भारतीय सैन्य ठिकानों पर ड्रोन विरोधी यंत्रणा तैनात

पुणे – सैन्य ठिकानों के लिए ड्रोन एक बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं। आतंकवादी एवं भारत विरोधी ताकतें हमलों के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस वजह से संभावित ड्रोन हमलों को उचित समय पर भांपकर सैन्य ठिकाने और सैनिकों की सुरक्षा बरकरार रखने के लिए वायु सेना के अड्डों पर ड्रोन विरोधी यंत्रणा तैनात करने की जानकारी पुणे स्थित भारतीय वायु सेना के अड्डे के प्रमुख एअर कमांडर शेखर यादव ने साझा की।

ड्रोन हमलों के खतरे काफी बढ़े हैं। वर्ष २०२१ में जम्मू स्थित वायु सेना के अड्डे पर ड्रोन हमला किया गया था। वायु सेना के अड्डे पर हुआ हमला यानी युद्ध का ऐलान होने की चेतावनी पूर्व सेना अधिकारियों ने तब दिया था। उस हमले के बाद रक्षाबलों ने ड्रोन हमलों की संभावना खत्म करने की दिशा में पुख्ता कदम बढ़ाना शुरू किया।

भारतीय सैन्य ठिकानों पर ड्रोन विरोधी यंत्रणा तैनातड्रोन हमलों से बचने के लिए वायुसेना के ठिकाने पर ड्रोन विरोधी यंत्रणा तैनात की गई है। वायु सेना के ठिकाने से तीन किलोमीटर का दायरा ‘नो ड्रोन झोन’ घोषित किया गया है। साथ ही इर्दगिर्द के इलाके में ड्रोन ऑपरेटर को सरकारी नीति का पालन करने की सूचना भी दी गई है।

पिछले तीन सालों में सीमा पर ड्रोन दिखाई देने की घटनाएं काफी बढ़ी हैं। वर्ष २०२२ में सीमा पर ड्रोन दिखाई देने की २०० घटनाएं दर्ज हुई थी। इसके बाद इस वर्ष सीर्फ पंजाब के सरहदी इलाके में ऐसी ५०० से अधिक घटनाएं दर्ज़ हुई है। सरहदी इलाकों में ड्रोन दिखाई देने की कुल घटनाओं में से ७५ मामले पंजाब की सीमा पर दर्ज हुई है। इसके अलावा १५ प्रतिशत मामले जम्मू, राजस्थान और गुजरात में १० प्रतिशत घटनाएं दर्ज़ हुई हैं।

पाकिस्तान से भारत में नशिले पदार्थ, हथियार, पैसे और विस्फोटकों की तस्करी करने के लिए अब ड्रोन का बड़ा इस्तेमाल किया जा रहा है। ड्रोन की कीमतें काफी कम हैं और यह बड़ी आसानी से उपलब्ध होने से सीमा के उस ओर तस्करी करने के लिए अब ड्रोन का इस्तेमाल अधिक होने का बयान कमांडर यादव ने किया।

अब तक उड़ान भरने वाले ड्रोन मानवी नियंत्रण में थे। लेकिन, अब आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स (एआई) की वजह से उड़ान भरने के साथ इस दौरान ज़रूरी निर्णय करने की क्षमता बढ़ी है। पिछले कुछ समय से पाकिस्तान से उड़ान भर कर सीमा में घुसपैठ करने वाले कई ड्रोन मार गिराने में कामयाबी हासिल हुई है। लेकिन, फिर भी सही समय और ठिकान की जानकारी प्राप्त होने की आवश्यकता वायु सेना के अधिकारी ने रेखांकित की।

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