उइगरवंशियों की पूछताछ करने संयुक्त राष्ट्र संगठन के अफसरों को चीन के झिंजियांग में प्रवेश प्राप्त हो

– संयुक्त राष्ट्र संगठन की मानव अधिकार बैठक में हुई माँग

Uyghur-UN-Xinjiangजिनेवा/बीजिंग – उइगरवंशियों पर हो रहे अत्याचारों की जाँच के लिए संयुक्त राष्ट्र संगठन के अफसरों के साथ निष्पक्ष निरीक्षकों को चीन झिंजियांग में प्रवेश दे, ऐसी माँग मानव अधिकार बैठक में की गई है। कनाड़ा की पहल से इससे संबंधित जारी किए गए निवेदन का ४० से अधिक देशों ने समर्थन किया है। इस निवेदन में हाँगकाँग एवं तिब्बत का भी ज़िक्र किया गया है। मानव अधिकार के मुद्दे पर चीन के विरोध में हुई यह एकजुट काफी बड़े सियासी परिणाम करनेवाली साबित हो सकती है।

जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र संगठन के मानव अधिकार आयोग की बैठक हो रही है। इस बैठक के दौरान चीन में होनेवाले मानव अधिकारों के उल्लंघन के मुद्दे पर निवेदन पेश करने के लिए बीते कुछ दिनों से तैयारी हो रही थी। बीते महीने उइगरवंशी एवं अन्य अल्पसंख्यांक समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के मुद्दे पर हुई बैठक, ‘जी ७’ ने चीन की हुकूमत को लगाई फटकार और इसके बाद अमरीका ने व्यक्त की हुई चिंता इसी का हिस्सा होने की बात समझी जा रही है। कुछ दिन पहले लगभग २० देशों की ‘इंटर पार्लमेंटरी अलायन्स ऑन चायना’ नामक गुट ने भी उइगरवंशियों के मुद्दे पर भूमिका रखनेवाला खुला खत जारी किया था।

Uyghur-UN-Xinjiang-02-300x300इस पृष्ठभूमि पर मंगलवार के दिन कनाड़ा के राजदूत लेस्ली नॉर्टन ने संयुक्त राष्ट्र संगठन के मानव अधिकार आयोग की बैठक में चीन को फटकार लगानेवाला निवेदन जारी किया। इसमें उइगरवंशियों पर हो रहे अत्याचारों के साथ ही तिब्बत और हाँगकाँग में हो रहे मानव अधिकारों के उल्लंघन की जोरदार आलोचना हुई। ‘झिंजियंग में लगभग १० लाख उइगरवंशियों को जबरन पकड़ा गया है। उइगरों के साथ अन्य अल्पसंख्यांक समुदाय के बुनियादी हक कुचले जा रहे हैं और उनकी संस्कृति पर भी प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। चीन की हुकूमत इन समुदायों पर जानबूझकर नज़र रख रही है। इससे संबंधित एक भरोसेमंद रपट सामनी आयी है’, इन शब्दों में चीन को लक्ष्य किया गया है।

इस आलोचना के साथ ही संयुक्त राष्ट्र संगठन के मानव अधिकार प्रमुख मिशेल बैशेलेट और अन्य निष्पक्ष निरीक्षकों को झिंजियांग में तुरंत प्रवेश करने दें, यह माँग इस निवेदन के माध्यम से की गई है। इस माँग को यूरोप के प्रमुख देशों के साथ जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमरीका ने भी समर्थन दिया है। इस वजह से उइगरों के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन की अधिक से अधिक घेरबंदी होने के स्पष्ट संकेत प्राप्त होने लगे हैं।

Uyghur-UN-Xinjiang-01-300x153उइगरों के मुद्दे पर हम लक्ष्य किए जाएंगे, इस बात का अहसास होने के बाद चीन ने पहले ही एक स्वतंत्र निवेदन जारी करके कनाड़ा को जवाब दिया था। रशिया और ईरान समेत कुछ चुनिंदा देशों का समर्थन प्राप्त करनेवाले चीन ने हाल ही में सामने आए ‘चिल्ड्रेन मास ग्रेव’ मामले का ज़िक्र करके आलोचना की। इस घटना से कनाड़ा के मूल निवासियों पर हुए अत्याचार की जाँच की माँग चीन ने की। साथ ही संयुक्त राष्ट्र संगठन के मानव अधिकार प्रमुख किसी भी तरह का राजनीतिक या जाँच का उद्देश्‍य रखे बगैर झिंजियांग की मित्रता से भरी यात्रा करें, यह इशारा चीन के विदेश मंत्रालय ने दिया है।

बीते कुछ वर्षों में विश्‍व के अधिक से अधिक देश चीन द्वारा झिंजियांग में हो रही कार्रवाईयों के खिलाफ खुलेआम आवाज़ उठा रहे हैं। अमरीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाड़ा ने चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के उइगरों पर हो रहे अत्याचार यानी नरसंहार होने का आरोप रखा लगाया है। अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसी दिशा में कोशिश शुरू हुई है और इस वजह से चीन की हुकूमत काफी मुश्‍किलों से घिरती हुई दिख रही है।

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