आर्क्टिक में रशिया और चीन की सैन्य गतिविधियों पर अमरीका की बारीक नज़र – अमरिकी रक्षा मुख्यालय की चेतावनी

वॉशिंग्टन – ‘आर्क्टिक क्षेत्र में रशिया और चीन की बढ़ती हुई सैन्य गतिविधियाँ और उनकी मंशा पर अमरीका की बारीक नज़र है। यह काफी शांत क्षेत्र है और यहां की शांति बरकरार रखने के लिए अमरीका कुछ भी करने के लिए तैयार है’, ऐसी चेतावनी अमरीका के रक्षा मुख्यालय पेंटॅगॉन ने दी। कुछ ही घंटे पहले रशियन सेना ने आर्क्टिक में विध्वंसक विरोधी मिसाइल का परीक्षण किया। चीनी नौसेना के जहाज़ों ने अमरीका के अलास्का क्षेत्र से आर्क्टिक में प्रवेश किया था। इसी पृष्ठभूमि पर पेंटॅगॉन ने रशिया और चीन को चेतावनी दी होने की बात दिखती है।

रशिया और चीनरशिया की सेना ने चुकोत्का पेनिन्सूला में लाईव फायरिंग का अभ्यास किया। इस दौरान रशियन नौसेना ने ग्रानित और ओनिक्स इन विमान विरोधी मिसाइल्स का इस्तेमाल किया। इस युद्धाभ्यास में रशिया के परमाणु पनडुब्बियाँ भी शामिल हुई थीं। रशियन मिसाइल्स ने इस दौरान ४०० किलोमीटर दूरी पर निर्धारित लक्ष्य को आसानी ने निशाना किया। यूक्रेन युद्ध जारी है और इसी बीच रशिया ने पिछले कुछ दिनों में आयोजित किया यह दूसरा युद्धाभ्यास है। हफ्ताभर पहले रशिया ने वोस्तोक युद्धाभ्यास के माध्यम से अपने सामर्थ्य का प्रदर्शन किया था।

रशिया द्वारा किए गए इन मिसाइल्स के परीक्षणों के कुछ ही घंटे बाद अमरीका ने आर्क्टिक में सैन्य गतिविधियों पर चिंता जताई। पेंटॅगॉन के ‘आर्क्टिक ऐण्ड ग्लोबल रेजिलिएन्स’ नामक विभाग के अध्यक्ष ग्रेग पोलॉक ने एक समारोह को वर्चुअली संबोधित करते हुए आर्क्टिक क्षेत्र में चीन और रशिया की सैन्य अधिकारों का ज़िक्र किया। आर्क्टिक की सुरक्षा और स्थिरता को लेकर अमरीका को चिंता सता रही है, ऐसा पोलॉक ने कहा। इसके लिए अमरीका ने १६ गुप्तचर संस्थाओं को काम में लगाया होने की जानकारी पोलॉक ने दी।

रशिया और चीनउत्तरी क्षेत्र के आर्क्टिक क्षेत्र पर रशिया की तरह अमरीका, कनाड़ा, नॉर्वे, स्वीडन, डेन्मार्क, फिनलैण्ड और आईसलैण्ड अधिकार की माँग कर रहे हैं। इनमें से आर्क्टिक के ५० लाख चौरस किलोमीटर क्षेत्र पर रशिया ने नियंत्रण स्थापित किया है। बैरेंट समुद्र से कारा समुद्र, लाप्तेव समुद्र, पूर्व सैबेरिया का समुद्र और बेरिंग की खाड़ी तक रशिया का वर्चस्व है। रशियन राष्ट्रध्यक्ष व्लादिमर पुतिन ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की नीति में आर्क्टिक क्षेत्र के लिए हमारी सामरिक प्राथमिकता होने का ऐलान किया था।

सिर्फ राजनीतिक ही नहीं, बल्कि सैन्य, आर्थिक, पर्यावरण, प्रौद्योगिकी और खनिज संपत्ति के नज़रिये से आर्क्टिक काफी अहम होने का बयान राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने रेखांकित किया था। आर्क्टिक क्षेत्र से रशिया बडी मात्रा में ईंधन और ईंधन वायु का खनन कर रही है। आर्क्टिक क्षेत्र की इसी अहमियत के कारण पिछले चार सालों से चीन ने भी ‘नियर आर्क्टिक’ नीति अपनाकर इस क्षेत्र में हस्तक्षेप बढ़ाया है। चीन के नौसैनिक जहाजों के आर्क्टिक दौरे बढ़ा रहे हैं, इस ओर भी पेंटॅगॉन के अधिकारी ग्रेग पोलॉक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

इसी बीच इस महीने की शुरूआत में रशिया के व्लादिवोस्तोक के करीब आयोजित ईस्ट इकॉनॉमिक फोरम’ की बैठक हुई। इस दौरान चीन ने रशिया के साथ आर्क्टिक क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का ऐलान किया था। इसके बाद पेंटॅगॉन ने यह चेतावनी दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published.