अमरीका ताइवान में सेना तैनात करें – पूर्व सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन की मॉंग

वॉशिंग्टन – ताइवान के मुद्दे पर होनेवाली रणनीतिक स्तर की संदिग्धता अमरीका छोड़ दे और ताइवान में सेना तैनात करें, ऐसी मॉंग पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने की हैं| ‘ग्लोबल ताइवान नैशनल अफेअर्स सिम्पॉसिअम’ में किए भाषण में बोल्टन ने यह मॉंग उठायी| इससे पहले अमरीका के पूर्व विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने बायडेन प्रशासन के सामने ताइवान को राजनीतिक स्वीकृति प्रदान करने की मॉंग बड़ी तीव्रता से रखी थी|

यूक्रैन युद्ध की पृष्ठभूमि पर अमरीका ने ताइवान से सहयोग बढ़ाने के संकेत दिए हैं| इसमें आर्थिक, व्यापारी, राजनीतिक एवं रक्षा सहयोग का समावेश हैं| पिछले कुछ महीनों में अमरीका के तीन उच्चस्तरीय शिष्टमंड़ल ने ताइवान का दौरा किया हैं| इसमें आर्थिक एवं सैन्य सहयोग के मुद्दे पर चर्चा होने की बात कही गयी| चीन की वर्चस्ववादी हरकतों पर प्रत्युत्तर देने के लिए तैयार किए जा रहें ‘इंडो-पैसिफिक आर्थिक समझौते’ में ताइवान को शामिल करें, यह मॉंग अमरिकी सांसदों ने हाल ही में उठायी हैं| अमरीका ने ताइवान के साथ मुक्त व्यापारी समझौता करें, यह मॉंग भी की गई हैं|

इसी पृष्ठभूमि पर पूर्व सलाहकार बोल्टन का यह बयान ध्यान आकर्षित कर रहा हैं| ‘ताइवान के संबंधों को लेकर अमरीका ने संदिग्धता की नीति का त्याग करने का अवसर बना हैं| अमरीका और ताइवान का गठबंधन होने के लिए उचित नींव उपलब्ध हैं| अमरीका के कानून में भी इसका ज़िक्र हैं’, यह दावा बोल्टन ने किया| साथ ही ताइवान की सैन्य क्षमता बढ़ाने के लिए सैद्धांतिक स्तर पर एवं कारोबारिक नज़रिये से भी अधिक पहल करने की एवं सहायता करने की ज़रूरत हैं, इसका अहसास भी उन्होंने कराया|

‘ताइवान की सैन्य क्षमता बढ़ाने के लिए अमरीका और ताइवान इन दोनोंदेशों को रक्षाखर्च में बड़ी बढ़ोतरी करनी होगी| दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर पर अधिक और उचित समन्वय रखना ज़रूरी हैं| इसके लिए अमरीका ने ताइवान में सेना तैनात करने की आवश्यकता हैं| यह तैनाती दोनों देशों के हित में रहेगी और इससे अहम राजनीतिक संदेश भी पहुँचेगा’, ऐसा अमरीका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा हैं| अमरीका ने ताइवान को पूरी राजनीतिक स्वतंत्रता एवं दर्ज़ा दिया तो यह तैनाती आसानी से मुमकिन होगी, यह भी  बोल्टन ने कहा| साल १९७९ में अमरीका ने ताइवान के ताल्लुकात खत्म करने से पहले अमरिकी सेना ताइवान में तैनाती थी, इसकी याद भी उन्होंने करायी|

हमने २२ साल पहले के लेख में ताइवान को पूरा राजनीतिक दर्ज़ा देने की मॉंग उठायी थी, यह ज़िक्र भी बोल्टन ने इस दौरान किया| इससे चीन खूष नहीं होगा, फिर भी विदेश नीति के नज़रिये से यह काफी अहम कदम साबित होता हैं, इसपर भी अमरीका के पूर्व सुरक्षा सलाहकार ने ध्यान आकर्षित किया|

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