साल २०२३ में अफ़गानिस्तान में चीनी नागरिकों पर हो रहे हमलों की तीव्रता बढ़ेगी – अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों की चेतावनी

हाँगकाँग –  ‘पिछले महीने ‘आयएस-खोरासान’ के आतंकियों ने काबुल के होटल में चीनी नागरिकों पर किया हमला तो सीर्फ झांकी थी। आनेवाले साल में अफ़गानिस्तान पहुँचे चीनी नागरिकों पर अधिक तीव्र हमले होंगे। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत झिंजियांग के उइगरवंशियों पर कर रहें अमानवी अत्याचारों का प्रतिशोध लेने के लिए आयएस के आतंकी चीनी नागरिकों को लक्ष्य करते रहेंगे’, ऐसी गंभीर चेतावनी अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों ने दी है।

चीनी नागरिकों परझिंजियांग प्रांत के उइगरवंशियों को चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत लक्ष्य कर रही हैं। उइगरवंशी मर्दों को उत्पीड़न शिविरों में बंद करके उनपर अत्याचार कर रही हैं। चीन की हुकूमत साज़िश के तहत उइगरवंशियों का अस्तित्व मीटा रही हैं, ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं। चीन ने यह आरोप ठुकराकर अंतरराष्ट्रीय निरिक्षकों को झिंजियांक दौरे के लिए आमंत्रित किया है। इन निरिक्षकों ने भी हमे क्लिन चीट दी हैं, यह दावा चीन कर रहा हैं। लेकिन, चीन ने उइगरवंशी इस्लामधर्मियों पर अनन्वित अत्याचार करने की गूंज अफ़गानिस्तान में सुनाई देगी, ऐसी चेतावनी अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक दे रहे हैं।

इसके लिए अफ़गानिस्तान की राजधानी काबुल में पिछले महीने हुए आतंकी हमले की याद इन विश्लेषकों ने बताई है। इस हमले की ज़िम्मेदारी आतंकी संगठन ‘आयएस-खोरासान’ ने स्वीकारी थी। चीनी कारोबारी, राजनीतिक अधिकारी और नागरिकों की भीड़ होने वाले काबुल के इस होटल पर आयएस के आतंकियों ने किए हमले में पांच चीनी नागरिक गंभीर रूप से घायल हुए थे। यह हमला यानी चीन के लिए इशारा था, ऐसा दावा ब्रिटेन स्थित ‘इस्लामिक थिओलॉजी ऑफ काउंटर टेररिझम’ (आईटीसीटी) नामक अध्ययन गुट के दक्षिण एशियाई आतंकवाद विभाग के संचालक फरान जेफ्री ने किया है।

चीनी नागरिकों परतालिबान की हुकूमत से सहयोग स्थापित करने वाले चीन के अफ़गानिस्तान में मौजूद हितसंबंधों पर ऐसे हमले आगे भी जारी रहेंगे, ऐसा इशारा जेफ्री ने किया है। ‘आयएस’ के अनुसार चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत नास्तिक हैं और यह हुकूमत चीन में उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार करती है। इस चीनी हुकूमत ने अफ़गानिस्तान की तालिबानी हुकूमत के साथ सहयोग स्थापित किया हैं। इससे अफ़गानिस्तान में मौजूद चीन के हितसंबंधों पर हमले करना उचित है, यह विचार आयएस रखती हैं’, ऐसी चेतावनी जेफ्री ने दी। हाँगकाँग स्थित ‘साउथ चायना मॉर्निंग पोस्ट’ नामक अखबार ने यह चेतावनी प्रसिद्ध की है।

अफ़गानिस्तान में तालिबान की सरकार स्थापित होने के साथ ही चीन ने इस देश में सबसे ज्यादा निवेश किया है। पिछले महीने में ५०० चीनी कारोबारी अफ़गानिस्तान पहुँचने का दावा किया जा रहा है। साथ ही तालिबान से सहयोग स्थापित करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तालिबान की हुकूमत को स्वीकृति प्रदान करने का वादा भी चीन ने किया है। लेकिन, उससे पहले तालिबान हमारी मांगे मंजूर करे, ऐसी शर्त चीन ने तालिबानी नेताओं के सामने रखी है।

चीन की हुकूमत के लिए खतरा बन रहे ‘ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मुवमेंट’ (ईटीआईएम) नामक आतंकी संगठन पर तालिबान कार्रवाई करे। उइगरवंशियों के चरमपंथियों का भरणा होने वाली इस आतंकी संगठन ने अफ़गानिस्तान के बड़ाखशान एवं फरयाब और नूरीस्तान प्रांत में अपने अड्डे बनाए हैं। तालिबान ने इन अड्डों को तबाह किया तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तालिबानी हुकूमत को मंजूरी दिलाने के लिए कोशिस करने का वादा चीन ने किया है। लेकिन, उइगरवंशियों पर जारी अत्याचारों की वजह से गुस्सा हुए आयएस के आतंकी अफ़गानिस्तान में चीनी नागरिकों को लक्ष्य कर सकते हैं, इस मुद्दे पर हार्वर्ड केनेडी स्कूल के प्राध्यापक निशांक मोटवानी ने ध्यान आकर्षित किया हैं।

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