिया ने की थी। लेकिन, नाटो और यूरोपिय महासंघ ने इसे अनदेखा किया था।

‘नॉर्ड स्ट्रीम १’ यह रशिया से यूरोप को ईंधन वायु की आपूर्ति कर रही प्रमुख ईंधन पाइपलाइन जानी जाती थी। ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ ईंधन पाइपलाइन का निर्माण कार्य पूरा हुआ हैं, फिर भी जर्मनी की नई सरकार ने अनुमति देने से इन्कार करने के कारण इससे ईंधन आपूर्ति शुरू नहीं हो सकी थी। ऐसी स्थिति में यूक्रेन का युद्ध शुरू हुआ और जर्मनी समेत अन्य यूरोपिय देशों को रशिया से ईंधन खरीद ना करने के लिए अमरीका ने दबाव बनाया। शुरू में इससे इन्कार कर रहे यूरोपिय देश कुछ समय बाद अमरीका के इस दबाव के सामने झूकने के लिए मज़बूर हुए थे। फिर भी कड़ी ठंड़ में ईंधन की किल्लत महसूस हुई तो जनता की दबाव के कारण जर्मनी की सरकार रशिया से ईंधन खरीद करेगी, ऐसी चिंता अमरीका को सता रही हैं, ऐसी सनसनीखेज जानकारी हर्श ने पोलखोल करने की वजह स्पष्ट हुई है। अमरीका अपने ही करीबी सहयोगी देश पर भरोसा करने के लिए तैयार ना होने का मुद्दा भी इससे सामने आया है। 

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