रशिया-यूक्रेन युद्ध की वजह से उभरे ‘फुड क्राईसिस’ सबसे ज्यादा अफ्रीका को नुकसानदेही होगी – संयुक्त राष्ट्रसंघ में अमरिकी राजदूत की चेतावनी

वॉशिंग्टन/डकार – रशिया-यूक्रेन युद्ध की वजह से उभरी अनाज़ की किल्लत सबसे ज्यादा अफ्रीकी महाद्वीप को नुकसान पहुँचाएगी, ऐसा दावा अमरिका ने किया। संयुक्त राष्ट्र में नियुक्त अमरिकी राजदूत ग्रीनफिल्ड फिलहाल अफ्रीका के दौरे पर हैं। यह इशारा देते हुए उन्होंने अफ्रीकी देश रशिया से अनाज खरीद सकते हैं, ऐसे संकेत दिए हैं। लेकिन, अमरीका द्वारा प्रतिबंध लगाए हुए रशियन ईंधन का कारोबार अफ्रीकी देश नहीं कर पाएंगे, यह इशारा अमरिकी राजदूत ने दिया। जून में अफ्रीकी महासंघ के प्रमुख ने रशिया यात्रा के दौरान अफ्रीका के अनाज की किल्लत के लिए रशिया पर लगाए प्रतिबंध ज़िम्मेदार होने का आरोप लगाया था।

फ़रवरी में रशिया ने यूक्रेन पर हमला करने के बाद इन दोनों देशों से पूरे विश्‍व में विभिन्न सामान का निर्यात प्रभावित हुआ था। इनमें अनाज, धान, खाद और प्रमुखता से ईंधन का समावेश था। रशिया के हमलों की वजह से हम अनाज और अन्य सामान का निर्यात नहीं कर सकते, ऐसा यूक्रेन ने कहा था। लेकिन, यूक्रेन का निर्यात बंद होने के पीछे यूक्रेन की नौसेना ने समुद्री क्षेत्र में लगाए बारूद ज़िम्मेदार हैं, ऐसा जवाब रशिया ने दिया था। ऐसे में पश्‍चिमी देशों ने लगाए प्रतिबंधों के कारण रशिया से निर्यात बंद था। युद्ध की वजह से पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों में तीन करोड़ टन से अधिक अनाज पड़ा है, यह जानकारी सामने आयी थी।

रशिया और यूक्रेन ब्रेड बास्केट के नाम से जाने जाते हैं। गेहूं, बार्लि, मक्कई, सूरजमुखी तेल का निर्यात करने में यह दोनों देश आगे हैं। रशिया खेती के लिए आवश्‍यक खाद का प्रमुख निर्यातक देश बनी हैं। रशिया से आयात कर रहे देशों में अफ्रीका और खाड़ी के देशों का हिस्सा बड़ा है। अफ्रीका के कई देशों में लगभग ५० प्रतिशत गेहूं और मका रशिया और यूक्रेन से निर्यात होता हैं। युद्ध शुरू होने के साथ ही यह पुरी सप्लाई बंद होने से अफ्रीकी देशों में अनाज़ की किल्लत का संकट तीव्र होना शुरू हुआ हैं।

युद्ध शुरू होने से पहले कोरोना की महामारी और प्रतिबंध एवं नैसर्गिक आपदा के कारण अफ्रीकी महाद्वीप के कई देशों में अन्न सुरक्षा को खतरा निर्माण होने से भूखमरी का संकट उभरा था। युद्ध के बाद इसका दायरा काफी खतरनाक मात्रा में बढ़ रहा हैं और सीर्फ अफ्रीकी महाद्वीप में ११ करोड़ से भी अधिक जनसंख्या को पर्याप्त अनाज़ और अन्न उपलब्ध नहीं हो रहा हैं, यह भी सामने आया हैं। संयुक्त राष्ट्रसंगठन, वर्ल्ड फूड प्रोग्राम, रेडक्रॉस, नॉवेजियन रिफ्युजी कौन्सिल जैसीं अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने पिछले कुछ महीनों में बार-बार इस भीषण आपदा पर ध्यान आकर्षित किया था। अमरिकी राजदूत ने अफ्रीकी दौरे में किया बयान भी इसकी पुष्टि करता है।

अपनी यात्रा में राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने रशिया अनाज का हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है, यह आरोप लगाया। साथ ही शीतयुद्ध की तरह अफ्रीकी देशों पर किसी एक पक्ष का चयन करने के लिए दबाव नहीं बनाया जाएगा, लेकिन, उन्हें वास्तव का अहसास रखना चाहिये, यह दावा भी ग्रीनफील्ड ने किया। अफ्रीकी देश रशिया से अनाज खरीद सकते हैं, यह भी अमरिकी राजदूत ने इस दौरान स्पष्ट किया। लेकिन अमरीका ने प्रतिबंधित किए रशियन ईंधन या अन्य सामान का कारोबार करने के लिए कदम उठाए तो अफ्रीकी देशों पर कार्रवाई हो सकती है, यह चेतावनी भी उन्होंने दी है। अफ्रीका के कुछ देश अमरीका के मित्रदेश जाने जाते हैं, फिर भी उन्होंने रशिया-यूक्रेन युद्ध में रशिया विरोधी भूमिका अपनाना टाल दिया था। अमरिकी राजदूत की चेतावनी इन्हीं देशों के लिए होने की बात दिख रही हैं।

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