अमरीका और यूरोपिय महासंघ ने की तुर्की की घेराबंदी

ब्रुसेल्स/वॉशिंग्टन – बीते कुछ महीनों से ‘नाटो’ के नियम पैरों तले कुचल रहे तुर्की के खिलाफ अमरीका और यूरोपिय महासंघ ने कार्रवाई का हथौड़ा चलाया है। भूमध्य समुद्र में तनाव निर्माण करके नाटो के सदस्य देशों को धमका रहे तुर्की पर सीमित प्रतिबंध लगाने का ऐलान यूरोपिय महासंघ ने किया है। तभी लगातार इशारे देने के बावजूद रशिया से ‘एस-४००’ हवाई सुरक्षा यंत्रणा खरीदनेवाले तुर्की के खिलाफ अमरीका का ट्रम्प प्रशासन जल्द ही प्रतिबंध लगाएगा, ऐसे दावे भी किए जा रहे हैं। इसी बीच यूरोपिय महासंघ ने किया प्रतिबंध लगाने का निर्णय एकतरफा होने का बयान तुर्की ने किया है। अमरीका के इन प्रतिबंधों की वजह से दोनों देशों से संबंध बिगड़ेंगे, ऐसा इशारा भी तुर्की ने दिया है।

us-eu-turkeyशुक्रवार के दिन ब्रुसेल्स में आयोजित की गई यूरोपिय महासंघ की बैठक में भूमध्य समुद्र में बने तनाव के लिए तुर्की ज़िम्मेदार होने का आरोप रखा गया और उसके खिलाफ कार्रवाई करने का कदम उठाया गया। ग्रीस और सायप्रस जैसे नाटो सदस्य देशों के समुद्री क्षेत्र में घुसपैठ करके ईंधन का खनन करनेवाले तुर्की के खिलाफ सख्त प्रतिबंध लगाने की माँग फ्रान्स, ग्रीस और सायप्रस ने की थी। तुर्की को यूरोपिय महासंघ में प्रवेश देने की प्रक्रिया बंद करके और सीमाशुल्क संगठन से भी तुर्की को हटाया जाए, ऐसी मांग फ्रान्स ने रखी थी। यह मांग मंजूर होती तो पहले से संकटों में फंसी तुर्की की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगने की संभावना थी, यह दावा भी किया जा रहा है।

लेकिन, फ्रान्स के इन कड़े प्रतिबंधों के प्रस्ताव को बड़ी मात्रा में समर्थन प्राप्त नहीं हुआ। लेकिन, भूमध्य समुद्र के तनाव के लिए तुर्की दोषी है यह कहकर महासंघ ने तुर्की के खिलाफ सीमित प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया। ईंधन खनन करने की योजना तैयार करनेवाले और इसके लिए पहल करनेवाले तुर्की के अधिकारी और कंपनी के खिलाफ यह प्रतिबंध लगाए जाएंगे, यह बात महासंघ ने स्पष्ट की है। इस खनन कार्य में शामिल ‘तुर्कीश पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन’ कंपनी के विरोध में महासंघ ने पहले से प्रतिबंध लगाए हैं। इस कंपनी के अलावा अब अन्य कंपनियों को भी प्रतिबंधित कंपनियों की सूचि में शामिल किया गया है।

तुर्की के खिलाफ लगाए गए इन सीमित प्रतिबंधों की कार्रवाई मार्च तक जारी रहेगी। इसके बाद तुर्की के खिलाख सख्त निर्णय करने पर भी विचार हो सकता है, ऐसा यूरोपिय माध्यमों का कहना है। फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने महासंघ के इस निर्णय का स्वागत किया। तभी, बेचैन हुए तुर्की ने महासंघ का यह निर्णय एकतरफा और गैरकानूनी है, यह आलोचना भी की है। इसके साथ ही यह निर्णय ठुकराने की बात भी तुर्की के विदेश मंत्रालय ने जारी किए अपने निवेदन में कही है।

us-eu-turkeyयूरोपिय महासंघ के इन प्रतिबंधों से पहले अमरीका में भी तुर्की पर प्रतिबंध लगाने की खबरें प्रसिद्ध हुई। रशिया से प्रगत ‘एस-४००’ हवाई सुरक्षा यंत्रणा की खरीद करनेवाले तुर्की पर अमरीका का ट्रम्प प्रशासन नाराज़ है। ‘एस-४००’ की खरीद को लेकर नाराज़गी व्यक्त करने के लिए राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प जल्द ही तुर्की पर प्रतिबंध लगाएंगे, यह जानकारी अमरिकी अफसरों ने माध्यमों से साझा की। अमरीका के यह प्रतिबंध तुर्की की अर्थव्यवस्था को झटके देनेवाले होंगे, ऐसा दावा पश्‍चिमी माध्यम कर रहे हैं। तभी तुर्की पर प्रतिबंध लगाने के लिए अमरिकी सिनेट जल्दबाज़ी कर रहा है, यह दावा अमरिकी माध्यमों ने किया है।

इसी बीच, रशिया से ‘एस-४००’ की खरीद करने के लिए सहयोग करनेवाले तुर्की को अमरीका ने पहले ही अति प्रगत ‘एफ-३५’ लड़ाकू विमान प्रदान करने से इन्कार किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.