बांगलादेश द्वारा भारत को दो बंदरगाहों का प्रस्ताव

ढ़ाका – चट्टोग्राम और सिलहेट जैसें हमारे दो अहम बंदरगाहों का विकास भारत करें, ऐसा प्रस्ताव बांगलादेश ने भारत के सामने रखा है। पहले के दौर में चितगांव के नाम से जाने गए चट्टोग्राम बंदरगाह रणनीतिक नज़रिये से भारत के लिए काफी अहम हैं। इस वजह से बांगलादेश द्वारा पेश किया गया यह प्रस्ताव भारत के लिए स्वागतार्ह बात है। भारतीय विश्लेषकों से चर्चा करते हुए बांगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने ही यह प्रस्ताव पेश करने की जानकारी स्थानीय अखबार ने प्रदान की।

बंदरगाहोंदो दिन पहले भारत और बांगलादेश के बीच १३१ किलोमीटर लंबी ईंधन पाइपलाइन का उद्घाटन हुआ है। भारत इसी पाइपलाइन से हर वर्ष करीबन दस लाख मेट्रिक टन डीजल बांगलादेश को प्रदान करेगा। बांगलादेश के उत्तरी क्षेत्र को इससे काफी बड़ा लाभ प्राप्त होगा और इस डीजल की यातायात का खर्चा इससे काफी कम होगा। इस वजह से ३७७ करोड़ रुपयों का यह प्रकल्प बांगलादेश की ईंधन सुरक्षा के लिए काफी बड़ा योगदान देगा। इसके बाद बांगलादेश के प्रधानमंत्री ने भारत को अपने दो अहम बंदरगाहों का प्रस्ताव दिया है।

इनमें से चट्टोग्राम बंदरगाह भारत के ईशान्य के क्षेत्र से काफी करीब होने से इसकी रणनीतिक अहमियत काफी ज्यादा है। इस वजह से भारत और बांगलादेश की कनेक्टिविटी अधिक बढ़ेगी। ‘ढ़ाका ट्रिब्युन’ नामक बांगलादेशी अखबार में इससे संबंधित खबर प्रसिद्ध हुई है। इंडिया फाऊंडेशन नामक अभ्यासगुट के संस्थापक राम माधव ने बांगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसिना से मुलाकात की। इस दौरान हुई चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री हसिना ने यह प्रस्ताव देने की बात ढ़ाका ट्रिब्युन ने कही है।

भारत यह प्रस्ताव स्वीकार ने की काफी संभावना हैं। पिछले कुछ सालों से बांगलादेश के बंदरगाह विकसित करने के लिए एवं इस देश में बुनियादी सुविधाओं के विकास प्रकल्पों में चीन ने विशेष रुचि दिखाई थी। लेकिन, चीन की शिकारी आर्थिक नीति पर गौर करके बांगलादेश ने चीन के निवेश से चौकन्ना रहने का निर्णय किया था। उसी मात्रा में बांगलादेश की सरकार ने भारत के साथ सहयोग बढ़ाने की समझदारी दिखाई है। दोनों देश अपने द्विपक्षीय कारोबार में अपनी अपनी मुद्राओं का इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहे हैं और दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को इससे काफी बड़ा लाभ प्राप्त होगा, ऐसे दावे आर्थिक विशेषज्ञ कर रहे हैं।

इसी पृष्ठभूमि पर चट्टोग्राम और सिलहेट बंदरगाह के विकास का प्रस्ताव देकर बांगलादेश भारत के साथ जारी सहयोग अधिक व्यापक करने की कोशिश करता दिखाई दे रहा हैं। 

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