‘जी७’ जैविक खतरे की पूर्वसूचना देनेवाली यंत्रणा विकसित करें – अमरीका के राष्ट्रीय उप सुरक्षा सलाहकार का आवाहन

g7-biological-threat-1वॉशिंग्टन – पिछले डेढ़ साल में कोरोना ने दुनिया भर में ३९ लाख से अधिक लोगों की जान ली। लेकिन यह खतरा यहीं पर खत्म होनेवाला नहीं है, ऐसा अन्तर्राष्ट्रीय नेता, विश्लेषक जता रहे हैं। ‘ औद्योगिक दृष्टि से प्रगत जी७ देश अगले जैविक खतरे के लिए सिद्ध रहे। इसके लिए जी७ देशों को इस खतरे की पूर्वसूचना देनेवाली यंत्रणा विकसित करनी होगी’, ऐसी चेतावनी अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा उप सलाहकार दलिप सिंग ने दी। साथ ही, अन्य देशों को कर्ज देने की चीन की प्रक्रिया बहुत ही अपारदर्शी होने की आलोचना दलिप सिंग ने की।

‘सेंटर फॉर स्ट्रटेजिक ऍण्ड इंटरनॅशनल स्टडीज इकोनॉमिक्स प्रोग्राम’ इस अभ्यास गुट की वर्चुअल बैठक में बात करते समय दलिप सिंग ने जी७ देशों को, भविष्यकालीन जैविक खतरे का अहसास करा दिया। ‘ ‘हमें अगले जैविक खतरे के लिए तैयारी शुरू करनी है और इसके लिए खतरे की पूर्व सूचना देनेवाली यंत्रणा विकसित करनी होगी। साथ ही, इस जैविक खतरे का मुकाबला करने के लिए हमें एकजुट होना पड़ेगा और सभी देशों के समन्वय से काम करना पड़ेगा और इसके लिए किसी भी प्रकार की छिपी शर्तें थोंपी नहीं जानी चाहिए’, ऐसा दलिप सिंग ने कहा। उसी के साथ, जी७ देश दुनियाभर में टीकाकरण और तेज़ करने के लिए कोशिशें करें, ऐसा आवाहन दलिप सिंग ने किया।

g7-biological-threat-2-350x247‘आनेवाले समय में जैविक खतरे के विरोध में जी७ देश जितनी मैच्योर और आक्रामक भूमिका अपनायेंगे, उतनी अधिक मात्रा में उस खतरे की रफ्तार कम करके उसे नियंत्रित कर सकते हैं’, ऐसा दावा दलिप सिंग ने किया। आनेवाले समय में जी७ और जी२० की बैठक में इसपर चर्चा होना आवश्यक है, ऐसा सिंग ने कहा। जी७ और जी२० गुटों के ‘शेर्पा’ यानी अमरीका के राजनीतिक अधिकारी के रूप में बायडेन प्रशासन ने दलिप सिंग को नियुक्त किया है। इस पृष्ठभूमि पर अमरीका के राष्ट्रीय उप सुरक्षा सलाहकार ने आगामी जैविक खतरे के बारे में किए आवाहन को देखा जाता है।

आगामी जैविक खतरे की चेतावनी देते समय कोमा दलिप सिंग ने चीन का उल्लेख करना डाला। लेकिन पिछले महीने में ब्रिटेन में संपन्न हुई जी७ की बैठक में कोरोना की महामारी के मुद्दे पर चीन को लक्ष्य किया गया था। कोरोना की महामारी के संदर्भ में चीन की भूमिका संदिग्ध साबित होती है, ऐसे संकेत देकर जी७ के सदस्य देशों ने यह माँग की थी कि इस बारे में चीन पारदर्शिता दिखाएं।

कोरोना की महामारी चीन ने जानबूझकर फैलाई, ऐसा ठेंठ आरोप अभी तक जी७ के किसी भी सदस्य देश ने अधिकृत स्तर पर नहीं किया है। लेकिन कोरोना के वायरस के संदर्भ में चीन जो दावे कर रहा है, उनका स्वीकार इसके आगे नहीं किया जा सकता, ऐसे संकेत जी७ देशों ने दिए हैं। अमरीका, ब्रिटेन के कुछ विश्लेषक और संशोधकों ने कोरोना की महामारी के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया था। इससे यही दिखाई देने लगा है कि आनेवाले समय में इस मुद्दे पर जी७ तथा अन्य देशों का चीन पर दबाव बढ़ता चला जानेवाला है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने विरोध में जानेवाला माहौल देखकर चीन बौखलाया हुआ दिखाई दे रहा है। 

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