आर्मेनिया द्वारा रशिया प्रायोजित सैन्य गुट से बाहर होने का इशारा – नागोर्नो-काराबाख पर समझौता करने के भी संकेत

येरेवन – पूर्व सोवियत रशिया का हिस्सा रहे देशों के ‘कलेक्टिव सिक्योरिटी ट्रिटी ऑर्गनाइजेशन’ (सीएसटीओ) सैन्य गुट अकार्यक्षम या प्रभाव हीन हुआ तो आर्मेनिया इस गुट से बाहर होगा, ऐसा इशारा आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिनयन ने दिया। साथ ही पिछले कुछ सालों से अज़रबैजान के साथ विवाद का मुद्दा बने नागोर्नो-काराबाख के मुद्दे पर भी समझौता करने की तैयारी प्रधानमंत्री पाशिनयन ने दर्शायी। रशिया के साथ दूरियां बनने के कारण पूर्व सोवियत देश ने यह भूमिका अपनाई होने का दावा अमरिकी वृत्तसंस्था ने किया।

आर्मेनिया द्वारा रशिया प्रायोजित सैन्य गुट से बाहर होने का इशारा - नागोर्नो-काराबाख पर समझौता करने के भी संकेतअमरीका, कनाडा और यूरोपिय देशों के सैन्य संगठन को ‘नाटो’ कहा जाता है। वहीं, पूर्व सोवियत देशों के मिनी नाटो के तौर पर ‘सीएसटीओ’ की पहचान बनी है। पूर्व सोवियत देशों की सुरक्षा का खतरा होने पर वह हमपर हमला होगा, ऐसी इस संगठन की भूमिका है। सोवियत रशिया के विभाजन के बाद १९९२ में स्थापित इस संगठन में रशिया, आर्मेनिया, बेलारूस, कझाकस्तान, किरगिझिस्तान और ताज़िकिस्तान का समावेश है।

नाटो की तरह ‘सीएसटीओ’ के सदस्य देशों का भी युद्धाभ्यास आयोजित होता है। रशिया के नेतृत्व में साथ मिले इन पूर्व सोवियत देशों के अगले युद्धाभ्यास का आयोजन जल्द ही गिरगिझिस्तान में होगा। ‘सीएसटीओ’ के सदस्य देश के तौर पर आर्मेनिया इस युद्धाभ्यास में शामिल होगा, यह जानकारी प्रधानमंत्री निकोल पाशिनयन ने दी। लेकिन, इस युद्धाभ्यास का स्वरूप और ‘सीएसटीओ’ का प्रभाव को ध्यान में रखकर इस संगठन में आर्मेनिया के शामिल होने पर यकीनन विचार किया जाएगा। यह सैन्य संगठन प्रभाव हीन पायी गई तो इससे बाहर निकलने की संभावना से भी इन्कार नहीं कर सकते, ऐसा प्रधानमंत्री पाशिनयन ने कहा।

आर्मेनिया के प्रधानमंत्री ने नागोर्नो-काराबाख का मुद्दा भी इस दौरान उठाया। पिछले कुछ सालों से इस क्षेत्र को लेकर आर्मेनिया केसाथ संघर्ष कर रहा अज़रबैजान नागोर्नो-काराबाख स्थित आर्मेनिय वंशियों के अधिकार और सुरक्षा की गारंटी देने के लिए तैयार होता हैं तो यह क्षेक्ष अज़रबैजान को सौपने के लिए भी तैयार होने का बयान पाशिनयन ने किया। अपनी इस भूमिका का अज़रबैजान सम्मान करता है और हमारी मांगे मंजूर करता है तो अगली बैठक में इसपर चर्चा हो सकती है, यह भी आर्मेनिया के प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया। फिहलाल आर्मेनिया और अज़रबैजान के युद्धविराम की चर्चा शुरू होने की जानकारी भी प्रधानमंत्री पाशिनयन ने साझा की।

आर्मेनिया द्वारा रशिया प्रायोजित सैन्य गुट से बाहर होने का इशारा - नागोर्नो-काराबाख पर समझौता करने के भी संकेतइससे पहले आर्मेनिया ने रशिया विरोधी भूमिका अपनाई नहीं थी। लेकिन, आर्मेनिया जैसे पूर्व सोवियत देश की भूमिका में हुए इस बदलाव के लिए अमरीका ज़िम्मेदार होने का दावा किया जाता है। पिछले साल सितंबर महीने में अमरिकी प्रतिनिधि सदन की सभापति नैन्सी पेलोसी ने आर्मेनिया का दौरा करके प्रधानमंत्री पाशिनयन से मुलाकात की थी। इसके बाद ही उन्होंने नागोर्नो-काराबाख के मुद्दे पर रशिया और ‘एससीटीओ’ पर दबी आवाज़ में आलोचना करना शुरू किया था, इसपर रशियन माध्यम ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

अज़रबैजान पर दबाव बनाने में रशिया असफल हुई है, ऐसी नाराज़गी भी आर्मेनिया के प्रधानमंत्री ने व्यक्त की थी। ऐसे में ‘सीएसटीओ’ का सदस्य होने के कारण आर्मेनिया पश्चिमी देशों से हथियार खरीद नहीं सकता, ऐसा बयान भी पाशिनयन ने किया था। साथ ही पिछले कुछ महीनों में यूरोपिय महासंघ के नेताओं ने भी आर्मेनिया के दौरे बढ़ाए हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री पाशिनयन की इस रशिया विरोधी भूमिका के लिए अमरीका और यूरोपिय महासंघ ही ज़िम्मेदार होने की बात दिख रही है।

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