भारत को समर्थन देकर अमरीका ने चीन पर दबाव बढ़ाया

America-Indiaवॉशिंग्टन – चीन द्वारा भारतीय सीमा पर की गयीं आक्रमक गतिविधियाँ, यह उनकी वर्चस्ववादी नीति का भाग होकर, उससे चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी का असली चेहरा सामने आ रहा है, ऐसी तीख़ी आलोचना अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने की। ट्रम्प की यह आलोचना, चीनविरोधी संघर्ष में भारत को अमरीका से मिलनेवाले बढ़ते समर्थन का प्रतीक माना जाता है। अमरीका के विदेशमंत्री माईक पॉम्पिओ, संयुक्त राष्ट्रसंघ में पूर्व दूत निक्की हॅले के साथ अमरीका के कई संसद सदस्यों ने भी चीनविरोधी विवाद में भारत का समर्थन किया है।

लद्दाख की गलवान वैली में चिनी जवानों ने भारतीय सैनिकों पर किया क़ायर हमला यह पूर्वनियोजित साज़िश थी और चीन के वरिष्ठ नेतृत्व ने इस हमले को ग्रीन सिग्नल दिया था, ऐसी जानकारी प्रसारमाध्यमों से सामने आयी है। इस संघर्ष में भारतीय सेना ने चीन को दिया झटका आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय साबित हुआ है। भारतीय सेना तथा राजनीतिक नेतृत्व ने चीन के ख़िलाफ़ अपनाई आक्रमक भूमिका की दुनिया के प्रमुख देशों ने दखल ली होकर, भारत को बढ़ता समर्थन मिलने लगा है। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प और अन्य नेताओं से आयीं प्रतिक्रियाएँ उसीका भाग माना जा रहा है।

America-India‘भारत-चीन सीमा पर जारी गतिविधियों पर अमरीका बारिक़ी से नज़र रखें है। इस भाग में चीन ने दिखाई आक्रमकता यह उनकी वर्चस्ववादी नीति का हिस्सा है। चिनी लष्कर की हरक़तें, सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी का असली चेहरा दुनिया के सामने ले आयीं हैं’, ऐसे शब्दों में राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने चीन की हुक़ूमत को खरी खरी सुनाई। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ने इससे पहले भी गलवान वैली संघर्ष में भारत का पक्ष लेकर चीन के ख़िलाफ़ नाराज़गी व्यक्त की थी। भारत-चीन विवाद में मध्यस्थता करने की अपनी तैयारी होने का बयान भी ट्रम्प ने किया था।

राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प के साथ ही अमरीका के अन्य वरिष्ठ नेता भी भारत-चीन विवाद में भारत के पक्ष में डटकर खड़े होने का चित्र सामने आ रहा है। चीन ने सीमा पर की हरक़त के बाद भारत ने चीन को आर्थिक स्तर पर झटके देना शुरू किया है। उसी के एक भाग के रूप में, कुछ चिनी कंपनियाँ और ॲप्स पर पाबंदी लगाई गयी है। भारत द्वारा दिखाई जानेवाली इस आक्रमकता की अमरीका के विदेशमंत्री माईक पॉम्पिओ ने प्रशंसा की। चिनी ॲप्स ये सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के ‘सर्व्हिलन्स स्टेट’ का भाग होकर, उनके विरोध में की हुई कार्रवाई, यह भारत की सार्वभूमता, एकता और राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से किया अहम फ़ैसला साबित होता है, ऐसा अमरिकी विदेशमंत्री ने कहा है।

India-America-Chinaपॉम्पिओ के बाद अमरीका की संयुक्त राष्ट्रसंघ में पूर्व राजदूत निक्की हॅले ने भी भारत की कार्रवाई का समर्थन किया। ‘भारत चिनी ॲप्स के लिए बड़ा मार्केट है। ऐसे में, इस कार्रवाई का फ़ैसला करके भारत ने यह स्पष्ट संदेश चीन को दिया है कि हम चिनी आक्रमण के विरोध में पीछे नहीं हटेंगे’, ऐसे शब्दों में हॅले ने भारत का समर्थन किया। अमरीका की संसद में हुई सुनवाई में, रिपब्लिकन पार्टी के वरिष्ठ नेता ॲडम शिफ तथा मार्को रुबीओ ने, भारत-चीन सीमा पर हुए संघर्ष के लिए चीन की आक्रमकता ही कारणीभूत है, ऐसा दोषारोपण किया है। इसके अलावा, गलवान वैली के संघर्ष में भारत को समर्थन देनेवाला स्वतंत्र प्रस्ताव भी अमेरिकन सिनेटर कोरी गार्डनर ने रखा है।

इसी बीच, चीनविरोधी संघर्ष की पृष्ठभूमि पर, भारत के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए अमरिकी सांसदों ने आवश्यक कदम उठाने शुरू किये हैं। अमरीका में फिलहाल सन २०२१ के ‘डिफेन्स बजेट’ पर चर्चा जारी होकर, उसमें भारत के साथ रक्षा सहयोग दृढ़ करने के लिए चार प्रस्ताव दाख़िल किये गए हैं। उनमें अमरीका-इस्रायल के बीच के रक्षा सहयोग का मॉडेल भारत को भी लागू करने के प्रस्ताव का समावेश है। भारत को ‘नाटो प्लस’ देश का दर्जा देना, ‘फिफ्थ जनरेशन फायटर जेट’ के लिए सहयोग और ‘क्वाड’ गुट में रक्षा सहभाग बढ़ाना इसके लिए ये प्रस्ताव सादर किये गए हैं।

लद्दाख के साथ अन्य भागों में चीन के विरोध में संघर्ष की स्थिति बनी होते समय, अमरीका, इस्रायल, फ्रान्स जैसे मित्र देशों ने भारत को रक्षासामग्री की सप्लाई करने के लिए तेज़ी से गतिविधियाँ कीं, यह बात सामने आयी थी। भारत को मिलनेवाला यह सहयोग चीन का सिरदर्द बढ़ानेवाला साबित हुआ था। उसमें अब अमरीका से मिलनेवाले बढ़ते समर्थन के कारण चीन पर दबाव अधिक ही बढ़ता चला जा रहा होने के संकेत मिल रहे हैं।

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