भारत और एशियाई देशों को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से ख़तरा – अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ

वॉशिंग्टन – आग्नेय एशिया के प्रमुख देशों को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की जारी हरकतों से ख़तरा बन रहा है। यह ख़तरा वर्तमान के दौर में अमरीका के सामने खड़ी हुई सबसे बड़ी चुनौती हैं। इसी के लिए अमरीका अपनी सामरिक तैनाती की नीति में बदलाव कर रही है और एशिया में रक्षासिद्धता पर ज़ोर दे रही है, इन शब्दों में अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने फिर एक बार, चीन के साथ बढ़ रहें संघर्ष का एहसास दिलाया है। साथ ही, इस अमरीका-चीन संघर्ष की केंद्रबिंदु एशिया रहेगी, यह संकेत भी उन्होंने दिए।

India-Asiaपिछले कुछ महीनों में अमरीका ने चीन के विरोध में शुरू किया राजनीतिक संघर्ष और भी तेज़ हुआ दिख रहा है। राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प और प्रशासन के अन्य प्रमुख नेता चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी को लगातार लक्ष्य कर रहे हैं। इसके पीछे हालाँकि कोरोना की महामारी प्रमुख कारण है, लेकिन फिर भी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की वर्चस्ववादी नीति और इसके अनुसार जारी हरकतों की पोलखोल करने के लिए अमरिकी नेतृत्व पहल करता हुआ दिख रहा है।

विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ इस कोशिशों में अग्रसर हैं और पिछले कुछ महीनों में वे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी पर लगातार एक के बाद एक प्रहार कर रहे हैं। ‘ब्रुसेल्स फोरम कान्फरन्स’ में, प्रहार करने की यही नीति दोहराकर विदेशमंत्री पोम्पिओ ने, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की गतिविधियों का सबसे अधिक ख़तरा भारत और आग्नेय एशियाई देशों को होने का एहसास भी कराया। चीन की ‘पिपल्स लिब्रेशन आर्मी’ (पीएलए) की उकसानेवालीं मुहिमें उसी का हिस्सा हैं और भारतीय सीमा पर हुआ भीषण संघर्ष भी उसी का हिस्सा होने की चेतावनी पोम्पिओ ने दी। इसी बीच, चीन की ‘पीएलए’ ने साउथ चायना सी में शुरू की हुईं आक्रामक गतिविधियाँ और पड़ोसी देशों को लगातार दी जा रहीं धमकियों की ओर भी पोम्पिओ ने ध्यान आकर्षित किया।

अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ और वरिष्ठ अधिकारियों ने कुछ दिन पहले ही, भारत पर हमला करने के मामले को लेकर चीन की कड़ी आलोचना करके चीन को आड़े हाथ लिया था। ‘चीन की पिपल्स लिब्रेशन आर्मी ने विश्‍व में सबसे बड़ा जनतंत्र होनेवाले भारत की सीमा पर जानबूझकर तनाव निर्माण किया है’, ऐसा आरोप अमरिकी विदेशमंत्री पोम्पिओ ने किया था। साथ ही, अमरिकी विदेशमंत्री ने चीन की शासक कम्युनिस्ट हुकूमत का ज़िक्र ठेंठ ‘बदमाश’ ऐसा करके सनसनी मचाई थी।

India-Asia-China‘ब्रुसेल्स फोरम’ में चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी और पिपल्स लिब्रेशन आर्मी से बनें ख़तरों का ज़िक्र करके अमरिकी विदेशमंत्री ने, सामरिक तैनाती संबंधित भूमिका में किए बदलाव का समर्थन किया। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की हरकतें आज की अमरीका के सामने खड़ी हुई सबसे बड़ी चुनौती है और इसका मुकाबला करने के लिए ही एशिया में रक्षा तैनाती में बड़ी मात्रा में बढ़ोतरी की जा रही है, यह बात पोम्पिओ ने स्पष्ट की। कुछ दिन पहले ही अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओब्रायन ने यह बात स्वीकार की थी कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से बनें ख़तरें का एहसास अमरीका को हाल ही में हुआ है। इसके साथ ही, विदेशमंत्री पोम्पिओ द्वारा, कम्युनिस्ट पार्टी और ‘पीएलए’ सबसे बड़ी चुनौतियाँ होने की बात कहकर, उनसे मुकाबला करने के लिए अमरीका ने खुलेआम तैयारी शुरू की है, यह बात स्पष्ट की जाना अहमियत रखता है।

इसी बीच, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के विरोध में खुलेआम भूमिका अपना रही अमरीका ने, अब इस पार्टी के विरोध में ठेंठ कार्रवाई करना शुरू किया है। हाँगकाँग की स्वायत्तता छिनने का कारण बनीं कम्युनिस्ट पार्टी के विद्यमान एवं पूर्व अधिकारियों को इसके आगे अमरीका का वीज़ा प्राप्त नहीं होगा, यह ऐलान विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने किया। हाँगकाँग सुरक्षा कानून के मुद्दे पर, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों के विरोध में कार्रवाई होने का इस हफ़्ते का यह दूसरा अवसर है। कुछ दिन पहले ही अमरिकी सिनेट ने, कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों पर प्रतिबंध लगानेवाला विधेयक पारित किया था।

पिछले कुछ महीनों में अमरीका द्वारा चीन के करीबी क्षेत्र में बढ़ायीं लष्करी गतिविधियाँ और विदेशमंत्री पोम्पिओ जैसे वरिष्ठ नेता ने खुलेआम की हुई उनकी पुष्टि, ये घटनाएँ यही बात स्पष्ट करतीं हैं कि अमरीका ने चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के विरोध में शुरू किया संघर्ष तेज़ हुआ है। इस पृष्ठभूमि पर, अमरीका और चीन के बीच किसी भी क्षण युद्ध भड़क सकता है, यह चर्चा जागतिक माध्यमों में शुरू हुई है।

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