युरोप में एक करोड़ निर्वासित आ धमकेंगे

जर्मनी के आर्थिक व्यवहार एवं सहकार्य मंत्री की चेतावनी

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गत कुछ महीनों में युरोप में दाख़िल हुआ निर्वासितों का रेला यह इस समस्या की महज़ एक झलक थी। इराक, सिरिया के साथ साथ अफ़्रीका से विस्थापित हुई कुल जनसंख्या में से केवल १० प्रतिशत निर्वासित ही युरोप में दाख़िल हुए हैं। आनेवाले समय में तक़रीबन १ करोड़ निर्वासित युरोप में दाख़िल होने की तैयारी में हैं, ऐसा चकरा देनेवाला दावा जर्मनी के आर्थिक व्यवहार एवं सहकार्य मंत्री गर्ड म्युलर ने किया है। उसीके साथ, निर्वासितों के रेले को रोकने के लिए युरोपीय देशों के द्वारा सीमारेखाओं को बंद किया जाना, यह उपाय नहीं है, यह भी म्युलर ने ज़ोर देकर कहा है।

‘बिल्ड अम सोन्ताग’ इस जर्मन अख़बार को दिये हुए इन्टरव्ह्यू में गर्ड म्युलर ने, निर्वासितों की बहु बड़ी लहर युरोप में आ धमकनेवाली है, यह स्पष्ट किया। सिरिया और इराक में से भारी संख्या में विस्थापित एवं निर्वासित युरोप में दाखिल हुए हैं। लेकिन उनमें अफ़्रीका के विस्थापितों की संख्या बहुत ही कम होने की याद म्युलर ने दिलाई। इराक और सिरिया के विस्थापितों को समा लेने के लिए युरोप ने अपनायी हुई भूमिका के कारण, आनेवाले दशक भर में अफ़्रीकी देशों में से स्थलांतरितों एवं विस्थापितों का बड़ा रेला युरोपीय देशों में आकर धमक सकता है, ऐसी चेतावनी म्युलर ने दी है।

इजिप्त की आबादी लगभग १० करोड़ के नज़दीक पहुँची होकर, नायजेरिया की आबादी भी ४० करोड़ के आसपास होने की जानकारी म्युलर ने दी। इन देशों की जनता के सामने भारी तादात में आर्थिक समस्याएँ हैं। इस कारण अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए इन तथा अन्य कुछ अफ़्रीकी देशों की जनता युरोप में दाख़िल हो सकती है, ऐसा दावा म्युलर ने किया। विद्यमान युग यह डिजिटल युग होने के कारण इंटरनेट, मोबाईल फोन्स इनके ज़रिये – ‘युरोप में कितना सुखपूर्ण जीवन तथा पैसा है’ इस तरह की जानकारी सर्वदूर फैल रही है। इससे प्रभावित होकर अफ़्रीका के विस्थापित, निर्वासित युरोप में दाख़िल हो सकते हैं, ऐसी चेतावनी म्युलर ने दी।

विस्थापितों की इस भीड को रोकने के लिए कुछ युरोपीय देश अपनी सीमारेखाओं को बंद करने की तैयारी में है। वहीं, कुछ देशों ने सीमाओं पर की सुरक्षा चौकियों की संख्या बढ़ाकर केवल अधिकृत कागज़ात रहनेवाले निर्वासितों को ही प्रवेश देने की शुरुआत की है। युरोपीय देशों की इस भूमिका की भी म्युलर ने आलोचना की। हज़ारों निर्वासित संकट की छाया में रहते हुए जर्मनी और युरोप अपनी सीमारेखाओं को बंद कर बैठ नहीं सकते। निर्वासित आते रहेंगे और हमें उनके लिए सीमारेखाओं को खुला रखना पड़ेगा, ऐसा भी म्युलर ने कहा है।

इन निर्वासितों की समस्या को यदि सुलझाना हो, तो जर्मनी ने तैयार किये हुए १० अरब युरो के ‘मार्शल प्लान’ में सभी युरोपीय देश सम्मिलित हों, ऐसा आवाहन म्युलर ने किया। इराक और सिरिया में चल रहे विध्वंस के कारण निर्वासित युरोप की ओर दौड़ लगा रहे हैं। इसलिए इन निर्वासितों का इराक और सिरिया में ही पुनर्वसन शुरू कर उनके लिए छावनियाँ बनाने की शुरुआत करने का आवाहन म्युलर ने किया। साथ ही, फ़िलहाल निर्वासितों के लिए अपनी सीमारेखाएँ बंद करनेवाले या फिर उसपर मर्यादा डालनेवाले देशों को चाहिए कि वे इस योजना में सर्वाधिक रूप में सम्मिलित हों और अधिक से अधिक निवेश करें, ऐसा आवाहन म्युलर ने किया।

उसी समय, युरोप में दाख़िल हुए निर्वासितों के लिए युरोपीय देशों द्वारा संपूर्ण शिक्षा की आपूर्ति करने की और उन्हें युरोपीय सभ्यता में समा लेने की ज़रूरत है, ऐसा म्युलर ने कहा। वहीं, निर्वासितों की समस्या में उलझे तुर्की को युरोपीय देश सहायता करें, ऐसा आवाहन भी म्युलर ने किया। निर्वासितों एवं स्थलांतरितों को समा लेने की तुर्की की क्षमता पूरी हो चुकी है। इन निर्वासितों की सुविधा के लिए युरोपीय देशों ने तुर्की को जो तीन अरब युरो की सहायता क़बूल की थी, उसे दे देने की माँग इस समय म्युलर ने की।

इसी दौरान, जर्मनी में ही इन निर्वासितों के विरोध में जनमत ख़ौल गया है। नये वर्ष की पूर्वसंध्या पर महिलाओं तथा युवतियों के साथ ग़ैरसलुक़ी से पेश आनेवाले निर्वासितों को जर्मनी में पनाह ना दी जाये, ऐसी माँग जर्मनी की संतप्त जनता कर कही है।

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