‘अमरीका पॅरिस जलवायु समझौते से बाहर निकलेगी’ : राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प की घोषणा

वॉशिंग्टन, दि. २ : ‘अमरीका और अमरिकी जनता को सुरक्षित रखना मेरा पहला कर्तव्य है और इसके लिए अमरीका ने पॅरिस समझौते से बाहर निकलने का फैसला किया है| बतौर राष्ट्राध्यक्ष, अमरिकी जनता के हित के अलावा अन्य किसी भी चीज़ के बारे में मैं नहीं सोच सकता| अपने हितसंबंध ख़तरे में रखकर अमरीका पॅरिस जलवायु समझौते में शामिल हुई थी| लेकिन इसके आगे अमरीका इस समझौते के किसी भी प्रावधान पर अमल नहीं करेगी’, ऐसे शब्दों में अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने देश को ‘पॅरिस जलवायु समझौते’ से बाहर रखने का फ़ैसला किया है|

जलवायुअमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने प्रचार अभियान के दौरान, ‘ग्लोबल वॉर्मिंग’ और ‘पॅरिस जलवायु समझौते’ की ज़ोरदार आलोचना की थी| ‘मेरे सत्ता में आने के बाद पहले १०० दिनों में अमरीका ‘पॅरिस जलवायु समझौते’ से बाहर निकलेगी’ ऐसी घोषणा ट्रम्प ने की थी| गुरुवार को ट्रम्प ने इस समझौते से बाहर निकलने का फैसला करके, अमरिकी जनता को दिया हुआ आश्‍वासन पूरा किया है, ऐसा माना जा रहा है|

राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने गुरुवार को की इस घोषणा में ‘पॅरिस जलवायु समझौते’ की आलोचना करते हुए, अमरीका के अलावा सभी देशों को इसका फ़ायदा मिल रहा है, ऐसी नाराज़गी जताई थी| इस समय उन्होंने चीन और भारत पर निशाना साधने की भी कोशिश की| ‘पॅरिस जलवायु समझौते’ की वजह से भारत और चीन को अरबों डॉलर्स मिलनेवाले हैं और इन देशों की, कोयले पर आधारित परियोजनाओ में बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी होनेवाली है| इस वजह से अमरीका के आर्थिक हितसंबंधो का नुकसान हो सकता है, ऐसी आलोचना ट्रम्प ने की|

‘मुझे अमरिकी जनता ने पिट्सबर्ग का प्रतिनिधित्त्व करने के लिए चुना गया है, पॅरिस का नहीं’ ऐसे आक्रामक शब्दों में राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने अपने फ़ैसले का समर्थन किया है| ट्रम्प के इस फ़ैसले को रिपब्लिकन पक्ष से जोरदार समर्थन मिल रहा है और वरिष्ठ नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है| रिपब्लिकन पार्टी के वरिष्ठ नेता मिच मॅक्कॉनेल ने, ट्रम्प की इस घोषणा की वजह से, ओबामा प्रशासन द्वारा की गयीं स्थानीय उद्योगों को निशाना बनाने की कोशिशों को कसकर तमाचा लगा है, ऐसी प्रतिक्रिया दी है|

पिछले दशक से संयुक्त राष्ट्रसंगठन की पहल से आंतर्राष्ट्रीय जलवायु समझौते के लिए कोशिश शुरू हुई थी| सन २०१५ में फ्रान्स की राजधानी पॅरिस में हुई बैठक में १९५ देशों ने जलवायु समझौते पर एकमत दर्शाया था| इसके बाद अप्रैल २०१६ में इस समझौते पर दस्तखत किये गये थे| संयुक्त राष्ट्रसंघटन के सदस्य रहे १४८ देशों ने इस समझौते को राष्ट्रीय स्तर पर मंज़ुरी दे दी थी| इस समझौते के तहत, आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, तापमान में बढ़ोतरी ना हों इसलिए उपाययोजना की जानेवाली है| इसके लिए प्रयास करनेवाले देशों को आर्थिक सहायता भी उपलब्ध की जायेगी|

आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर से ट्रम्प के फ़ैसले पर तीव्र प्रतिक्रिया

अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प के, ‘पॅरिस जलवायु समझौते’ से बाहर निकलने के फ़ैसले पर आंतर्राष्ट्रीय स्तर से कडी प्रतिक्रियाएँ आ रहीं हैं| युरोपीय देशों के साथ ही, चीन, कॅनडा, भारत और ऑस्ट्रेलिया द्वारा अमरीका के इस फ़ैसले की कड़ी आलोचना की गयी है| ‘यह बेहद गैरज़िम्मेदाराना कदम है’ ऐसे शब्दों में सभी ने फटकार लगाई है| अमरीका के उद्योग क्षेत्र ने भी राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प के फ़ैसले पर नाराज़गी जताई है| जानेमाने उद्योजक एलॉन मस्क ने, ‘व्हाईट हाऊस ऍडव्हायजरी कौन्सिल’ से बाहर निकलने की घोषणा की है|

युरोपीय देशों के नेताओं ने, किसी भी हालत में ‘पॅरिस जलवायु समझौते’ पर किसी भी प्रकार की बातचीत अब नहीं होगी, ऐसी चेतावनी दी है| गुरुवार को ब्रुसेल्स में हुई परिषद में, जर्मनी, फ्रान्स और इटली इन देशों ने संयुक्त निवेदन जारी करते हुए यह चेतावनी दी| उसी समय, चीन की सहायता से इस समझौते पर अमल करने के लिए कोशिशें शुरू कीं गयीं हैं, ऐसे संकेत दिये गये हैं|

 

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