संयुक्त राष्ट्रसंघ की आम सभा में कश्‍मीर का मुद्दा उठानेवाले तुर्की को भारत की फटकार

न्यूयॉर्क – संयुक्त राष्ट्रसंघ की आम सभा में कश्‍मीर का मुद्दा उठानेवाले तुर्की को भारत ने जोरदार फटकार लगाई। कश्‍मीर मसले का हल संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रस्ताव के दायरे में निकाला जाए, यह माँग राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने रखी। तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने इससे पहले भी पाकिस्तान का पक्ष लेकर भारत को घेरने की कोशिश की थी। लेकिन, इस बार भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा सायप्रस मुद्दे पर पारित किए गए प्रस्ताव का पालन करने का जिम्मा तुर्की पर है। तुर्की को इस बात की याद दिलाई।

भारत की फटकारसंयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रस्ताव के दायरे में कश्‍मीर मसले का हल निकालने की कोशिश करें, यह मसला ७४ वर्षों से प्रलंबित है, ऐसा एर्दोगन ने आम सभा में अपने भाषण में कहा था। बीते वर्ष की आम सभा में बोलते समय भी तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने कश्‍मीर का मुद्दा उठाया था। साथ ही अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान भी राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने कश्‍मीर मुद्दे पर भारत को उकसानेवाले बयान किए थे। इसके ज़रिये पाकिस्तान को खुश करके तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करनी चाही थी, यह बात स्पष्ट हुई थी।

राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन इस्लामी देशों का नेतृत्व करने के सपने देख रहे हैं। इसके लिए वह पैलेस्टिन से कश्‍मीर तक के हर मसले में हस्तक्षेप करते हैं, ऐसे दावे हो रहे हैं। फिलहाल सौदी अरब और खाड़ी क्षेत्र के अन्य देशों के हाथों में इस्लामधर्मी देशों के नेतृत्व को चुनौती देने की तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने फिलहाल पाकिस्तान को अपने साथ लिया है। कश्‍मीर मसले पर भारत के खिलाफ बयान करके एर्दोगन ने पाकिस्तान में लोकप्रियता प्राप्त की है। लेकिन, इसकी गूँज सुनाई दे रही है और इसका भारत-तुर्की संबंधों पर असर पड़ा है।

तुर्की की चुनौती प्राप्त हो रहे ग्रीस और सायप्रस के साथ भारत का सहयोग बढ़ रहा है। संयुक्त राष्ट्रसंघ की आम सभा की पृष्ठभूमि पर भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने सायप्रस के विदेशमंत्री निकोस से मुलाकात की। वर्ष १९७४ में सायप्रस में भड़के गृहयुद्ध का लाभ उठाकर तुर्की ने सायप्रस के उत्तरी क्षेत्र पर अवैध कब्ज़ा किया था। इसके खिलाफ संयुक्त राष्ट्रसंघ ने प्रस्ताव पारित किया है। इसकी याद विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने तुर्की को दिलाई। सीधे नाम लेने से दूर रहकर राष्ट्रसंघ के इस प्रस्ताव का पालन करने की ज़िम्मेदारी संबंधितों पर है, ऐसा बयान जयशंकर ने किया।

इसके साथ ही सायप्रस के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए भारत पहल करेगा, यह भी भारतीय विदेशमंत्री ने स्पष्ट किया। आम सभा में तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने कश्‍मीर का ज़िक्र करने के बाद भारत के विदेशमंत्री ने यह बयान करके फिर एक बार तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष को चेतावनी दी हुई दिख रही है। बीते वर्ष पाकिस्तान की यात्रा के दौरान राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने कश्‍मीर को लेकर किए बयान उनके अज्ञान का प्रदर्शन करनेवाली साबित होती है। इसके ज़रिये उन्होंने पाकिस्तान के आतंकवाद का समर्थन किया है, ऐसी आलोचना भारतीय विदेश मंत्रालय ने की थी।

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