चीन के हाँगकाँग कानून पर विश्‍वभर में उमड़ी तीव्र प्रतिक्रिया – हाँगकाँग में ३०० प्रदर्शनकारी गिरफ़्तार

हाँगकाँग – चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने बुधवार से हाँगकाँग में जारी किए सुरक्षा कानून के विरोध में तीव्र प्रतिक्रियाएँ उमड़ रहीं हैं। हाँगकाँग में इस कानून के विरोध में तीव्र प्रदर्शन शुरू हुए हैं और सुरक्षा यंत्रणाओं ने ३०० प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार किया है। यह कानून यानी आंतर्राष्ट्रीय समुदाय का अपमान है और अमरीका चुपचाप नहीं बैठेगी, ऐसा अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने जताया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरीस जॉन्सन ने हाँगकाँग के नागरिकों को नागरिकता प्रदान करने का ऐलान किया है और ऑस्ट्रेलिया ने भी इसी से संबंधित नये प्रस्ताव का ऐलान किया है। इसी बीच, भारत ने भी संयुक्त राष्ट्रसंघ में हाँगकाँग का मुद्दा उपस्थित करने के संकेत देकर चीन को जोरदार तमाचा जड़ा है।

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मंगलवार के दिन चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने, हाँगकाँग के लिए तैयार किए ‘नैशनल सिक्युरिटी लॉ’ के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद बुधवार १ जुलाई से इस कानून पर अमल शुरू हुआ है। इस कानून के अनुसार, चीन के विरोध में किया गया कोई कृत्य गैरकानूनी और राष्ट्रविरोधी करार दिया गया है और ऐसा कृत्य करनेवालों को उम्रकैद की सज़ा देने का प्रावधान किया गया है। इस कानून के तहत गिरफ़्तार किए गए हाँगकाँग के नागरिकों पर, किसी भी स्थानीय कानून के तहत कार्रवाई नहीं होगी। नये कानून के तहत दर्ज़ होनेवाले मुकदमें ख़ुफ़िया तरीक़े से चलाने की अनुमति भी संबंधित यंत्रणाओं को दी गई है।

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चीन ने थोंपे इस नये कानून के विरोध में हाँगकाँग समेत आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कड़ी प्रतिक्रिया उमड़ रही है। बुधवार के दिन हाँगकाँग में कई जगहों पर बड़ी मात्रा में प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा यंत्रणाओं ने लाठीचार्ज समेत पेलेटस्‌ के साथ वॉटर एवं पेपर स्प्रे का बड़ी मात्रा में इस्तेमाल किया। इस दौरान ३०० प्रदर्शनकारियों की गिरफ़्तारी होने की जानकारी यंत्रणाओं ने साझा की है। नये सुरक्षा कानून के अनुसार, हाँगकाँग की आज़ादी के पोस्टर पकड़नेवाले और पत्रकों का वितरण करनेवाले नौं लोगों को गिरफ़्तार किया गया है।

आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी, हाँगकाँग कानून पर तीव्र प्रतिक्रिया उमड़ती हुई दिख रही है। ‘चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने हाँगकाँग का निवाला लिया है और यह घटना विश्‍व के सभी देशों का अपमान करनेवाली साबित होती है। इस मुद्दे पर अमरीका चुपचाप बैठेगी, इस उम्मीद में चीन की हुकूमत ना रहें’, ऐसी कड़ी चेतावनी अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने नये से दी है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरीस जॉन्सन ने, हाँगकाँग का नया कानून ब्रिटेन और चीन के बीच हुए समझौते का उल्लंघन है और हाँगकाँग के नागरिकों को दिए वचन का ब्रिटेन पालन करेगा, इन शब्दों में नागरिकता का प्रस्ताव लागू होने का ऐलान किया। इस प्रस्ताव के अनुसार, हाँगकाँग के करीबन २५ लाख से भी अधिक नागरिक ब्रिटेन में रह सकेंगे।

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ब्रिटेन के साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने भी, हाँगकाँग से बाहर निकलने की इच्छा रखनेवाले नागरिकों को पनाह देने का प्रस्ताव रखा है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने यह जानकारी प्रदान की। ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के इस प्रस्ताव पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दर्ज़ की है। हाँगकाँग में रहनेवाले सभी चीन के नागरिक हैं, ऐसा चीन द्वारा डटकर कहा गया है। जापान, कनाडा और तैवान ने भी, हाँगकाँग पर थोंपे गए नये सुरक्षा कानून को लेकर तीव्र चिंता व्यक्त की है। भारत ने भी हाँगकाँग कानून की दखल लेकर, यह मुद्दा संयुक्त राष्ट्रसंघ के सामने उपस्थित करने के संकेत दिए हैं।

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