रशिया ‘ओपेक प्लस’ का अहम सदस्य – यूएई के ईंधनमंत्री अल-मझरोई

दुबई – हर दिन एक करोड़ बैरल्स से अधिक कच्चे तेल का उत्पादन कर रही रशिया ‘ओपेक प्लस’ का काफी अहम सदस्य है और अन्य कोई देश इसका स्थान नहीं ले सकता, ऐसी गवाही संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के ईंधनमंत्री सुहेल अल-मज़रोई ने दी| अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिलहाल रशियन ईंधन की आवश्यकता है और राजनीति को दूर रखना होगा, यह दावा भी अल-मज़रोई ने किया|

russia-opec-plus-member-1 यूक्रैन युद्ध की पृष्ठभूमि पर अमरीका और ब्रिटेन के साथ अन्य कुछ देशों ने रशिया के ईंधन क्षेत्र पर प्रतिबंध लगाए हैं| रशिया विश्‍व में प्रमुख ईंधन उत्पादक देश है| इसलिए रशिया पर लगाए गए प्रतिबंधों की तीव्र गूंज अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में सुनाई पड़ी है| कच्चे तेल की कीमतें प्रति बैरल ११५ डॉलर्स तक जा पहुँची हैं| यह कीमत कम करने के लिए अमरीका और ब्रिटेन जैसे देश ‘ओपेक’ देशों को लगातार उत्पादन बढ़ाने के लिए कह रहे हैं| लेकिन, ओपेक देशों ने अमरीका के साथ अन्य देशों के आवाहन को नज़रअंदाज किया है और यूएई के मंत्री का बयान इसका समर्थन कर रहा है|

‘रशिया हमेशा ‘ओपेक प्लस’ गुट का सदस्य था और इसमें बदलाव नहीं हो सकेगा| अंतरराष्ट्रीय समूदाय जिस समय ओपेक प्लस से बातचीत करनी यह कहता था तब, उन्हें रशिया के साथ सभी सदस्य देशों से बातचीत करनी पड़ेगी, इसका अहसास रखें| ईंधन बाज़ार में स्थिरता की मॉंग करते हुए वहां पर रशिया के स्थान को नकारना संभव नहीं होगा| अब नहीं और अगले १० वर्षों में कोई अन्य देश रशिया के एक करोड़ बैरल्स कच्चे तेल के लिए विकल्प नहीं हो सकता’, ऐसे सीधे शब्दों में यूएई के ईंधनमंत्री सुहेल अल-मज़रोई ने रशिया का स्थान रेखांकित किया|

russia-opec-plus-member-2ईंधन उत्पादन में बढ़ोतरी करने की मॉंग करते हुए अंतरराष्ट्रीय समूदाय ने राजनीति को दूर रखकर सोचना होगा| रशियन ईंधन के लिए फिलहाल विकल्प नहीं है, यह स्वीकार करना होगा’, ऐसी फटकार भी यूएई के ईंधनमंत्री ने लगाई| पिछले हफ्ते सौदी अरब ने भी ईंधन बाज़ार में रशिया का स्थान अहम होने की भूमिका ड़टकर अपनाई थी| ईंधन बाज़ार में उचित स्थिरता की मंशा हो तो सौदी अरब और रशिया ने साथ मिलकर स्थापित किए ‘ओपेक प्लस’ गुट का योगदान अहम होने की बात को ध्यान में रखना होगा, यह इशारा सौदी अरब ने दिया था| आनेवाले कुछ दिनों में ‘ओपेक प्लस’ देशों की बैठक हो रही है और इस दौरान ईंधन उत्पादन से जुड़ा निर्णय किया जाएगा| रशिया और ओपेक प्लस की भूमिका का ज़िक्र करके सौदी और यूएई ने यह निर्णय रशिया की सहमति से ही होगा, ऐसे स्पष्ट संकेत दिए हैं|

अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष होने के साथ ही ज्यो बायडेन का ईरान की ओर झुकते हुए अरब-खाड़ी देशों की सुरक्षा को चुनौती देनेवाली नीति अपनाई थी| इसका परिणाम अब बायडेन प्रशासन को भुगतना पड़ रहा है| खाड़ी क्षेत्र के ईंधन से भरे देश अमरीका की मॉंग को नामंजूर करके रशिया के साथ अपने संबंधों को विशेष अहमियत दे रहे हैं| कुछ महीने पहले अमरिकी विश्‍लेषकों ने इशारा दिया था कि, बायडेन प्रशासन की गलत नीति के कारण खाड़ी देशों पर रशिया का प्रभाव बढ़ रहा है| बायडेन प्रशासन फिलहाल इसी बात को अनुभव कर रहा है|

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